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दीपावली पर आगरा के कैदी बना रहे हैं गोबर से दीये, करीब 1 लाख दीपक तैयार करने का है लक्ष्य

दिपावली वो शूभ दिन है जिस दिन हर किसी को दीपक जला कर अपने घर के अंधेरे के साथ – साथ अपने मन के अंधेरे को खत्म करने का बराबर हक है। ऐसे में इस दिन को बेहद खास और रोशनी से भरपूर बनाने के लिए आगरा जिला कारागार के कैदियों ने कुछ अलग और […]

BY: Priyanshi Singh • UPDATED :
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दिपावली वो शूभ दिन है जिस दिन हर किसी को दीपक जला कर अपने घर के अंधेरे के साथ – साथ अपने मन के अंधेरे को खत्म करने का बराबर हक है। ऐसे में इस दिन को बेहद खास और रोशनी से भरपूर बनाने के लिए आगरा जिला कारागार के कैदियों ने कुछ अलग और खास करने की कोशीश की है । दरअसल यहां कैदी हिन्दू धर्म में पवित्र माने जाने वाले गाय के गोबर से दीया बना रहे हैं। जिसे दिपावली के दिन इस्तेमाल किया जाएगा।

दीपकों की कीमत प्रति दीपक 40 पैसे

जिला कारागार आगरा के अधीक्षक ने बताया, “करीब 1 लाख दीपक तैयार करने का लक्ष्य है जिसमें से 51,000 दीपक गायत्री शक्तिपीठ को और शेष दीये कैदियों से मिलने आए लोगों को दिया जाएगा।” उन्होने ने आगे बताया “ये जो दीपक कैदियों के द्वारा बनाई गई है इसका दाम बहुत कम है। इन दीपकों की कीमत प्रति दीपक 40 पैसे रखी गई है और यह पूर्ण रूप से गाय के गोबर से तैयार किए गए हैं जिसके लिए गोबर जेल में मौजूद गौशाला की गायों से मिलता है।”

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दिपावली

गोबर से बने दीपक का महत्व

  • गोबर से बनी सामग्री पूरी तरह से इको फ्रेंडली है, जिससे प्रदूषण नहीं फैलाता। मिट्टी में तत्काल मिल जाने से खाद का भी काम करता है।
  • इनके जलाने से पर्यावरण में मौजूद दूषित कण समाप्त हो जाते हैं।
  • हिदू रीति-रिवाज में गाय के गोबर की पूजा होती है। इसे शुद्ध माना जाता है।

पिछली बार भी जेल में गोबर के दीयों का किया गया था इस्तेमाल 

बता दें 2021 की दीपावली भी आगरा के जेल में गोबर के दीपक ही जलाए गए थे। बंदियों ने गाय के गोबर से तैयार 51000 हजार दीपकों से जिला जेल को जगमग किया था। बता दें जिला-जेल प्रशासन ने पीछली बार दीपावली पर बंदियों की मदद से कारागार परिसर को गाय के गोबर के तैयार दीपकों से रोशन करने का निर्णय लिया था।जेल परिसर में बनी गोशाला में 100 से ज्यादा गोवंश हैं। परिसर में रोशनी के लिए 51 हजार दीपक बनने थे। इसके लिए तीन दर्जन से अधिक बंदियों ने दशहरा के बाद से गाय के गोबर से दीपक बनाने का काम शुरू कर दिया था। धनतेरस पर बंदियों ने 51 हजार दीपक तैयार कर लिए। दीपावली पर सभी बंदियों को यह दीपक उपलब्ध कराए गए थे। उन्होंने शाम को जेल के स्टाफ के साथ मिलकर अपनी बैरकों के बाहर इन दीपकों को सजाया थी।

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