रोहित रोहिला, चंडीगढ़ न्यूज। अभी कुछ दिन पहले ही पंजाब कांग्रेंस (Punjab Congress) के पूर्व प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) सूबे के सीएम भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) से मुलाकात के बाद उनकी तारीफों के पुल बांधते नजर आए थे। लेकिन अब लगता है कि सिद्धू मान की कार्य प्रणाली से खफा हो गए है। उन्होंने मान सरकार (Maan Sarkar) पर निशाना साधते हुए एक दो नहीं बल्कि पूरे 4 ट्वीटरों के जरिए तंज कसा है।
जबकि जब सिद्धू पंजाब के सीएम से मुलाकात कर लौटे थे तो उनकी तारीफ करते हुए पंजाब की तरक्की के लिए सुझाए गए सुझावों पर मान के सकारात्मक रवैये की बात भी कही थी। अपने 4 ट्वीट में सिद्धू ने मान सरकार को बिजली, किसान मुआवजे, एमएसपी (MSP) के मुद्दों पर घेरा है।
सिद्धू और मान की मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि दोनों नेताओं के बीच में अच्छी टयूनिंग बन गई है और अब सिद्धू के हमलों से शायद मान सरकार बच जाए। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। सिद्धू ने मान सरकार पर सीधे ही 4 ट्वीटर (twitter) बम से हमला करते हुए सरकार को अपने निशाने पर ले लिया। वैसे तो सिद्धू कई अन्य मुद्दों को लेकर भी सरकार पर निशाना साधते रहते है।
सिद्धू ने पहले ट्वीट में लिखा कि आम आदमी पार्टी की पंजाब सरकार द्वारा केवल घोषणाएं… और कोई मतलब नहीं। आप जितना चबा नहीं सकते, उससे ज्यादा काटते क्यों हैं।
गेहूं उत्पादक किसानों को बोनस (Wheat Bonus) देने का मुख्यमंत्री का वादा कहां है? क्या सरकार के पास वादा किया गया बोनस देने के लिए 5 हजार करोड़ हैं? क्या सरकार के पास किसानों को 8 घंटे बिजली देने की क्षमता है? अब तक दालों और मूंगी पर एमएसपी को अधिसूचित क्यों नहीं किया गया?
उन्होंने दूसरे ट्वीट में लिखा कि जब तक बाजार मजबूत नहीं होगा, किसानों का विरोध (farmers protest) जारी रहेगा। पंजाब ओवरड्राफ्ट (Punjab Overdraft) पर चल रहा है और बिना किसी नीति के बजटीय आवंटन के साथ, किसानों का उत्थान नहीं कर सकता। वित्तीय संकट (Financial Crisis) जितना बड़ा होगा, कानून-व्यवस्था की स्थिति उतनी ही अधिक बिगड़ेगी। आज पंजाब केंद्र सरकार (central government) के रहमोकरम पर है।
नवजोत सिद्धू ने तीसरा ट्वीट करते हुए मान सरकार को हालात सुधारने के उपाय भी (Suggested measures on 4 points) सुझाए। उन्होंने लिखा कि इसका हल यह है…
सिद्धू ने चौथे ट्वीट में लिखा कि सरकार को किसानों को 10 जून से धान की बुवाई (Sowing of paddy from June 10) की अनुमति देनी चाहिए, क्योंकि विलंबित फसल में नमी अधिक होती है, जिससे मूल्य कम होता है।
क्या पीक सीजन में बिजली बचाने के लिए सरकार ऐसा कर रही है? किसानों को ही हमेशा परेशान क्यों होना पड़ता है? अगर सरकार वास्तव में विविधीकरण के बारे में गंभीर है, तो उसने बासमती पर एमएसपी की घोषणा (MSP announcement) क्यों नहीं की।
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