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कांग्रेस से पहले आम आदमी पार्टी ने दिल्ली छीना अब पंजाब (Punjab Congress) छीन लिया। आपको बता दें कि पहली बार नहीं है ऐसा, जब कांग्रेस को अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ी हो। इतिहास बताता है कि आजादी के बाद से कई ऐसे राज्य हैं, जहां कांग्रेस ने एक बार अपनी सत्ता गंवाई तो दोबारा वापसी नहीं की। तो चलिए जानते हैं कांग्रेस की सत्ता सिमट कर कैसे आजादी के बाद से अब केवल दो राज्यों में रह गई है।
हाल में हुए चुनावों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय पार्टी सपा और रालोद की जोड़ी को 125 और कांग्रेस को सिर्फ दो सीटों पर जीत मिलीं। (Punjab election 2022 result) वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी को 92 और कांग्रेस को सिर्फ 18 सीटें मिलीं। इसी तरह मणिपुर में एनपीएफ को 5, एनपीपी को 7 और कांग्रेस को 5 सीटें मिलीं। गोवा में भी आम आदमी पार्टी और टीएमसी दो-दो सीट चुराने में कामयाब रहीं और कांग्रेस-गोवा फॉरवर्ड पार्टी की जोड़ी को 12 सीटें मिलीं।
सन् 1952 में ऐसा पहली बार हुआ था विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 21 राज्यों में अपनी सरकार बनाई थी, जो अब घटकर मात्र दो राज्य रह गए हैं। कांग्रेस को पहली बड़ी चुनौती दक्षिण भारत में केरल से मिली थी। 1956 में भाषा के आधार पर कई इलाकों को एकत्र कर केरल बनाया गया था। उसके बाद 1957 के विधानसभा चुनाव में ईएमएस नंबूदरीपाद के नेतृत्व में वामपंथियों ने सरकार बनाई, जिससे हर कोई हैरान रह गया था। कांग्रेस की इस जीत को भारत में वामपंथ की शुरूआत के तौर पर देखा जाने लगा था।
Indira Gandhi
1990 के बाद बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में कांग्रेस अपने दम पर वापस नहीं हो पाई। कभी इन राज्यों में अकेले 80 फीसदी से ज्यादा सीटें जीतने वाली कांग्रेस पार्टी अब इन राज्यों में क्षेत्रीय दलों की मदद के बिना अपने भविष्य के बारे में सोच तक नहीं पा रही है। बता दकें कि तमिलनाडु में बीते 50 सालों से कांग्रेस अपने दम पर सरकार बनाने में कामयाब नहीं हो पाई है। यहां सरकार बनाने में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से भी छोटी भूमिका में रहती है।
हालांकि, 1990 में कांग्रेस को बिहार में लालू यादव की जिस जनता दल पार्टी ने हराया, बाद में कांग्रेस को अपनी जमीन बचाने के लिए उसी जनता दल से हाथ मिलाना पड़ा। बिहार में कांग्रेस की ताकत सिर्फ इतनी रह गई है कि आरजेडी गठबंधन बात-बात में कांग्रेस को 2020 के चुनाव में क्षमता से ज्यादा 70 सीट देने की बात कह कर ताना मारता है।
2021 में पांच राज्यों बंगाल, केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी और असम में विधानसभा चुनाव हुए थे। इसी तरह 2022 में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड और गोवा में चुनाव हुए हैं। इन 10 राज्यों में देखा जाए तो सिर्फ एक उत्तराखंड राज्य ऐसा है, जहां भाजपा से कांग्रेस की सीधी लड़ाई है। क्योंकि यहां पर कोई भी क्षेत्रीय दल मजबूत नहीं है। 9 राज्यों में कांग्रेस की लड़ाई सिर्फ भाजपा के खिलाफ नहीं, बल्कि क्षेत्रीय दलों के खिलाफ भी है। ऐसे में स्पष्ट है है कि क्षेत्रीय पार्टियां अब कांग्रेस के लिए भाजपा से बड़ी मुसीबत बन गई हैं।
राज्य व दल: उत्तर प्रदेश में सपा और एआईएमआईएम, पंजाब में आम आदमी पार्टी, मणिपुर में नागा पीपुल्स फ्रंट, नेशनल पीपुल्स पार्टी, गोवा में तृणमूल कांग्रेस और आप, बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, केरल में इंडियन मुस्लिम लीग, तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़नम, एआईडीएमके, असम में असमगण परिषद, एआईयूडीई, लिबरल पार्टी और पुडुचेरी में द्रविड़ मुनेत्र कड़नम, आॅल इंडिया एनआर कांगे्रस यह सभी कांग्रेस के लिए मुसीबत बने हुए हैं।
Electoral History Of Congress Since 1952
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