संबंधित खबरें
Delhi Railway News: ट्रेन यात्रियों के लिए बड़ी खबर, कोहरे के कारण इतने दिन तक बंद रहेंगी दिल्ली-हरियाणा की 6 ईएमयू ट्रेनें
UP By-Election Results 2024 live: यूपी में 9 सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग जारी, नसीम सोलंकी की जीत तय
Bihar Bypolls Result 2024 Live: बिहार की 4 सीटों पर मतगणना शुरू! सुरक्षा पर प्रशासन की कड़ी निगरानी
Maharashtra-Jharkhand Election Result Live: महाराष्ट्र में महायुति तो झारखंड में JMM गठबंधन सरकार बनाने की तरफ अग्रसर, जानें कौन कितने सीट पर आगे
मातम में बदलीं खुशियां, नाचते- नाचते ऐसा क्या हुआ शादी से पहले उठी…
नाइजीरिया में क्यों पीएम मोदी को दी गई 'चाबी'? क्या है इसका महत्व, तस्वीरें हो रही वायरल
इंडिया न्यूज़ , अजीत मैंदोला
UP Legislative Assembly Election 2022 Update मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चुनावी मैदान में उतारकर बीजेपी ने अपना सबसे बड़ा हिंदुत्व का कार्ड खेल दिया।अब यह तय हो गया है कि यूपी में एक बार फिर बीजेपी जाति की राजनीति को हिंदुत्व और धर्म की राजनीति से काटेगी।इसके साथ सुधरी कानून व्यवस्था को भी बड़ा मुद्दा बनाएगी।क्योंकि प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी जाति और अल्पसंख्यकों की राजनीति के सहारे ही मैदान में उतरी है।पिछले कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से जाति की राजनीति चरम पर भी है।
UP Legislative Assembly Election 2022 Update किसान,बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे गायब हो गए हैं। विपक्ष का पूरा जोर जाति की राजनीति के सहारे ही चुनाव जीतने का है।इसके लिये बीजेपी को ठक्कर देती दिख रही सपा ने पिछड़ों और मुसलमानों को अपना चुनावी आधार बना लिया है।जबकि दूसरी तरफ बीजेपी अपने पुराने एजेंडे हिंदुत्व और कानून व्यवस्था के सहारे ही फिर से सरकार बनाने को लेकर निश्चिन्त है।बिहार के बाद यूपी दूसरा बड़ा ऐसा राज्य है जहां पर जाति की राजनीति और हिंदुत्व के बीच जंग छिड़ेगी। बीजेपी के नेता दावा कर रहे हैं कि विकास और मंदिर के नाम पर उनकी सरकार फिर बनेगी।लेकिन असल एजेंडा हिंदुत्व ही रहने वाला है।इसलिये बीजेपी ने गोरखपुर शहर से मुख्यमंत्री योगी को रणनीति के तहत ही चुनाव मैदान में उतारकर हिंदुत्व की राजनीति को गर्मा दिया है।
इसके साथ अपनी पहली लिस्ट में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट न दे कर बीजेपी ने अपना एजेंडा साफ कर दिया ।दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी पिछड़ों व अल्पसंख्यकों की राजनीति के सहारे जीत की उम्मीद कर रही है। सपा ने अपनी पहली सूची में ठीक ठाक संख्या में मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे भी हैं। बीजेपी से सपा में शामिल हुये अधिकांश नेता भी पिछड़ी जाति के ही हैं। जिनसे यही संदेश दिलवाया गया है कि बीजेपी में पिछड़ों की सुनवाई नही होती।हालांकि बीजेपी का दावा है केंद्र से लेकर राज्य तक सबसे ज्यादा मंत्री पिछड़ी जाति के उनकी सरकार में ही हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय मन्त्रिमण्डल विस्तार के समय बड़ी संख्या में ओबीसी नेताओं को मंत्री बना बड़ा सन्देश भी दिया था।तभी संकेत मिल गए थे यूपी में जाति की राजनीति फिर गर्माएगी।
