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Mythology: भगवान राम की वह विद्या जिसके बदौलत उन्होंने कर लिया था भुख-प्यास पर विजय प्राप्त

BY: Ritesh kumar Bajpeyee • LAST UPDATED : August 4, 2023, 4:58 pm IST
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Mythology: भगवान राम की वह विद्या जिसके बदौलत उन्होंने कर लिया था भुख-प्यास पर विजय प्राप्त
Mythology: क्या आपको पता है भगवान राम के पास एक ऐसी विद्या थी जिसके बदौलत उन्होंने भुख, प्यास पर विजय प्राप्त कर लिया था? जी हां आपने सही सुना। आज हम आपको एक बहुत ही रोचक जानकारी देने वाले हैं। इस बात का वर्णन वाल्मिकी रामायण में मिलता है। वाल्मिकी रामायण मे बताया गया है कि भगवान राम बिना खाए हजारों वर्षों तक रह सकते थे। उन्हें यह शक्ति उनके गुरु विश्वामित्र ने दी थी। वाल्मिकी रामायण में वर्णन मिलता है कि जब विश्वामित्र राजा दशरथ से आदेश लेकर राम और लक्ष्मण को अपने आश्रम लेकर जा रहे थे, तभी उन्होंने राम को बला और अतिबला नामक विद्या दिया था। इसका वर्णन वाल्मिकी रामायण के प्रथम खंड में मिलता है। इस दिव्य विद्या के प्रभाव से कभी भी थकावट का अनुभव नहीं होता। इस विद्या के प्रभाव से किसी के रुप पर कभी भी कोई कोइ विकार उत्पन नहीं हो सकता है।

इस संसार में भगवान राम के आलावा दूसरा कोई नहीं

इस विद्या की विशेषता को सुनकर भगवान राम ने अपने गुरु विश्वामित्र से पुछा था बला और अतिबला नाम की इस दिव्य विद्या की क्या विशेषता है, तभी विश्वामित्र ने कहा राम, इस दिव्य मंत्र के प्रभाव से तुम्हे  कोई भी रोग कष्ट नहीं होगा, इतना ही नहीं इसके ध्यान मात्र से भुख और प्यास नहीं लगेगी। आपको बता दें कि इस दिव्य विद्या को विश्वामित्र जी ने राम को ही क्यों दिया था इसका भी कारण वाल्मिकी रामायण में उन्होंने बताया हैं। उन्होंने लिखा है राम के अलावा इस पृथ्वी पर दूसरा कोई नहीं था जिसे इस दिव्य विद्या को प्रदान किया जा सकता था।

जाने क्या है बला और अतिबला विद्या

पौराणिक काल में विश्वामित्र ने इस दिव्य विद्या का प्रतिपादन कठोर तपस्या से किया था। विश्वामित्र जानते थे कि भगवान राम का जन्म ही हुआ है राक्षसों का संहार करने के लिए, इसलिए वे उन्हें सभी बाधाओं से निपटने के लिए हमेशा कुछ ना कुछ नया उपाए बताते रहते थे। क्योंकि राक्षसों के साथ युद्ध करना आसान नहीं था, एक से एक भयंकर मयावी राक्षस थे, विश्वामित्र चाहते थे की भगवान राम सभी युद्ध में राक्षसों पर विजय प्राप्त करें, इसलिए यात्रा के प्रारंभ से ही बला और अतिबला विद्या राम को सिखाना चाह रहे थे।

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