India News (इंडिया न्यूज़),MP News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एजी ऑफिस पुल की जमीन के स्वामित्व को लेकर सिंधिया परिवार के कमलाराजे ट्रस्ट द्वारा 7 करोड़ का मुआवजा मांगे जाने मामले में पेश किए गए दावे में अब प्रशासन को जवाब पेश करने का अवसर नहीं मिलेगा ? कोर्ट में हुई सुनवाई में शासन की और से प्रभारी अधिकारी तहसीलदार बीमारी का हवाला देते हुए जवाब पेश करने में असमर्थता जताते हुए आवेदन दिया लेकिन कोर्ट ने आवेदन खारिज करके शासन का हक समाप्त कर दिया है। अब इस मामले में कानून के जानकार और कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अवांछित लाभ देने के लिए लचीली प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
गौरतलब है कि ग्वालियर में सिंधिया परिवार से ताल्लुक रखने वाले कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने एजी ऑफिस फुल की जमीन पर अपना दावा जताते हुए 7 करोड़ रुपये के मुआवजे की मांग सरकार से की है, और इसी मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है। लेकिन शासन की ओर से समय पर जवाब प्रस्तुत न करने के कारण अब कोर्ट ने प्रशासन का भविष्य में जवाब पेश करने का अधिकार भी समाप्त कर दिया, यानी कि अब इस मामले में शासन की ओर से कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जा सकेंगे।
पिछली सुनवाई में इस केस के प्रभारी अधिकारी तहसीलदार शिवदत्त कटारे की ओर से आवेदन पेश करते हुए चार सप्ताह का समय मांगा गया था। लेकिन कोर्ट ने आवेदन खारिज कर 600 रुपये का जुर्माना भी लगाया था, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामला 2018 से लंबित है, ऐसे में वादी साक्ष्य के लिए सुनवाई 11 अगस्त को होगी। लेकिन कोर्ट में मध्य प्रदेश सरकार यानी जिला प्रशासन की ओर से जवाब प्रस्तुत करने के लिए कई बार समय दिए जाने के बाद भी जवाब समय पर प्रस्तुत न किए जाने का मामला अब राजनीतिक तूल पकड़ता जा रहा है, कानून विद और कांग्रेस ने शिवराज सरकार पर निशान साधाते हुए कहा है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अवांछित लाभ देने के लिए लचीली प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
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