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इंडिया न्यूज, होशियारपुर (पंजाब)। 6-year-old Hrithik dies after falling in Hoshiarpur borewell: पंजाब (Punjab) में होशियारपुर (Hoshiarpur) जिले के गढ़दीवाला एरिया के बैरमपुर चंबोवाल गांव (Village Bairampur Chambowal) में कुत्ते से डरकर 80 फुट गहरे बोरवेल (borewell) में गिरे 6 साल के मासूम ऋतिक (Hrithik) को सेना (Army) और एनडीआरएफ (NDRF) की टीम ने 8 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद बोरवेल से तो बाहर निकल लिया, लेकिन उसकी जान नहीं बचा सके। बोरवेल से निकालने के बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Maan) ने पीड़ित परिवार को दो लाख रुपये की राहत राशि देने के लिए जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री मान ने ट्वीट (CM Bhagwant Maan’s tweet) कर कहा कि भगवान पीड़ित परिवार को दुख की इस घड़ी को सहन करने की शक्ति दे।
चिकित्सकों ने कहा कि ऋतिक की मौत (Hrithik’s death) बोरवेल से बाहर निकालने से करीब एक घंटा पहले ही हो चुकी थी। उसका शरीर अकड़ चुका था। बच्चे को अंबुबैग से सांस देने की भी कोशिश की गई। इंजेक्शन भी लगाए, लेकिन शरीर में कोई हरकत नहीं हुई। इसके बाद ऋतिक को मृत घोषित कर दिया गया।
ऋतिक के माता-पिता खेत में मजदूरी कर रहे थे। ऋतिक के पीछे जब कुत्ता दौड़ा तो वह चिल्लाते हुए बोरवेल की ओर भागा। आसपास के खेतों में काम कर रहे लोगों ने ऋतिक के चिल्लाने पर उसकी ओर देखा। लोगों ने कुत्ते को भगाने के लिए आवाजें लगाई मगर उनकी नजरों के सामने ही ऋतिक बोरवेल में गिर गया। यह देखकर लोगों ने शोर मचा दिया। तुरंत ही आसपास के खेतों में काम कर रहे लोग और ग्रामीण इकट्ठा हो गए।
कुत्ते से बचने के लिए ऋतिक दौड़ते हुए खेतों में स्थित बोरवेल के ढाई फीट ऊंचे पाइप पर चढ़ गया। बच्चा बोरवेल पर बंधी बोरी के साथ ही अंदर जा गिरा था। बच्चे के वजन से बोरी धीरे-धीरे इस गहराई तक पहुंची, जहां पानी मौजूद था। लगातार कई घंटे तक पानी में रहने के कारण बच्चे के हाथ-पांव सफेद हो गए थे।
ऋतिक को बचाने के लिए दो तरफ काम किया जा रहा था। एक ओर जहां खेत में जेसीबी मशीनों से खुदाई शुरू की गई, वहीं बोरवेल में रस्सी की मदद से बच्चे तक पहुंचने का प्रयास किया गया। अंत में उसे रस्सी की मदद से ही बाहर निकाला गया।
हालांकि किस तकनीक से बच्चे को बाहर निकाला जाए, इसका फैसला लेने में ही रेस्क्यू टीमों ने करीब तीन घंटे का समय बर्बाद कर दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बोरवेल पर पक्का ढक्कन नहीं था, उसे बोरी से बांध रखा था।
बच्चे की स्थिति के बारे में पता लगाने के लिए बोरवेल में कैमरा डालकर देखा गया। उस समय ऋतिक बेहोश दिखा। उसे बचाने के लिए सेना की विशेष टीम को बुलाया गया। एनडीआरएफ की टीम भी बुलाई गई। गांव खियाला में मजदूर का बेटा मानसिक रूप से विक्षिप्त बताया जा रहा था।
मौके पर पहुंचते ही समाजसेवी संस्थाओं ने तुरंत आक्सीजन के सिलेंडर मंगवाए और बोरवेल के भीतर आक्सीजन गैस छोड़ी ताकि बच्चे को सांस लेने में दिक्कत न हो। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि घटना के कुछ समय बाद तक बोरवेल से ऋतिक की आवाज आती रही। वह रो-रोकर मदद मांग रहा था। कुछ समय बाद आवाज आनी बंद हो गई।
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