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नगर पालिका के सदस्य से सीएम तक सफर : दूसरी बार गुजरात सीएम पद की शपथ लेने जा रहे भूपेंद्र पटेल के बारे में जानें

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : December 10, 2022, 6:25 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल 12 दिसंबर को दूसरी बार शपथ लेने के लिए तैयार हैं। ज्ञात हो, 2017 के अपने सबसे बड़े जीत के रिकॉर्ड को उन्होंने (1,17,750 वोट) खुद ही तोड़ दिया है। जानकारी दें, इस बार उन्होंने अपनी घाटलोडिया सीट 1,92,263 वोटों से जीती है, जो फिर से राज्य में सबसे अधिक वोट है।

जानकारी दें, अहमदाबाद शहर की घाटलोडिया सीट पर गुजरात में सबसे ज्यादा मतदाता हैं। भाजपा पहले ही घोषणा कर चुकी थी कि अगर पार्टी को लगातार सातवीं बार राज्य में बहुमत मिलता है, तो भूपेंद्र पटेल ही मुख्यमंत्री होंगे।

राजनीती में भूपेंद्र पटेल का कद

राजनीती में भूपेंद्र पटेल का राजनीतिक कद कितना ऊँचा उठ चूका है। ये इस बात से साफ होता है खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूपेंद्र पटेल की तारीफ करते हुए, उन्हें “मृदु अने मक्कम (सौम्य और दृढ़)” कहा था। पटेल पेशे से एक बिल्डर हैं। उन्हें पिछले साल सितंबर में विजय रूपाणी (Vijay Rupani) की जगह मुख्यमंत्री बनाया गया था। तब पटेल अहमदाबाद के बाहर गुजरात में भी बहुत चर्चित नहीं थें।

भूपेंद्र पटेल का जन्म 15 जुलाई, 1962 को अहमदाबाद में हुआ था। 1982 में उन्होंने अहमदाबाद से ही सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया था। पटेल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े रहे हैं। वह सरदारधाम विश्व पाटीदार केंद्र के ट्रस्टी भी हैं, जो पाटीदार समुदाय के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समर्पित संगठन है।

आनंदी बेन के करीबी है भूपेंद्र

जानकारी दें, भूपेंद्र पटेल को आनंदीबेन पटेल का करीबी माना जाता है। कई राजनीतिक विश्लेषक उन्हें आनंदीबेन पटेल का शिष्य भी मानते हैं। जिस घाटलोडिया सीट से जीतकर साल 2017 में भूपेंद्र पटेल पहली बार विधायक बने थे, वह सीट पहले पूर्व मुख्यमंत्री और अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के पास थीं। घाटलोडिया सीट केंद्रीय मंत्री अमित शाह के प्रतिनिधित्व वाले गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है।

नगर पालिका के सदस्य से सीएम तक

विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले भूपेंद्र पटेल स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे। वह अहमदाबाद जिले में मेमनगर नगर पालिका के सदस्य रहे हैं। दो बार इसके अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। वह 2008 से 2010 के बीच अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के स्कूल बोर्ड के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। इसके बाद वह 2010 और 2015 के बीच गुजरात के सबसे बड़े शहरी स्थानीय निकाय अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) की स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे। फिर 2015 से 2017 के बीच अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (AUDA) के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। स्थानीय लोग उन्हें भूपेंद्र पटेल को प्यार से ‘दादा’ कहकर बुलाते हैं।

गुजरात और पटेल समुदाय

भाजपा स्वीकार करती है कि 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें पाटीदार आंदोलन के कारण नुकसान हुआ था। भाजपा 99 सीटों पर सिमट गई थी, जो 1995 के बाद से सबसे कम सीट थी। पार्टी के लिए मतदाताओं के इस वर्ग को वापस जीतना महत्वपूर्ण था। 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भूपेंद्र पटेल को इसलिए भी मुख्यमंत्री बनाया गया था क्योंकि वह पटेल समुदाय के एक उप-समूह कड़वा पाटीदार समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

पाटीदार गुजरात में एक प्रमुख जाति है, जिसका चुनावी वोटों पर बड़ा नियंत्रण है। यह जाति शिक्षा और सहकारी क्षेत्रों पर मजबूत पकड़ के साथ ही राज्य की राजनीति पर भी हावी है। पटेल समुदाय परंपरागत तौर पर भाजपा का समर्थक रहा है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ”राज्य की 182 विधानसभा सीटों में 71 पर पटेल मतदाता निर्णायक हैं। इनमें से 52 सीटों पर इनकी आबादी 20 प्रतिशत से अधिक है।”

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