यूपी में यूं तो चार प्रमुख दल चुनाव मैदान में हैं। लेकिन असल ठक्कर बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच मानी जा रही है। बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस मैदान हैं जरूर लेकिन महज औपचारिकता के लिए। बसपा वोट काटने का काम कर रही है।रही बात कांग्रेस की तो प्रियंका गांधी अकेले अपनी तरह का प्रयोग कर रही हैं। सारे पुराने नेताओं को साइड किया हुआ। प्रदेश की आधी आबादी महिलाओं को टारगेट कर चुनाव जीतने की उम्मीद पाले हुए हैं।125 प्रत्याशियों की पहली सूची में 50 महिलाओं को टिकट दे बड़ा दांव खेला है। (UP Legislative Assembly Election 2022 Update) बेरोजगारी और किसानों के मुद्दों को कांग्रेस ने भी भुला दिया है। बसपा के पास कोई मुद्दा है नही। असल में भाजपा और समाजवादी पार्टी चुनाव लड़ते दिख रहे हैं।दोनों दलों के नेताओं की प्रतिबंध लगने से पहले हुई रैलियों में भीड़ भी खूब देखने को मिली।भीड़ से उत्साहित सपा नेता अखिलेश यादव अपने पुराने जातीय समीकरण के सहारे तमाम दावे करने लगे।असल मुद्दों को छोड़ अखिलेश ने जातीय राजनीति की तरफ रुख कर दिया।बीजेपी से आये ओबीसी के स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे तमाम दर्जन भर नेताओं को सपा में शामिल कर पिछड़ों की राजनीति का सन्देश देने की कोशिश की।
अखिलेश के चुनावी रणनीतिकारों का समीकरण है 19 प्रतिशत मुसलमान,9 प्रतिशत यादव,बाकी ओबीसी के 33 प्रतिशत वोटरों में से आधे भी मिले तो एक तरफा जीत पक्की। इनके साथ 20 प्रतिशत दलित मे से कुछ और 19 प्रतिशत मे से एक चौथाई सवर्ण भी वोट दे दें तो फिर बीजेपी पर संकट तय है। सपा का एक और आंकलन है कांग्रेस सर्वणों के वोट काटेगी उसका लाभ भी उन्हें ही मिलेगा। सपा के रणनीतिकारों का यह भी दावा है कि इस बार मुसलमान अपना वोट दूसरे दल को दे कर खराब नही करेगा। (UP Legislative Assembly Election 2022 Update) जयंत चौधरी से गठबंधन का पश्चिम उत्तर प्रदेश में लाभ मिलेगा । सपा के रणनीतिकारों का यह आंकलन सही साबित हुआ तो बीजेपी की फिर करारी हार तय है।सपा का यह आंकलन ठीक उसी तरह का दिख रहा है जैसे 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का था।कांग्रेस का आंकलन था कि राजस्थान, मध्य्प्रदेश, हरियाणा,छतीसगढ़,दिल्ली,बिहार,झारखंड ,पंजाब,उत्तराखण्ड,जम्मू कश्मीर,हिमाचल,महाराष्ट्र में बीजेपी 2014 वाला प्रदर्शन दोहरा नही पाएगी और उनकी आसानी से वापसी हो जाएगी।लेकिन ऐसा नही हुआ।बीजेपी ने पुराना हिंदुत्व का दांव खेल 2014 से भी ज्यादा सीटें जीत ली।
