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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
India Union Budget 2022: जब हम लोग हर माह अपने घर का बजट बनाते हैं तो कितना सोचते हैं। जैसे-कहां से कितनी आमदनी होगी और कहां कितना खर्च होगा। हाथ पर कुछ पैसे बचेंगे या उधार लेना होगा। कहां-कहां खर्च में कटौती संभव है और कहां उम्मीद से अधिक पैसा खर्च हो सकता है। यह सब हमें सोचना पड़ता है।
ठीक उसी तरह जब देश का बजट तैयार होता है तो यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण होती है। लंबे समय से इसकी तैयारी चलती है। हजारों लोग दिन-रात एक करके पूरा हिसाब-किताब लगाते हैं। आइए इस लेख के जरिए जानते हैं कि क्या होता है बजट, क्यों होता है देश के लिए जरूरी और इसे तैयार होने में कितने माह लगते हैं।
जैसा कि सभी जानते हैं कि इस साल का बजट ऐसे समय में आ रहा है जब देश कोरोना की तीसरी लहर से जूझ रहा है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज मंगलवार को बजट पेश करने जा रही हैं। (India Union Budget 2022) इसमें पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि इससे न केवल सरकार देश की आर्थिक स्थिति का लेखा-जोखा पेश करती है। बल्कि इसी से देश के आर्थिक भविष्य की रूपरेखा भी तय होती है। ऐसे में ये बजट आम के लिए और भी महत्वपूर्ण है।
भारतीय संविधान के आर्टिकल 112 के अनुसार, केंद्रीय बजट देश का सालाना फाइनेंशियल लेखा-जोखा होता है। (what is budget) केंद्रीय बजट किसी खास वर्ष के लिए सरकार की कमाई और खर्च का अनुमानित विवरण होता है। सरकार बजट के जरिए विशेष वित्तीय वर्ष के लिए अपनी अनुमानित कमाई और खर्च का विवरण पेश करती है। यूं कहें कि किसी वर्ष के लिए केंद्र सरकार के वित्तीय ब्योरे को केंद्रीय बजट कहते हैं। सरकार को हर वित्त वर्ष की शुरूआत में बजट पेश करना होता है।
भारत में वित्त वर्ष का पीरियड एक अप्रैल से 31 मार्च तक का होता है। देश का केंद्रीय बजट इसी अवधि के लिए पेश किया जाता है। दरअसल, बजट के जरिए सरकार यह तय करने का प्रयास करती है कि आगामी वित्त वर्ष में वह अपनी कमाई की तुलना में किस हद तक खर्च कर सकती है।
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देश का बजट सत्र राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होता है। दरअसल, किसी भी सत्र की शुरूआत या नई सरकार के गठन के बाद संसद का पहला सत्र राष्ट्रपति के संबोधन से शुरू होता है। संसद में बजट पेश करने से पहले राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी जरूरी होती है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इसे कैबिनेट के सामने रखा जाता है और उसके बाद संसद के दोनों सदनों में इसे पेश किया जाता है।
बजट पेश होने के बाद इसे संसद के दोनों सदनों, यानी लोकसभा और राज्यसभा, से पास कराना जरूरी होता है। दोनों सदनों से पास होने के बाद बजट आगामी वित्त वर्ष के पहले दिन, यानी एक अप्रैल से लागू हो जाता है। देश में मौजूदा वित्त वर्ष की अवधि एक अप्रैल से 31 मार्च तक होती है।
बजट दस्तावेज को वित्त मंत्रालय के चुनिंदा अफसर तैयार करते हैं। बजट दस्तावेज लीक नहीं होने पाए इसके लिए इसमें इस्तेमाल होने वाले सभी कंम्प्यूटरों को दूसरे नेटवर्क से डीलिंक कर दिया जाता है। बजट पर काम करने वाले अफसरों और कर्मचारियों को दो से तीन हफ्ते तक नॉर्थ ब्लॉक के दफ्तरों में ही रहना पड़ता है। इस दौरान उन्हें बाहर जाने की इजाजत भी नहीं होती है।
(When was the budget presented for the first time in the country) कहते हैं कि स्वतंत्र भारत का पहला बजट देश में 26 नवंबर 1947 को षणमुखम चेट्टी ने पेश किया था। इसमें केवल इकोनॉमी का रिव्यू किया गया था और कोई टैक्स नहीं लगाया गया था। षणमुखम के बाद वित्तमंत्री जॉन मथाई ने पहला संयुक्त-भारत बजट पेश किया था। इसमें रजवाड़ों के तहत आने वाले विभिन्न राज्यों का वित्तीय ब्योरा भी पेश किया गया था।
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