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इंडिया न्यूज, अजमेर :
Top Class Marwari Breed Horse : अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेला कैमल फेयर के नाम से प्रसिद्ध है, जिसमें ऊंट के अलावा घोड़ों की भी खरीद फरोख्त की जाती है। अजमेर शहर से महज 13 किलोमीटर दूर बसा पुष्कर ब्रह्मा की नगरी के नाम से विख्यात है।
यहां इन दिनों पशु मेला चल रहा है जिसे देखने के लिए प्रदेश भर से ही नहीं देश और विदेशों से भी लोग आ रहे हैं। पुष्कर मेले के दौरान यूं तो 10,000 से लेकर 50000 तक के नामचीन घोड़े मिल जाते हैं लेकिन अभी लोग पुष्कर मेलें में अलबक्श की खरीद-फरोख्त में दिलचस्पी ले रहे हैं जो काफी चर्चा का विषय बना है।
पंजाब के बठिंडा से पुष्कर घूमने आया अलबक्श नाम का घोड़ा अपनी अव्वल दर्जे की मारवाड़ी नस्ल के लिए चर्चा का विषय है। अलबक्श पर करोड़ों की बोली लगाई जा चुकी है लेकिन इसका मालिक इसे बेचने को किसी भी सूरत में तैयार नहीं है।
इस घोड़े के मालिक संदीप सिंह ने बताया कि अलबक्श की मैं 3 साल से देखभाल कर रहा हूं। संदीप ने बताया वैसे तो मेरे पास बहुत सारे घोड़े हैं लेकिन इसकी शान ही अलग है। अलबक्श के सिर पर तिलक और खुर पर सफेद निशान के साथ ही इसकी कद काठी दूसरे घोड़ों से बिल्कुल अलग हैं।
संदीप का कहना है इस घोड़े की खूबसूरती और ताकत के कारण पंजाब और हरियाणा में इन घोड़ों की बहुत डिमांड है। इनकी कद काठी अन्य घोड़ों के मुकाबले काफी अच्छी है वह इसकी देखभाल में करीब 40 – 50 हजार का मासिक खर्च हो जाता है। अलबक्श को हमने हमारे परिवार के सदस्य के रूप में ही माना है इसलिए यह एक अनमोल घोड़ा है इसका कोई भाव नहीं।
संदीप ने बताया कि इसकी देखभाल के लिए उन्होंने 24 घंटे के लिए बॉडीगार्ड भी लगा रखा है जो इसकी सुरक्षा के साथ-साथ खाने-पीने का भी पूरा ध्यान रखते हैं। संदीप के अनुसार अलबक्श महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक की नस्ल का बताया जाता है। बताया जाता है की मारवाड़ी घोड़ों का उपयोग राजा महाराजा युद्ध के समय करते थे। यही कारण है की इन घोड़ों के शरीर में राजघराने का लहू दौड़ता है। मारवाड़ी घोड़ों की लंबाई 130 से 40 सेंटीमीटर और ऊंचाई 152 से 160 सेंटीमीटर होती है 22 सेंटीमीटर के चौड़े फेस वाली यह घोड़े काफी ताकतवर होते हैं।
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