Monkey Hanumant Death
Monkey Hanumant Death: ओडिशा के पुरी से अजब-गजब मामला सामने आया है, जिसने हर किसी को पूरी तरह से हैरान कर दिया है. जहां, पुरी जिले के पिपिली क्षेत्र में स्थित दुर्गादासपुर बाजार में मानव और पशु के स्नेह की बड़ी ही अनोखी कहानी देखने को मिल रही है. आखिर क्या है पूरा मामला जानने के लिए पूरी खबर पढ़िए.
दरअसल, यह अजब-गजब घटना ओडिशा के पुरी के पिपिली क्षेत्र में स्थित दुर्गादासपुर बाजार की है. जहां इंसानों और जानवरों के बीत पशु स्नेह का अनोखा मिश्रण देखने को मिल रहा है. स्थानीय बाजार समुदाय ने एक प्यारे बंदर ‘हनुमंत’ के निधन पर न केवल हिंदू परंपराओं के अनुसार अंतिम संस्कार किया, बल्कि उसके लिए एक भव्य श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया. इसके साथ ही सामूहिक प्रार्थना भोज भी आयोजित की गई.
स्थानीय लोगों के लिए ‘हनुमंत’ केवल एक जानवर नहीं, बल्कि उनके बाजार समुदाय का सबसे ज्यादा चहेता सदस्यों में से एक था. दुकानदारों ने उसके निधन पर जानकारी देते हुए बताया कि हनुमंत पिछले तीन सालों में बाज़ारों में पूरी आज़ादी के साथ घूमता रहता था. सब उसे बेहद ही पसंद और खूब प्यार भी करते थे.
‘हनुमंत’ को लोग प्यार से हनु भी बुलाया करते थे. दुकानदारों ने आगे कहा कि हनु को रोज़ दुकानों से खाना मिलता था, और बदले में वह रात में पूरे इलाके की निगरानी और रखवाली का काम भी अच्छी तरह से करता था, ताकि इलाके में चोरी की घटनाएं कम हो सके और बदमाश इलाके में आने से डरें. इसके अलावा लोगों ने साथ ही यह भी बताया कि हनुमंत बेहद शांत स्वभाव का था और बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के करीब था.
कुछ दिन पहले पुरी-भुवनेश्वर राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक वाहन की चपेट में आने से हनुमंत की मौके पर ही मौत हो गई, जिससे पूरा बाजार शोक में डूब गया. लोगों के गहरे भावनात्मक जुड़ाव को देखते हुए, दुर्गादासपुर मार्केट समिति ने उसे सम्मानजनक विदाई देने का फैसला लिया. जहां, हनुमंत का अंतिम संस्कार स्थानीय श्मशान घाट में पूरी तरह से हिंदू परंपराओं के अनुसार ही किया गया. लोगों ने उसे नम आंखों के साथ विदाई दी.
अंतिम संस्कार की क्रिया के बाद बाजार चौक में एक बड़ा टेंट लगाकर दशहां (दसवीं) और सामूहिक भोज का आयोजन किया गया. जिसमें भजन-कीर्तन के बीच हुए इस आयोजन का माहौल किसी बुजुर्ग इंसान की श्रद्धांजलि सभा जैसा ही देखने को मिला. इसके साथ ही पोस्टर पर “श्रद्धांजलि हनुमंत” भी लिखा हुआ था.
इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने हिस्सा लिया था. यह घटना साबित करती है कि संवेदनाएं और स्नेह जाति, धर्म और प्रजाति की सीमाओं से परे होते हैं.
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