Old Saying in Hindi : पुराने समय की कहावत है…
चैते गुड़, वैसाखे तेल।
जेठ के पंथ, अषाढ़े बेल।।
सावन साग, भादौ दही।
कुवांर करेला, कार्तिक मही।।
अगहन जीरा, पूसै धना।
माघे मिश्री, फागुन चना।।
जो कोई इतने परिहरै,
ता घर बैद पैर नहीं धरै।।
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आवश्यक निर्देश
चैत्र माह में नया गुड़ न खाएं
बैसाख माह में नया तेल न लगाएं
जेठ माह में दोपहर में नहीं चलना चाहिए
आषाढ़ माह में पका बेल न खाएं
सावन माह में साग न खाएं
भादों माह में दही न खाएं
क्वार माह में करेला न खाएं
कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं
अगहन माह में जीरा न खाएं
पूस माह में धनिया न खाएं
माघ माह में मिश्री न खाएं
फागुन माह में चना न खाएं
स्नान के पहले और भोजन के बाद पेशाब जरूर करें।
भोजन के बाद कुछ देर बायी करवट लेटना चाहिये।
रात को जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठाना चाहिये।
प्रातः पानी पीकर ही शौच के लिए जाना चाहिये।
सूर्योदय के पूर्व गाय का धारोष्ण दूध पीना चाहिये व्यायाम के बाद दूध अवश्य पियें।
मल, मूत्र, छीक का वेग नही रोकना चाहिये।
ऋतु (मौसमी) फल खाना चाहिये..
रसदार फलों के अलावा अन्य फल भोजन के बाद खाना चाहिये..
रात्रि में फल नहीं खाना चाहिये।
भोजन करते समय जल कम से कम पियें।
भोजन के पश्चात् कम से कम 45 मिनट के बाद जल पीना चाहिए
नेत्रों में सुरमा / काजल अवस्य लगायें.!
स्नान रोजाना अवश्य करना चाहिये।
सूर्य की ओर मुंह करके पेशाब न करें!
बरगद, पीपल, देव मन्दिर, नदी व शमशान् में पेशाब न करें।
गंदे कपड़े न पहने, इससे हानि होती है।
भोजन के समय क्रोध न करें बल्कि प्रसन्न रहें।आवश्यकता से अधिक बोलना भी नहीं चाहिये व बोलते समय भोजन करना रोक दें।
चैत्र माह में नया गुड़ न खायें
(15 मार्च से 15 अप्रैल)
बैसाख माह में नया तेल न लगाएं
(16 अप्रैल से 15 मई)
जेठ माह में दोपहर में नहीं चलना चाहिए
(16 मई से 15 जून)
अषाढ़ माह में पका बेल न खाएं
(16 जून से 15 जुलाई)
सावन माह में साग न खाएं
(16 जुलाई से 15 अगस्त)
भादों माह में दही न खाएं (16 अगस्त से 15 सितंबर)
क्वार माह में करेला न खाएं
(16 सितंबर से 15 अक्टूबर)
कार्तिक माह में जमीन पर न सोएं
(16 अक्टूबर से 15 नवम्बर)
अगहन माह में जीरा न खाएं
(16 नवम्बर से 15 दिसंबर)
पूस माह में धनिया न खाएं
(16 दिसम्बर से 15 जनवरी)
माघ माह में मिश्री न खाएं
(16 जनवरी से 15 फरबरी)
फागुन माह में चना न खाएं
(16 फरबरी से 14 मार्च)
1. पंथ = रास्ता
जेठ माह में दिन में रास्ता नहीं चलना चाहिए।
2. दही = मट्ठा या दही व दही से बने पदार्थ।
ऐसी कहावत है कि भादो मास में दही या मट्ठा अगर घास या दूब की जड़ में डाल दें तो उसको भी फूक देता है। अर्थात् भादो मास में दही व दही से बने पदार्थ काफी हानिकारक हैं।
3. मही = भूमि पर कार्तिक मास में न सोएँ।
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