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इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:गृह मंत्रालय की ओर से सीमा सुरक्षा बल के अधिकारों और क्षेत्र में वृद्धि की गई है। सीमा सुरक्षा बल (BSF) के अधिकारियों के पास अब पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को साझा करने वाले तीन नए राज्यों (असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब) के अंदर 50 किमी की सीमा तक गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती करने की शक्ति होगी। लेकिन पंजाब में बीएसएफ को बॉर्डर से 50 किलोमीटर क्षेत्र में कार्रवाई का अधिकार दिए जाने पर पंजाब में सियासत गरमा गई है।
शिअद ने लगभग आधे राज्य को बीएसएफ के हवाले करने के कदम को इतने हिस्से में परोक्ष रूप से राष्ट्रपति शासन लगाना बताया है। अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार द्वारा सांविधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग कर संघीय सिद्धांत पर हमला किया गया है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीएसएफ को राज्य पुलिस की सामान्य ड्यूटी छीनकर व्यापक शक्तियां दी गई हैं। संविधान के अनुसार केवल राज्य सरकार ही बीएसएफ को राज्य प्रशासन की सहायता के लिए बुला सकती है। राज्य सरकार के अनौपचारिक अनुरोध के बिना केंद्र इस तरह से धक्काशाही नहीं कर सकता।
गृह मंत्रालय (एमएचए) का दावा है कि सीमा पार से हाल ही में ड्रोन गिराए जाने ने बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में इस विस्तार को प्रेरित किया है। हालांकि, यह कदम राज्य की स्वायत्तता पर बहस को तेज कर दिया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री पहले ही इसका विरोध कर चुके हैं। चरणजीत सिंह चन्नी कहा कि मैं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगे 50 किलोमीटर के दायरे में बीएसएफ को अतिरिक्त अधिकार देने के सरकार के एकतरफा फैसले की कड़ी निंदा करता हूं, जो संघवाद पर सीधा हमला है। मैं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस तर्कहीन फैसले को तुरंत वापस लेने का आग्रह करता हूं।
एमएचए का दावा है कि यह निर्णय 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए लिया गया है, लेकिन यह प्रशासनिक और राजनीतिक मुद्दों को भी उठा सकता है।
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