India News(इंडिया न्यूज),Rajasthan Politics: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार को गठित हुए ढाई माह से ज्यादा होने जा रहे हैं। इन ढाई माह में मुख्यमंत्री भजनलाल ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कि उनकी सरकार की अपनी एक अलग छवि बन कर सामने आए।लेकिन बढ़ती आपराधिक घटनाएं, रेप के मामले, अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के तबादलों से ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं कुछ तो गड़बड़ चल रहा है। ऐसा संदेश जा रहा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल की अपनी टीम में अनुभवी और जानकार लोगों की अभी कमी है। हालांकि मुख्यमंत्री भजनलाल के सामने पहली चुनौती के रूप में लोकसभा का चुनाव जरूर है, लेकिन वह चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चेहरे पर लड़े जाने हैं। लोकसभा चुनाव का माहौल और कांग्रेस की कमजोर रणनीति को देखते हुए लगता नहीं है कि बीजेपी को हैट्रिक बनाने में कोई परेशानी आएगी। आज के दिन तक तो बीजेपी 25 की 25 सीट जीतती हुई नजर आ रही है। लेकिन, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि भजनलाल सरकार बनने के बाद हुए करणपुर के उपचुनाव में भाजपा को करारी शिकायत का सामना करना पड़ा था।
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इधर, केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मदद के लिए ईमानदार छवि वाले सुधांशु पंत को मुख्य सचिव बनाकर शुरू में ही भेज दिया था। पंत ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है कि सरकार ईमानदारी से काम करती नजर आए। खुद उन्होंने सरकारी कार्यालयों का औचक निरीक्षण कर माहौल भी बनाया। लेकिन, अधिकारियों की नियुक्तियों से माहौल नहीं बन पाया। हालांकि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की सरकार के गठन के बाद केंद्र में भी सरकारी कार्यालयों में टाइमिंग को लेकर काफी सख्ती की गई थी और उससे एक माहौल भी बना था। लेकिन, यहां पर वह बात नहीं बन पा रही है। उसकी कई वजह सामने आ रही हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आम कार्यकर्ता भजनलाल शर्मा को मौका दे कार्यकर्ताओं में बड़ा संदेश दिया। लेकिन, सरकार के कामकाज से लगता है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को कुछ मंत्री कहें या कुछ अफसर कहें, उन्हे उस तरह का सहयोग नहीं कर रहे हैं जैसा करना चाहिए। कहीं ना कहीं तनातनी जैसा माहौल दिख रहा है। तबादलों और पोस्टिंग में भी जिस तरह से गलतियां हुई। कुछ अफसरों को जल्दी–जल्दी एक दो–बार बदल दिया गया। तबादला लिस्ट में भी खामियां निकली। उससे भी कई सवाल खड़े हुए हैं। विधायकों और मंत्रियों की सिफारिश पर की गई नियुक्तियों को लेकर चर्चाएं होने लगी है।कांग्रेस ने तो तबादला नीति को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आरोप लगाया जाति देख कर तबादले किए जा रहे हैं।
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भजनलाल शर्मा पहली बार सीएम की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं तो हो सकता है अभी वह चीजों को समझ रहे होंगे। लेकिन, शुरुआत में सरकार को लेकर ठीक ठाक संदेश नहीं गया तो ताक में बैठे विरोधियों को मौका मिल जायेगा। विरोधी अंदर बाहर कहीं भी हो सकते है। कानून व्यवस्था ही बड़ा मुद्दा बना सकते हैं, क्योंकि कानून व्यवस्था में बहुत सुधार होता अभी नजर नहीं आया। ट्रैफिक की समस्या हो या अन्य अपराधिक घटनाएं। एक कड़क संदेश नहीं गया है।अपराधिक घटनाएं जैसे की तैसी हैं। रेप के कई गंभीर मामले इस बीच हुए हैं। जो कहीं ना कहीं आने वाले दिनों में परेशानी का सबब बनेंगे। वो तो कांग्रेस विपक्ष की भूमिका उस ढंग से नहीं निभाती है, जैसा बीजेपी विपक्ष में रहते निभाती है इसलिए राजनीतिक रूप से आंदोलन तो खड़ा नहीं होगा। इसके साथ कांग्रेस रणनीति के मामले में भी कमजोर रही है। राजस्थान में यूं भी गुटों में बंटी कांग्रेस के सामने तो खुद कई चुनौतियां हैं। कांग्रेस के पास खूब मौके हैं, लेकिन उन्हें वह भुना नहीं पाती है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में छोटे–छोटे मुद्दों और कांग्रेस की कमजोरियों को भुना बाजी पलट दी थी।
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