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Vadnagar: पीएम मोदी के गांव में सालों खुदाई के बाद मिली सैकड़ों साल पुरानी बस्ती, जानें इतिहास

Rajesh kumar • LAST UPDATED : January 17, 2024, 8:39 am IST
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Vadnagar: पीएम मोदी के गांव में सालों खुदाई के बाद मिली सैकड़ों साल पुरानी बस्ती, जानें इतिहास

India News (इंडिया न्यूज), Vadnagar: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गांव वडनगर, गुजरात में पुरातात्विक खुदाई के दौरान करीब 2800 साल पुरानी बस्ती के सबूत मिले हैं। वडनगर में यह खुदाई आईआईटी खड़गपुर के नेतृत्व में की जा रही थी। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, वडनगर में 800 ईसा पूर्व के मानव निवास के प्रमाण मिले हैं। साथ ही सात सांस्कृतिक मंचों की उपस्थिति का भी पता चला है। आईआईटी खड़गपुर में भूविज्ञान और भूभौतिकी के प्रोफेसर डॉ। अनिंद्य सरकार ने एएनआई को बताया कि वडनगर में खुदाई का काम 2016 से चल रहा है और टीम ने 20 मीटर की गहराई तक खुदाई की है। आपको बता दें कि वडनगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गांव है।

जानें वडनगर का क्या रहा इतिहास

बता दें कि ‘क्वाटरनेरी साइंस रिव्यूज’ पत्रिका में ‘प्रारंभिक ऐतिहासिक से मध्ययुगीन काल तक दक्षिण एशिया में जलवायु, मानव निपटान और प्रवासन: वडनगर, पश्चिमी भारत में नए पुरातात्विक उत्खनन से साक्ष्य’ शीर्षक वाले एक पेपर में प्रकाशित हुए थे।

पेपर के सह-लेखक, एएसआई पुरातत्वविद् अभिजीत अंबेकर ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कई गहरी खाइयों में की गई खुदाई से सात सांस्कृतिक चरणों की उपस्थिति का पता चला है। जिसमें मौर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-सीथियन या शक-क्षत्रप, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल (इस्लामिक) से लेकर गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और वह शहर शामिल है जो आज भी अस्तित्व में है। उन्होंने बताया कि इस खुदाई के दौरान सबसे पुराने बौद्ध मठों में से एक का पता चला है।

वडनगर में मिले कई यूनानी सिक्के

अंबेकर ने कहा कि खुदाई के दौरान मिट्टी के बर्तन, तांबा, सोना, चांदी, लोहे की वस्तुएं और जटिल डिजाइन वाली चूड़ियां जैसी पुरातात्विक कलाकृतियां मिलीं। उन्होंने बताया कि वडनगर में इंडो-ग्रीक शासन काल के यूनानी राजा अपोलोडेटस के सिक्के के सांचे भी मिले हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि खोजे गए अवशेष वडनगर को भारत में अब तक खोदे गए एक ही किले के भीतर सबसे पुराना जीवित शहर बनाते हैं। आईआईटी खड़गपुर के भूविज्ञानी अनिंद्य सरकार का कहना है कि उनकी कुछ हालिया अप्रकाशित रेडियोकार्बन तिथियों से पता चलता है कि यह बस्ती 1400 ईसा पूर्व तक पुरानी हो सकती है। जो उत्तर-शहरी हड़प्पा काल के अंतिम चरण के समकालीन है।

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