Himachal School Principal Cheque Mistake: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) का एक वाकया इन दिनों सोशल मीडिया (Social Media) पर खूब चर्चा का विषय बना हुआ है. यह मामला किसी बड़ी राजनीतिक हलचल या अपराध से जुड़ा नहीं है, बल्कि एक साधारण से बैंक चेक से जुड़ा है. लेकिन इस चेक में की गई स्पेलिंग की गलतियां इतनी बड़ी थीं कि न केवल बैंक ने इसे रिजेक्ट कर दिया, बल्कि इसने पूरे सरकारी स्कूल शिक्षा तंत्र की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए.
क्या है पूरा मामला?
यह घटना हिमाचल प्रदेश के एक सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल की है, जहां स्कूल के प्रिंसिपल ने मिड-डे मील (Mid-Day Meal) वर्कर अत्तर सिंह को भुगतान करने के लिए 7,616 रुपये का चेक जारी किया. सामान्य तौर पर यह एक सीधी-सादी प्रक्रिया थी, लेकिन जब अत्तर सिंह बैंक पहुंचे और पैसा निकालने की कोशिश की, तो बैंक अधिकारियों ने चेक स्वीकार करने से मना कर दिया.
बैंक ने चेक क्यों किया रिजेक्ट?
बैंक की ओर से चेक रिजेक्ट करने का कारण था रकम को शब्दों में गलत तरीके से लिखा जाना। चेक पर प्रिंसिपल ने Seven thousand six hundred sixteen की जगह Saven Thursday Six Harendra Sixty लिख दिया, जिसके कारण पूरे चेक को अमान्य बना दिया.
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर
अत्तर सिंह को समझ नहीं आया कि आखिर उनका चेक क्यों रिजेक्ट किया गया. लेकिन जब चेक की तस्वीर सोशल मीडिया पर पहुंची, तो सारा मामला साफ हुआ. जैसे ही तस्वीर वायरल हुई, लोगों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं देनी शुरू कर दीं. कुछ लोगों ने इसे मज़ाक का विषय बना लिया तो कई यूजर्स ने इसे सरकारी शिक्षा व्यवस्था की गंभीर खामी बताया.
उठे सवाल – शिक्षक ही अगर गलतियां करें तो…?
इस घटना ने आम जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया. लोग कहने लगे कि अगर एक सरकारी स्कूल का प्रिंसिपल इस स्तर की स्पेलिंग मिस्टेक्स करता है, तो बच्चों को कैसी शिक्षा दी जा रही होगी? कई यूजर्स ने सरकारी स्कूलों के स्तर की तुलना प्राइवेट स्कूलों से की और कहा कि यही वजह है कि माता-पिता अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों के बजाय प्राइवेट स्कूलों में भेजना पसंद करते हैं.