अब यूपी में भी ठीक उसी तरह की लड़ाई के आसार बनते जा रहे हैं। यह तय हो गया है कि बीजेपी धर्म और हिदुत्व को ही अपना असल चुनावी हथियार बनाएगी। मुख्यमंत्री योगी के चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही हिंदुत्व का मुद्दा फ्रंट में आ गया। इसके साथ योगी के राज खत्म हुई गुंडागर्दी और विकास को भी प्रमुख मुद्दा बनाएगी। बीजेपी ने शनिवार को टिकट वितरण के समय संकेत दे भी दिए कि किन मुद्दों पर वह मैदान में उतरने वाली है। इसमें कोई दो राय नही है कि विपक्ष की जाति की राजनीति की सबसे बड़ी काट हिंदुत्व ही है। योगी अपने आप मे हिंदुत्व का बड़ा चेहरा है, इनके साथ कानून व्यस्था में सुधार को बीजेपी बड़ा मुद्दा बनाएगी। बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहले ही अपना बड़ा चेहरा बना रखा है।पिछड़ों की राजनीति का तोड़ भी मोदी ही हैं।क्योंकि मोदी ओबीसी से आते हैं। आज वे देश के सर्वोच्च पद पर हैं। बीजेपी का आंकलन है इसके चलते 42 प्रतिशत ओबीसी में आधे से ज्यादा वोट उन्हें मिलेगा।
20 प्रतिशत उच्च जाति का पूरा वोट भी उसे मिलना तय है। ब्राह्मण किसी दूसरे दल को वोट नही देगा। प्रदेश की कानून व्यवस्था में सुधार के चलते अगड़ी जाती बीजेपी को ही वोट करेगी। दलित वोट का बड़ा हिस्सा बीजेपी को मिल सकता है। क्योंकि सपा के साथ दलित वोट कम ही जाता है। इसलिये अखिलेश ने दलित नेता चन्द्रशेखर प्राण को ज्यादा महत्व नही दिया। बीजेपी का एक आंकलन यह भी है कि ओवैसी की पार्टी मुसलमानों का वोट जरूर काटेगी। बीजेपी पूर्वी यूपी में हिंदुत्व के एजेंडे को ज्यादा भुनायेगी । योगी के गोरखपुर से उतरने का बीजेपी को पूर्वी यूपी में बड़ा लाभ मिल सकता है।इससे वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता होगा। योगी,मंदिर,काशी,कश्मीर से अनुछेद 370 को खत्म करना।ये ऐसे मुद्दे हैं जो जाति की राजनीति पर भारी पड़ सकते हैं।मुस्लिम वोट जहाँ एक तरफा पड़ेगा वहीं यह मुद्दे वोटों का धुर्वीकरण कर सकते हैं।पश्चिम उत्तर प्रदेश में हिंदुत्व के साथ कानून व्यवस्था बड़ा एजेंडा बीजेपी का हो सकता है। किसान आंदोलन में सरकार की भूमिका से जाट नाराज बताए जाते हैं।
नाराज जाटों को राजी करने के लिये बीजेपी हिंदुत्व का कार्ड तो खेलेगी ही साथ ही सुधरी कानून व्यवस्था की याद दिलवाएगी। सपा के राज में हुए मुज्जफरनगर के दंगे और पलायन भी पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक बार फिर बड़ा मुद्दा होगा। इसीलिये कैराना से मृगांका सिंह को टिकट दिया गया है। उन्होंने हिंदुओ के पलायन के मुद्दे को उठाया था। प्रधानमंत्री मोदी भी खुद अपने भाषणों में पलायन का जिक्र कर दंगो की याद दिलवा चुके हैं। समाजवादी पार्टी ने जाटों के वोटों की खातिर लोकदल के जयंत चौधरी से पश्चिम उत्तर प्रदेश के लिये गठबंधन किया है। पश्चिम उत्तर प्रदेश में ही मथुरा,अलीगढ़ और मेरठ जैसे ऐसे शहर आते हैं जो जरा सी बात पर पश्चिम उत्तर प्रदेश में वोटों का धुर्वीकरण करा सकते हैं। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थल खाली करवाने की चर्चा और मेरठ का कार चोर बाजार सोतीगंज को बंद करवाना का मुद्दा भी ध्रुवीकरण के लिये बहुत हैं। इसलिये 10 मार्च को यही देखना होगा की यूपी में हिंदुत्व भारी पड़ा या मुस्लिम व जाति का कार्ड चला।
Read More: Cases of Covid Infection in India आज मिले कोरोना के 2.68 लाख नए संक्रमित
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.