By: Manu Sharma
• LAST UPDATED : January 24, 2025, 1:05 pm ISTसंबंधित खबरें
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India News (इंडिया न्यूज),Alwar Dog Blood Donation: आपने इंसानों को ब्लड डोनेट करते हुए तो कई बार देखा होगा और सुना होगा। लेकिन अलवर में डॉग भी ब्लड डोनेट करते हैं। यह सुनकर चौकी मत यह बिल्कुल सही है। इतना ही नहीं अभी तक डॉग ब्लड डोनेट करके कई स्ट्रीट व पालतू डॉग की जान भी बचा चुके हैं। ब्लड देने का यह सिलसिला लगातार जारी है।
आए दिन सड़क हादसों में डॉग घायल हो जाते हैं। हादसों के दौरान उनका खून बहता है। ऐसे में इंसानों की तरह डॉग में भी खून की कमी हो जाती है। खून की कमी के कारण डॉग की मौत के मामले भी आए दिन सामने आते हैं। लेकिन अलवर में अब किसी डॉग की मौत खून की कमी के कारण नहीं होगी। अलवर के कुछ स्ट्रीट डॉग अन्य डॉग के लिए जीवन दाता बना रहे हैं। जिले के सबसे बड़े पशु चिकित्सालय परिसर में युवाओं की एक संस्था की तरफ से एक सेंटर चलाया जाता है। इसमें घायल डॉग, बंदर, कबूतर सहित अन्य जीव जंतुओं का इलाज किया जाता है। जिले भर से सड़क हादसों अन्य किसी हादसे में घायल होने वाले जानवरों को एंबुलेंस की मदद से यहां लाया जाता है। इंसानों की तरह यहां उनका वार्ड में भर्ती किया जाता है और फिर जरूरी दवाई व ड्रिप लगाने के बाद जब वो रिकवर होता है। तो उसे वापस जिस जगह से रेस्क्यू किया गया है। वहां छोड़ दिया जाता है
इस संस्थान के पास कुछ डॉग ऐसे हैं। जो ब्लड डोनेट करते हैं। इनको कालू, बहरा और भूरी के नाम से पुकारा जाता है। यह वो डॉग है जो हादसों के दौरान घायल हो गए थे। लेकिन यहां लाकर उनका इलाज किया गया और अब वो पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अन्य डॉग की जान बचाते हैं। इस संस्था के दिवाकर ने बताया कि उनके पास 85 डॉग बंदर कबूतर वन्य जीव हैं। ज्यादातर सड़क हादसों में घायल होकर यहां पहुंचे है। सबसे पहले पशु चिकित्सालय में इनका इलाज कराया जाता है और उसके बाद जब वो ठीक होते हैं। तो उनको वापस उसी जगह छोड़ दिया जाता है।
दिवाकर ने कहा कि वो कई साल से इस कार्य को कर रहे हैं। इसी बीच हादसों के दौरान कुछ डॉग को ब्लड की कमी हुई। इस पर उन्होंने वहां स्वास्थ्य डॉग का ब्लड जब उनको चढ़ाया। तो घायल डॉग की हालत में सुधार हुआ और धीरे-धीरे वो ब्लड डोनेट करने लगे। आज कई बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं। स्ट्रीट डॉग के अलावा पालतू डॉग के लिए भी कई बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं और उसके बाद भी वो पूरी तरह से स्वस्थ है। उन्होंने बताया कि उनकी संस्था में युवा वालंटियर हैं। जो नौकरी करने के साथ ही यहां पर कुछ समय देकर काम करते हैं। लोगों की मदद से यहां पूरा सेंटर चल रहा है। इस केंद्र में प्रत्येक बीमारी के लिए अलग से वार्ड बना हुआ है।
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