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Ujjain News: महाकाल मंदिर में शुरू हुआ शिव नवरात्रि उत्सव, कोटि तीर्थ कुण्ड पर 11 पुजारियों ने किया रूद्र पाठ

Rajesh kumar • LAST UPDATED : February 29, 2024, 1:33 pm IST
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Ujjain News: महाकाल मंदिर में शुरू हुआ शिव नवरात्रि उत्सव, कोटि तीर्थ कुण्ड पर 11 पुजारियों ने किया रूद्र पाठ

Ujjain News: महाकाल मंदिर में शुरू हुआ शिव नवरात्रि उत्सव, कोटि तीर्थ कुण्ड पर 11 पुजारियों ने किया रूद्र पाठ

India News (इंडिया न्यूज),Ujjain News: वैसे तो पूरी दुनिया में लाखों-करोड़ों शिव मंदिर हैं, लेकिन विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार की बात ही कुछ अनोखी है। यहां सभी त्योहारों की शुरुआत बाबा महाकाल के आंगन से होती है। महाशिवरात्रि पर्व का उत्साह भी पूरे नौ दिनों तक दिखाई देता है। इस मंदिर में शिवरात्रि से नौ दिन पहले बाबा महाकाल की विशेष पूजा, अभिषेक और शृंगार किया जाता है।

बाबा महाकाल के अनन्य भक्त भी इस त्यौहार को शादी की तरह ही धूमधाम से मनाते हैं। नौ दिनों के उत्सव में बाबा महाकाल को हल्दी का लेप लगाकर दूल्हा बनाया जाता है और हर दिन अलग-अलग रूपों में सजाया भी जाता है। इस वर्ष यह पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पंचमी, गुरुवार 29 फरवरी 2024 से शुरू होने जा रहा है, जो फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी, 8 मार्च, महाशिवरात्रि तक चलेगा।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक शर्मा बाला गुरु ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की पंचमी से मंदिर में महाशिवरात्रि महोत्सव की धूम देखने को मिलेगी जो नौ दिनों तक चलेगी। उन्होंने बताया कि यह महोत्सव 29 फरवरी गुरुवार को सुबह 8 बजे कोटि तीर्थ कुंड के पास स्थित भगवान श्री कोटेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना के बाद शुरू होगा। ऐसा माना जाता है कि कोटेश्वर महादेव कोटि तीर्थ कुंड के अधिष्ठाता देवता हैं। इस कारण उनकी पूजा सबसे पहले की जाएगी। इसके बाद भगवान महाकालेश्वर की पूजा-अर्चना की जाएगी। सुबह 8:00 से 9:00 बजे तक भगवान कोटेश्वर की पूजा-अर्चना और अभिषेक करने के बाद उन्हें हल्दी लगाई जाएगी। इसके बाद 11 ब्राह्मण लघु रूद्र का पाठ करेंगे। इसके बाद भोग आरती होगी और दोपहर 3 बजे भगवान महाकालेश्वर का संध्या पूजन कर विशेष शृंगार किया जाएगा।

इसी प्रकार नौ दिनों तक रहेगा बाबा महाकाल का श्रृंगार

  • पहले दिन कपड़े पहनना: शिवरात्रि से पहले के नौ दिन विशेष होते हैं। शिव नवरात्रि के पहले दिन बाबा महाकाल का चंदन से शृंगार किया जाता है। जलाधारी को हल्दी अर्पित की जाती है।
  • दूसरे दिन शेषनाग: दूसरे दिन बाबा महाकाल का शेषनाग के रूप में शृंगार किया जाता है। इस दिन बाबा महाकाल शेषनाग के रूप में भक्तों को दर्शन देंगे।
  • तीसरा दिन मेघाच्छादित: तीसरे दिन बाबा महाकाल भक्तों को मेघाच्छादित रूप में दर्शन देंगे।
  • चौथे दिन छबीना: चौथे दिन बाबा महाकाल का छबीना यानि युवा स्वरूप का श्रृंगार किया जाता है। बाबा महाकाल को राजकुमार की तरह सजाया गया है।
  • पांचवें दिन होलकर: शिवनवरात्रि के पांचवें दिन महाकाल बाबा का शृंगार होलकर परंपरा के अनुसार किया जाएगा।
  • छठे दिन मनमहेश: शिवनवरात्रि के छठे दिन बाबा महाकाल का मनमहेश स्वरूप में शृंगार किया जाएगा। इस स्वरूप में भगवान शिव के स्वरूप में ही महाकाल का शृंगार किया जाएगा।
  • सातवें दिन उमा महेश: सातवें दिन बाबा महाकाल माता पार्वती के साथ उमा-महेश के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। इस दिन भक्तों को महाकाल बाबा और माता पार्वती दोनों के स्वरूप के दर्शन होते हैं।
  • आठवें दिन शिव तांडव: आठवें दिन बाबा महाकाल भक्तों को शिव तांडव के रूप में दर्शन देते हैं। इस रूप में भक्तों को महाकाल का रौद्र रूप देखने को मिलता है।
  • नौवें दिन निराकार: शिव नवरात्रि के आखिरी दिन महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। बाबा को कई क्विंटल फूलों की टोपी चढ़ाई जाती है।

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