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Madhya Pradesh News: बहला-फुसलाकर कराया गया धर्म परिवर्तन! हिंदू छोड़ बौद्ध अपनाया

Rajesh kumar • LAST UPDATED : February 3, 2024, 2:03 pm IST
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Madhya Pradesh News: बहला-फुसलाकर कराया गया धर्म परिवर्तन! हिंदू छोड़ बौद्ध अपनाया

Shivpuri district Jatav community Left Hinduism adopt Buddhism

India News, (इंडिया न्यूज),Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया है। करैरा के ग्राम बहगवां में जाटव समाज के लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया है। जिन लोगों ने बौद्ध धर्म अपनाया है उन्होंने स्वयं पर अस्पृश्यता का आरोप लगाया है। गाँव के लोग उनके साथ हिन्दू धर्म में भेदभाव करते थे। इसलिए 40 घरों के जाटव समुदाय ने एक साथ बौद्ध धर्म अपना लिया है। वहीं, इस मामले पर गांव के सरपंच ने कहा कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं। ग्रामीणों को बौद्ध धर्म स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया गया।

40 घरों ने अचानक बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया

जानकारी के मुताबिक, गांव के लोगों ने मिलकर बहगवां में भागवत कथा का आयोजन किया था। 25 वर्ष बाद गांव में संयुक्त रूप से आयोजित भागवत कथा के लिए सभी समुदाय के लोगों ने चंदा एकत्र किया। सामूहिक रूप से भागवत कथा का आयोजन किया गया। भागवत कथा के भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के 40 घरों ने अचानक बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। साथ ही हिंदू धर्म त्यागने की शपथ भी ली।

ग्रामीणों पर लगा यह आरोप

महेंद्र बौद्ध का कहना है कि भंडारा में सभी समाजों को काम बांटा गया था। इसी क्रम में जाटव समाज को थालियां तोड़ने और जूठी थालियां उठाने का काम सौंपा गया, लेकिन बाद में किसी ने कहा कि अगर जाटव समाज के लोग थालियां तोड़ेंगे तो थालियां वैसे भी खराब हो जाएंगी। ऐसे में उनसे सिर्फ झूठे पत्ते हटाने का काम कराया जाना चाहिए। अंत में गांव वालों ने कहा कि यदि तुम्हें जूठा पत्ता उठाना है तो उठाओ अन्यथा भोजन करके अपने घर चले जाओ। महेंद्र बौद्ध ने कहा कि इसी छुआछूत के कारण हमने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया है।

बहला-फुसलाकर कराया गया धर्म परिवर्तन

इस मामले पर गांव के सरपंच गजेंद्र रावत का कहना है कि जाटव समाज के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। उनके मुताबिक एक दिन पहले उक्त समाज के लोगों ने अपने हाथों से केले का प्रसाद बांटा था। जिसे पूरे गांव से ले जाकर खाया भी जाता था। उनके मुताबिक गांव में बौद्ध भिक्षु आये थे, उन्होंने समाज के लोगों को बहला-फुसलाकर धर्म परिवर्तन कराया है।

उन्होंने कहा कि पूरे गांव में किसी भी प्रकार का कोई भी कार्य किसी विशेष समुदाय को नहीं बांटा गया है। सबने मिलकर सारा काम किया है। भंडारे में प्रसाद परोसने और झूठी थालियां ले जाने का काम भी अन्य हरिजन समुदाय के लोगों ने किया है। वे लोग अछूत क्यों नहीं थे? गजेंद्र ने बताया कि जाटव समाज द्वारा दिया गया दान वापस लेने के कारण ग्रामीणों ने उसे पूरा करने के लिए दोबारा दान किया है।

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