सर्वपितृ अमावस्या पर गंगा स्नान का है बेहद खास महत्व, क्या कहती हैं धार्मिक मान्यताएं; जाने यहां
Sarva Pitru Amavasya 2025: हिंदू धर्म में अमावस्या का खास महत्व है. इस महीने की अमावस्या तिथि को पितरों की तिथि के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है. सर्वपितृ अमावस्या तिथि पर स्नान करने से लोगों को शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस तिथि को पितरों के तर्पण के लिए शुभ तौर पर देखा जाता है. पितरों का पिंडदान, श्राद्ध कर्म और तर्पण इस दिन किया जाता है. साथ ही इसे पितरों की विदाई का दिन भी कहा जाता है. ऐसा करने से घर-परिवार पर पितरों का आशीर्वाद बना रहता है.
पितरों को कराया जाना चाहिए भोजन
आश्विन मास की अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है. मान्यता है कि इस दिन पितरों को तृप्त कर वापस भेजना चाहिए.
इस दिन है सर्वपितृ अमावस्या
सर्वपितृ अमावस्या 21 सितंबर 2025 को पड़ने जा रही है. इस दिन रविवार पड़ रहा है. कहते हैं कि यह दिन पूरी तरह से पितरों को समर्पित होता है. शास्त्रो के अनुसार, इस दिन स्नान, तर्पण और दान करने का विशेष महत्व माना जाता है.
स्नान करना माना जाता है शुभ
सर्वपितृ अमावस्या पर पवित्र नदी या किसी भी तीर्थ स्थल की नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है. जैसे- गंगा, यमुना या कोई अन्य पवित्र नदी. अगर नदी में स्नान करना संभव नहीं है, तो पानी में गंगाजल मिलकर स्नान कर लें.
स्नान करने से सभी पाप धुल जाएंगे
पवित्र नदी में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं. साथ ही आत्मा की शुद्धी भी हो जाती है. स्नान के बाद पिंडदान करने से पितरों को शांति की प्राप्ति होती है.
इस दिन वापस अपने लोक जाते हैं पितर
इस दिन सभी चीजें पवित्र मन से करने के बाद पितृ प्रसन्न होकर सुख और शांति का आशिर्वाद देते हैं. इसके बाद पितरों की आत्मा उच्च लोक वापस चली जाती है.
गंगा स्नान जरूर करें
गंगा स्नान को पाप नाशिनी माना जाता है. यह पवित्र नदी है, इसे मोक्षदायिनी कहा जाता है. गंगा स्नान करने से जन्मों के पाप मिट जाते हैं. इस दिन खास तौर पर जरूरतमंदों को भोजन व दान अवश्य करें.