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इंडिया न्यूज नई दिल्ली :
Space Mission भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के Chandrayaan-2 orbiter और अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA के Lunar Reconnaissance Orbiter (LRO) के बीच अंतरिक्ष में पिछले महीने टक्कर होने की आशंका पैदा हो गई थी जिसे Chandrayaan-2 orbiter के मार्ग में परिवर्तन कर टालने में इसरो ने कामयाबी हासिल कर ली।
इसरो ने कल बयान जारी कर यह जानकारी दी। इसरो नियमित रूप से ऐसे महत्वपूर्ण करीबी दूरी के आॅब्जेक्ट्स की निगरानी करता है। हालांकि, यह पहली बार है जब इसरो के एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अन्वेषण मिशन के लिए इस तरह की कवायद करने की जरूरत पड़ी।
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इसरो के अधिकारियों ने बताया कि 20 अक्टूबर को CH2O और LRO चंद्रमा के उत्तरी ध्रुव के पास एक-दूसरे के बेहद करीब आने वाले थे। उन्होंने बताया कि दोनों ही एजेंसियों (NASA and ISRO) ने एक सप्ताह पहले से स्थिति का विश्लेषण करना शुरू कर दिया था और इस नतीजे पर पहुंचे थे कि निर्धारित समय पर दोनों आॅर्बिटर के बीच रेडियल दूरी 100 मीटर से भी कम जबकि बिल्कुल नजदीकी पहुंच दूरी करीब 3 किलोमीटर रह जाएगी।
नासा व इसरो ने माना कि दोनों की संभावित टक्कर को टालने के लिए उपाय करने (CAM) की जरूरत है। इसके लिए सीएच2ओ की कक्षा को बदलना होगा। इसके बाद इसरो ने 18 अक्टूबर को चंद्रयान2 आॅर्बिटर की नई कक्षा निर्धारित की और ये भी सुनिश्चित किया कि निकट भविष्य में दोनों की ऐसी कोई निकटता न हो। चंद्रयान2 आॅर्बिटर की तरह एलआरओ भी चंद्रमा की ध्रुवीय कक्षा में परिक्रमा करता है और इसलिए, दोनों अंतरिक्ष यान चंद्र ध्रुवों पर एक दूसरे के करीब आते हैं। बता दें कि पृथ्वी की कक्षा में उपग्रहों के मलबे और अन्य अंतरिक्ष वस्तुओं के कारण टकराव के जोखिम को कम करने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए सीएएम की कवायद सामान्य गतिविधि है।
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