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India News (इंडिया न्यूज़), Ashish Sinha, One Nation One Election: नेशनल लॉ कमीशन ने एक बार फिर वन नेशन वन इलेक्शन कमीशन पर बैठक की है। इस बात की पुष्टि कमीशन के अध्यक्ष ऋतुराज अवस्थी ने एक अनौपचारिक बात-चीत के दौरान की। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि नेशनल लॉ कमीशन वन नेशन वन इलेक्शन पर रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए तत्परता से काम कर रहा है। इससे पहले वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित कमेटी की बैठक 23 सितंबर को हुई थी।
नेशनल लॉ कमीशन के चेयरमैन ऋतुराज अवस्थी ने कहा आज हुई नेशनल लॉ कमीशन की बैठक में पोस्को और ऑन लाइन एफआईआर के मुद्दे पर चर्चा हुई। चर्चा के बाद कमीशन की रिपोर्ट सरकार को भेज दी गई है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इस बैठक में वन नेशन वन इलेक्शन पर भी चर्चा हुई तो उन्होंने कहा हां, इस पर भी चर्चा हुई लेकिन अभी इस विषय पर बहुत काम करना बाक़ी है।
इससे पहले सोर्सेज ने यह दावा किया गया था कि नेशनल लॉ कमीशन वन नेशन वन इलेक्शन पर रिपोर्ट सरकार को पेश करने के लिए भारत का विधि आयोग देश में एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश करते हुए एक रिपोर्ट पेश करने के लिए तैयार है। नेशनल लॉ कमीशन 2024 और 2029 के बीच एक साथ चुनाव कराने के लिए एक अस्थायी समय सीमा तय कर सकता है। 22वें लॉ कमीशन की रिपोर्ट कानून मंत्रालय को सौंपी जाएगी। दरअसल, भारत सरकार ने राष्ट्रीय हितों का हवाला देते हुए लोकसभा, विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित की गई थी।
23 सितंबर को कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की पहली बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, राज्यसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पंद्रहवें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी शामिल हुए। इस उच्च स्तरीय समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर सुझाव देने के लिए विधि आयोग और राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया था।
इससे पहले 2018 में न्यायमूर्ति बीएस चौहान (रिटायर) की अध्यक्षता वाले 21वें नेशनल लॉ कमीशन ने भी एक मसौदा रिपोर्ट में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की सिफारिश की थी। हालांकि, इसमें शामिल मुद्दों की जटिलता को देखते हुए आयोग ने कहा था कि “सरकार को अंतिम सिफारिशें करने से पहले एक बार फिर सभी हितधारकों को शामिल करते हुए इस मामले पर चर्चा करनी चाहिए।” इस आयोग की नाकामयाबी यह रही कि फाईनल रिपोर्ट फाइल किये जाने से पहले ही उस आयोग का कार्यकाल समाप्त हो गया।
जिसके बाद 22 वें नेशनल लॉ कमीशन का गठन किया गया। इस आयोग का कार्यकाल फरवरी 2020 में तीन साल की अवधि के लिए किया गया था। हालांकि, इसके अध्यक्ष की नियुक्ति नवंबर 2022 को हुई थी। कर्नाटक उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु राज अवस्थी को इसका अध्यक्ष बनाया गया था। इस साल फरवरी में जब आयोग का कार्यकाल समाप्त होने वाला था मगर सरकार ने अब इसका कार्यकाल 31 अगस्त 2024 तक के लिए बढ़ा दिया है।
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