Bihar Chunav 2025: विधायक की कमाई और प्रॉपर्टी कितनी होती है? जानिए चौंकाने वाले आंकड़े
Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं, और चुने गए विधायक जनता के प्रतिनिधि के रूप में कानून बनाने और नीतियों पर फैसला लेते हैं। एक विधायक की बेसिक तनख्वाह 40,000 रुपये होती है, लेकिन भत्तों और सुविधाओं को जोड़ने पर उनकी मासिक आय बढ़कर लगभग 2.5 से 3 लाख रुपये तक पहुँच जाती है। इन भत्तों में यात्रा, क्षेत्रीय खर्च, टेलीफोन, बिजली-पानी, ऑफिस खर्च और स्टाफ का खर्च शामिल होता है आइए जानतें हैं इसके बारे में…
बिहार के विधायक की बेसिक तनख्वाह
बिहार के एक विधायक की बेसिक सैलरी लगभग 40,000 रुपये महीना है। इस बेसिक सैलरी के अलावा उन्हें तमाम तरह के भत्ते और सुविधाएँ मिलती हैं, जिससे हर महीने उनकी कमाई लाखों तक पहुँच जाती है।
बिहार विधानसभा की कुल सीटें
बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं और हर सीट से जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। चुने गए प्रतिनिधि यानी विधायक (MLA) को न सिर्फ अपने क्षेत्र की समस्याओं को विधानसभा में उठाने का अधिकार होता है, बल्कि कानून बनाने और राज्य की नीतियों पर फैसला लेने का भी हक मिलता है।
कौन बन सकता है MLA?
MLA बनने के लिए सबसे पहले शर्त यह है कि उम्मीदवार भारत का नागरिक हो और उसकी न्यूनतम उम्र 25 साल होनी चाहिए। इसके अलावा वह जिस क्षेत्र से चुनाव लड़ना चाहता है, वहां का मतदाता होना जरूरी है। दिलचस्प बात यह है कि इसके लिए कोई शैक्षणिक योग्यता जरूरी नहीं है यानी अनपढ़ से लेकर पढ़े-लिखे तक कोई भी चुनाव लड़ सकता है।अगर किसी को गंभीर अपराध में दो साल या उससे ज्यादा की सजा हुई है या वह दिवालिया घोषित है तो वह चुनाव नहीं लड़ सकता।
भत्तों से बढ़ जाती है सैलरी
एक बिहार विधायक को बेसिक सैलरी के अलावा कई भत्ते मिलते हैं। इनमें यात्रा भत्ता, क्षेत्रीय भत्ता, टेलीफोन और बिजली-पानी का खर्च, ऑफिस खर्च और यहां तक कि ड्राइवर और सहायक का खर्च भी शामिल है। इन सबको जोड़ दिया जाए तो उनकी हर महीने की आय 2.5 से 3 लाख रुपये तक पहुँच जाती है।
जमानत राशि
नामांकन दाखिल करते समय प्रत्याशी को एक जमानत राशि देनी पड़ती है, सामान्य उम्मीदवारों के लिए लगभग 10,000 रुपये और SC/ST उम्मीदवारों के लिए 5,000 रुपये। अगर प्रत्याशी को तय सीमा से कम वोट मिलते हैं तो यह जमानत जब्त हो जाती है। इसके अलावा चुनाव प्रचार के लिए खर्च की सीमा लगभग 40 लाख रुपये तय की गई है।
संपत्ति और हलफनामा देना क्यों जरूरी है?
चुनाव आयोग ने प्रत्याशी के लिए यह अनिवार्य किया है कि वह अपनी चल-अचल संपत्ति, आय और कर्ज का ब्यौरा एक हलफनामे में दे। इससे जनता जान सके कि उनके नेता की आर्थिक स्थिति क्या है। हालांकि, MLA बनने के लिए न्यूनतम संपत्ति की कोई सीमा तय नहीं है।
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. India News इसकी पुष्टि नहीं करता है