डा. रविंद्र मलिक, चंडीगढ़।
The Issue Of 400 Hindi Speaking Villages : हरियाणा और पड़ोसी राज्य पंजाब के बीच ऐसा कई दफा हुआ जब दोनों के बीच कई मुद्दों को लेकर विवाद रहा और तनाव बढ़ा। इसी कड़ी में अब पुराना मुद्दा फिर चर्चा में है जिसके चलते दोनों राज्य एक दूसरे के आमने सामने हैं।
गत दिनों पंजाब ने चंडीगढ़ पर अपना हक जताते हुए एक तरफा प्रस्ताव सर्वसम्मति से पंजाब विधानसभा में पास कर दिया। इसमें कहा गया कि चंडीगढ़ पर पूरी तरह से पंजाब का हक है और उसे तुरंत प्रभाव से स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए। The Issue Of 400 Hindi Speaking Villages
हरियाणा खुलकर पंजाब के इस प्रस्ताव के खिलाफ खड़ा हो गया और प्रवेश में सत्ता व विपक्ष के सभी दलों के नेता एकजुट हो गए सब ने साफ कर दिया कि पंजाब का यह प्रस्ताव बिल्कुल तर्क से परे है और इसका कोई मतलब नहीं बनता। मामले को लेकर प्रदेश के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने पंजाब के खिलाफ तीखे तेवर दिखाए तो वही विपक्षी दल पंजाब के प्रस्ताव के खिलाफ कांग्रेस ने विधायक दल की बैठक बुलाई जिस पर आगामी रणनीति के लिए चर्चा की।
इसके अलावा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने चंडीगढ़ में मामले को लेकर कार्यकतार्ओं को भी संबोधित किया। वहीं मामले को लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी केंद्र का पत्र लिखा है कि पंजाब सरकार का प्रस्ताव पास करना गलत है।
पंजाब का बंटवारा हुआ तो उसमें कई मुद्दों पर रायशुमारी के बाद ही दोनों अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए थ। इसमें एक मुख्य पहलू यह था कि हरियाणा को उसके हिस्से के हिंदी भाषी क्षेत्र दे दिए जाएंगे। बंटवारे के बाद हरियाणा को हिंदी भाषी क्षेत्र मिलने थे जो कि आज तक नहीं मिले हैं । इस मसले पर भी हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने साफ कर दिया है कि पहले पंजाब है उसके हिस्से के 400 हिंदी भाषी गांव हरियाणा को दे, उसके बाद कहीं बात की जाएगी कि चंडीगढ़ का क्या हो।
जब हरियाणा अलग राज्य बना तो कुल संसाधनों और चंडीगढ़ में हरियाणा का 40 फीसद हिस्सा निर्धारित किया गया था। चंडीगढ़ की कुल जमीन करीब 11 हजार हेक्टेयर है और 40 फीसद के लिहाज से इसमें से हरियाणा के हिस्से 4400 हेक्टेयर जमीन आती है। इसको लेकर हरियाणा ने साफ कर दिया है कि एसवाईल में प्रदेश के हिस्सेदारी और 400 हिंदी भाषी गांव पर हक के अलावा चंडीगढ़ की जमीन में हरियाणा का 40 फीसद हिस्सा है। ऐसे में साफ है कि हरियाणा का भी चंडीगढ़ पर बराबरी का हक है जिसको पंजाब नहीं नकार सकता।
देश के बंटवारे के बाद पंजाब का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में चला गया। उस वक्त पंजाब की राजधानी लाहौर थी, लेकिन इसके पाकिस्तान में चले जाने के बाद काफी विचार करने के बाद चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी बना दिया गया। 1966 में संयुक्त पंजाब से अलगाव के बाद हरियाणा अस्तित्व में आया और पंजाब के पंजाबी बोलने वाले हिस्से को पंजाब में रहने दिया गया और पंजाब के हिंदी भाषी पूर्वी हिस्से को हरियाणा नाम से अलग राज्य बना दिया गया। करीब 400 गांवों को हरियाणा को देने पर सहमति बनी थी लेकिन वह 400 हिंदी भाषी गांव आज भी पंजाब में है और जो कि सर्वथा अनुचित है।
चंडीगढ़ को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच लंबे समय से विवाद रहा है । साल 1966 के बाद दोनों राज्यों के बीच चंडीगढ़ को लेकर समय-समय पर दावे किए गए। लेकिन मामले का कोई पुख्ता हल नहीं हो पाया। अब दोबारा से उपजे विवाद पीछे का कारण यह है कि कुछ दिनों पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लिया गया फैसला। The Issue Of 400 Hindi Speaking Villages
उन्होंने कहा कि अब चंडीगढ़ के कर्मचारी केंद्रीय सेवा नियमों के दायरे में होंगे और उन पर केंद्रीय कर्मचारियों वाले सेवा नियम ही लागू होंगे। इसको लेकर केंद्र की तरफ से अधिसूचना भी जारी कर दी गई, जो प्रभावी हो चुकी है। इस मसले पर पंजाब की आप सरकार, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने कड़ा ऐतराज जताया। इस नए फैसले के बाद ही आप सरकार चंडीगढ़ पर अपने दावे को लेकर पंजाब विधानसभा सत्र में नया प्रस्ताव लेकर आई।
पूरे मामले पर सबकी निगाहें दिल्ली के सीएम और आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल पर डटी हैं। पूरे मामले को लेकर हरियाणा के सीएम मनोहर लाल आप पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर हमलावर हैं। मामले पर अब तक केजरीवाल ने साफ तौर पर कुछ नहीं कहा है और हर किसी को इंतजार है कि केजरीवाल चंडीगढ़ के मुद्दे पर स्पष्ट रूप से क्या कहेंगे। लेकिन जिस तरह का उनका फिलहाल तक करवाया है उससे कहीं ना कहीं एक चीज तो साफ दिख रही है कि केजरीवाल भी बराबर की राजनीति करने में बिल्कुल पीछे नहीं।
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने साफ कहा है कि उनकी यह गलत राजनीति है और उनके डबल स्टैंडर्ड रवैये के चलते उनकी आलोचना करनी चाहिए। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बार-बार कहा है कि दिल्ली द्वारा बार हरियाणा पर उसको पानी नहीं देने के गलत आरोप लगाता है जब कि हरियाणा दिल्ली को पूरा पानी दे रहा है।
लेकिन वहीं दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल कभी भी एसवाईएल में पंजाब द्वारा उसका निर्धारित हिस्सा नहीं दिए जाने को लेकर कोई बात नहीं करते जबकि वहां पर अब पूर्ण बहुमत वाली पार्टी की सरकार है। ऐसे में साफ है कि अरविंद केजरीवाल बिल्कुल गलत है। इसकी आलोचना लाजिमी है। The Issue Of 400 Hindi Speaking Villages
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