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इंडिया न्यूज, शिलांग :
Meghalaya Acquisition Of Punjabi Lane मेघालय सरकार ने राजधानी शिलांग स्थित पंजाबी लेन इलाके का अधिग्रहण कर लिया है और इसको लेकर मेघालय से पंजाब तक विरोध हो रहा है।
Meghalaya Acquisition Of Punjabi Lane Protest from Meghalaya to Punjab
अधिग्रहण के बाद वहां रह रहे परिवारों को हटाकर सरकार का दूसरी जगह शिफ्ट करने का प्लान है पर यह लोगों को स्वीकार नहीं है। उन्होंने सरकार के इस फैसले को अदालत में चुनौती देने का फैसला किया है।
बता दें कि तीन साल पहले भी शिलांग स्थित पंजाबी लेन में हुई सांप्रदायिक हिंसा हुई थीं। उस समय और पंजाब सरकार ने तकरार पैदा हुई थी। पंजाब सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने तब भी मेघालय का दौरा कर फैसले का विरोध किया था। इस बार भी पंजाब सरकार ने फैसले के प्रति विरोध जताकर आरोप लगाया है कि भूमाफियाओं के दबाव में ही यह फैसला किया गया है
मई 2018 में स्थानीय खासी और सिख समुदाय के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद दशकों पुराने भूमि विवाद के स्थायी समाधान के उपाय सुझाने के लिए जून 2018 में एक समिति का गठन किया गया था। समिति की रिपोर्ट के बाद मुख्यमंत्री कोनराड संगमा कैबिनेट ने इसी सात अक्टूबर को शिलांग के थेम इव मावलोंग इलाके के सिख लेन से सिखों को अन्यत्र स्थानांतरित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। समिति की रिपोर्ट के एक महीने बाद सरकार ने इसका कब्जा ले लिया है। सरकार का दावा है कि यह विवादित जमीन शहरी मामलों के विभाग से जुड़ी है।
सिखों का कहना है कि यह जमीन उन्हें 1850 में खासी हिल्स के मुखिया में से एक हिमा माइलीम ने उपहार में दी थी। आज माइलीम खासी हिल्स स्वायत्त जिला परिषद के तहत 54 पारंपरिक प्रशासनिक क्षेत्रों में से एक है और पंजाबी लेन इसका हिस्सा है। मेघालय सरकार ने करीब साढ़े बारह हजार वर्गमीटर जमीन के लिए स्थानीय मुखिया को दो करोड़ रुपए का भुगतान देकर जमीन का अधिग्रहण कर लिया है।
कॉलोनी के नेता गुरजीत सिंह सवाल करते हैं, हमारी कालोनी का मामला मेघालय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में सरकार इसका अधिग्रहण कैसे कर सकती है? वहीं हरिजन पंचायत समिति की दलील है कि करीब दो सौ साल पहले उनको वह जमीन स्थानीय मुखिया से उपहार में मिली थी और सरकार को यहां रहने वाले साढ़े तीन सौ परिवारों से उसे छीनने का कोई अधिकार नहीं है।
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