Hindi News / Madhya Pradesh / Mauganj Violence Update People Locked The Sdop In A Room After Being In Captivity For Hours He Saved His Life In This Way Came Out And Narrated A Soul Stirring Story

लोगों ने SDOP को कमरे में किया बंद, घटों कैद में रहने के बाद इस तरह बचाई जान, बाहर आकर सुनाई रूह कंपा देने वाली आपबीती

Mauganj Violence Update: मऊगंज जिले के शाहपुरा थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में आदिवासी समुदाय ने एक युवक को बंधक बनाकर पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची, लेकिन हालात को नियंत्रित करने के दौरान आदिवासियों ने पुलिस पर ही हमला कर दिया

BY: Pratibha Pathak • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज),Mauganj Violence Update: मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले में शनिवार को हिंसा भड़क उठी, जब आदिवासी समुदाय और पुलिस के बीच टकराव हो गया। इस दौरान एसडीओपी (SDOP) अंकिता शूल्या को आरोपियों ने बंधक बना लिया और उन्हें जान से मारने की धमकी दी। हालात इतने गंभीर हो गए कि पुलिस को हवाई फायरिंग करनी पड़ी, तब जाकर उनकी जान बच पाई।

कैसे घिरीं SDOP अंकिता शूल्या?

मऊगंज जिले के शाहपुरा थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में आदिवासी समुदाय ने एक युवक को बंधक बनाकर पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची, लेकिन हालात को नियंत्रित करने के दौरान आदिवासियों ने पुलिस पर ही हमला कर दिया। इस हिंसक झड़प में एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गई, जबकि कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसी बीच भीड़ ने SDOP अंकिता शूल्या को घेर लिया और एक कमरे में बंद कर दिया। आरोपियों की मांग थी कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा किया जाए, लेकिन अंकिता शूल्या ने DIG-SP के आदेश के बावजूद ऐसा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने दो टूक कहा कि दोषियों को सजा दिलाना उनका कर्तव्य है।

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Mauganj Violence Update: लोगों ने SDOP को कमरे में किया बंद, घटों कैद में रहने के बाद इस तरह बचाई जान

आग लगाने की धमकी और रूह कंपा देने वाली आपबीती

SDOP अंकिता शूल्या ने इस पूरी घटना को लेकर जो बयान दिया, वह किसी भी पुलिस अधिकारी के साहस को दर्शाने के लिए काफी है। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने कमरे में आग लगाने की धमकी दी थी और लगातार उन पर दबाव बना रहे थे। करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक उन्हें बंधक बनाकर रखा गया। हालात तब और बिगड़ गए जब पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच पथराव शुरू हो गया। पुलिसकर्मियों को बुरी तरह से घायल होते देख आखिरकार हवाई फायरिंग की गई, जिसके बाद SDOP को सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस दौरान कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए, लेकिन पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने का अभियान जारी रखा।

आखिर क्यों हुआ यह विवाद?

इस पूरे विवाद की जड़ दो महीने पुरानी एक घटना से जुड़ी थी। बताया जा रहा है कि दो महीने पहले आदिवासी समुदाय के एक सदस्य अशोक कुमार आदिवासी की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। परिवार का आरोप था कि यह महज हादसा नहीं, बल्कि हत्या थी, जिसे सनी द्विवेदी नाम के युवक ने अंजाम दिया था। हालांकि, पुलिस जांच में इसे दुर्घटना माना गया और सनी को क्लीनचिट दे दी गई। इससे आदिवासी समुदाय असंतुष्ट था और उन्होंने शनिवार को एकजुट होकर सनी द्विवेदी को बंधक बना लिया। उसे कमरे में बंद कर बुरी तरह पीटा गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। जब पुलिस उसे बचाने पहुंची, तो हिंसा भड़क उठी और पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया गया।

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अब तक 20 गिरफ्तार, सरपंच और पत्रकारों की भूमिका संदिग्ध

पुलिस ने इस मामले में अब तक 20 आरोपियों को हिरासत में लिया है, जबकि कई और की तलाश जारी है। दिलचस्प बात यह है कि इस हिंसा में स्थानीय सरपंच, पूर्व सरपंच और कुछ पत्रकारों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है, जिनसे पूछताछ की जा रही है। घटना के बाद प्रशासन ने गड़रा गांव में धारा 144 लागू कर दी और आसपास के जिलों से भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया। इस हिंसक झड़प में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

पुलिस पर बढ़ा दबाव, निष्पक्ष कार्रवाई का वादा

इस घटना ने मध्य प्रदेश पुलिस के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। एक ओर आदिवासी समुदाय अपने न्याय की मांग कर रहा है, तो दूसरी ओर पुलिस प्रशासन कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। पुलिस अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे वे किसी भी पक्ष के हों। मऊगंज में हुए इस बवाल ने एक बार फिर दिखा दिया कि कानून को हाथ में लेना किसी भी स्थिति में सही नहीं है। इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के बाद ही असली दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी।

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Ankita ShulyaMauganj Violence Update

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