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Kannada Language: इस भाषा को लेकर कर्नाटक में सियासी उठापटक, मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक

Rajesh kumar • LAST UPDATED : December 28, 2023, 4:26 pm IST
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Kannada Language: इस भाषा को लेकर कर्नाटक में सियासी उठापटक, मुख्यमंत्री ने बुलाई उच्चस्तरीय बैठक

सीएम सिद्धारमैया ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक

India News (इंडिया न्यूज़), Kannada Language: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गुरुवार को साइन बोर्डों पर कन्नड़ भाषा में जानकारी प्रदर्शित करने पर जोर देते हुए कहा कि कोई भी विरोध कर सकता है लेकिन किसी को भी सरकारी या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कानून हाथ में नहीं लेने की हिदायत दी।

जानें पूरा मामला

टीए नारायण गौड़ा गुट वाले कन्नड़ संगठन कर्नाटक रक्षण वेदिके ने बुधवार को उन दुकानों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया, जिनमें कन्नड़ भाषा में साइनबोर्ड, विज्ञापन और नेम प्लेट नहीं थे। कर्नाटक रक्षणा वेदिके कन्नड़ डिस्प्ले के लिए साइनबोर्ड पर 60 फीसदी जगह की मांग कर रहा है।

सिद्धारमैया ने बर्बरता की निंदा करते हुए कहा, हम विरोध प्रदर्शन के खिलाफ नहीं हैं। हम अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले या न्याय की मांग करने वाले किसी भी व्यक्ति का विरोध नहीं करेंगे, बल्कि कानून को अपने हाथ में लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

सीएम सिद्धारमैया ने बुलाई उच्च स्तरीय बैठक

पत्रकारों से बात करते हुए, सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने कन्नड़ साइनबोर्ड के संबंध में नियमों के कार्यान्वयन पर चर्चा के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है। इस बैठक में राज्य के गृह मंत्री और अन्य शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने कहा, कन्नड़ बोर्ड जरूरी है। यह कन्नड़ नाडु है और यहां के बोर्ड कन्नड़ में होने चाहिए। हम अन्य भाषाओं के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कन्नड़ को प्रधानता मिलनी चाहिए।

गौड़ा सहित 29 कार्यकर्ताओं को हिरासत में भेजा गया

बेंगलुरु की एक मजिस्ट्रेट अदालत ने कर्नाटक रक्षणा वेदिके के अध्यक्ष टीए नारायण गौड़ा सहित 29 से अधिक कार्यकर्ताओं को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। बता दें कि बुधवार को हुई तोड़फोड़ के बाद टीए नारायण गौड़ा और अन्य को गिरफ्तार कर लिया गया था।

जब उनसे पूछा गया कि क्या राज्य सरकार कन्नड़ समर्थकों के खिलाफ मामले वापस लेगी? इस पर मुख्यमंत्री ने दोहराया कि किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए और सरकार शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के खिलाफ नहीं है।

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