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Indin news (इंडिया न्यूज़), Manoj Joshi, Cricket News: 22 गज पर 15 साल, विराट कोहली ने इंटरनैशनल क्रिकेट में 15 साल मुकम्मल कर लिए हैं। उनकी श्रीलंका के दाम्बुला शहर से वनडे सफर की शुरुआत ऐसे समय में हुई जब टीम इंडिया में सचिन, द्रविड़, गांगुली, सहवाग और गम्भीर की तूती बोला करती थी। इन दिग्गजों के बीच अपनी अलग पहचान बनाना उनके लिए उस समय सबसे बड़ी चुनौती थी।
वैसे टीम इंडिया में आने से पहले ही विराट काफी पॉपुलर हो चुके थे। उसी साल उन्हीं की अगुवाई में भारत की अंडर 19 क्रिकेट टीम वर्ल्ड चैम्पियन बनी थी। तब सेलेक्टर्स ने उस खिलाड़ी में छिपे टैलंट और लीडरशिप क्वालिटी को बखूबी पहचाना। यह खिलाड़ी आज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 25 हज़ार से ज़्यादा रन और 76 सेंचुरी अपने नाम कर चुका है। अपने बचपन के दोस्तों में चीकू के नाम से मशहूर यह खिलाड़ी देखते ही देखते किंग कोहली बन गया।
जून, 2011 में वेस्टइंडीज़ के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट सीरीज़ खेलने के बाद जब वह भारत लौटे तो उसके तकरीबन एक महीने बाद टीम इंडिया को ऑस्ट्रेलिया का दौरा करना था। तब वह एयरपोर्ट से घर पहुंचे। शॉवर लिया और तकरीबन 40 मिनट बाद वह वेस्ट दिल्ली एकेडमी पहुंच गए। उनकी जगह कोई और होता तो उसे जैट लैक से उबरने में एक से दो दिन लग जाते। विराट ने एकेडमी में पहुंचकर नेट सेशन में जमकर पसीना बहाया। उनके कोच राजकुमार शर्मा ने बताया कि विराट शुरू से ही अपने खेल के प्रति समर्पित हैं और वह इसी तरह जब अभ्यास में जुटते हैं तो कभी समय नहीं देखते। विराट ने प्रैक्टिस के बाद इत्मिनान से इस संवाददाता से लम्बी बात की।
जीवन में कभी हार न मानना और अपनी ग़लतियों से सीखना विराट की सबसे बड़ी खूबी है। 2014 का इंग्लैंड दौरा याद कीजिए जब जेम्स एंडरसन के सामने उनकी एक नहीं चली लेकिन इससे अगले ऑस्ट्रेलियाई दौरे में उन्होंने कुल चार सेंचुरी बनाईं। एडिलेड में दो, मेलबर्न और सिडनी में एक-एक। इसी तरह इंग्लैंड की टीम जब भारत आई तो विशाखापत्तनम और वानखेड़े स्टेडियम में उन्होंने सेंचुरी जड़कर एक तरह से इंग्लैंड के पिछले दौरे का हिसाब चुकता किया।
2016 से 2018 का समय उनका गोल्डन पीरियड रहा, जहां उन्होंने कुल सात डबल सेंचुरियों में से छह पहले दो साल में बनाईं। 2016 में चार डबल सेंचुरी, एक सेंचुरी और तीन वनडे सेंचुरी, 2017 में तीन डबल सेंचुरी, दो सेंचुरी और छह वनडे सेंचुरी और 2018 में टेस्ट में तीन और वनडे में छह सेंचुरी उनकी क़ामयाबी का बयान करने के लिए काफी है। यही वजह है कि कभी आईसीसी तो कभी विज़डन तो कभी भारत सरकार के पुरस्कारों (अर्जुन, पद्मश्री और खेल रत्न) की उन पर इस दौरान झड़ी लग गई।
यह उनके एग्रेसिव माइंडसेट का नतीजा था कि एडिलेड टेस्ट की दोनों पारियों में सेंचुरी के बावजूद टीम की हार से वह परेशान नहीं हुए। यह टेस्ट उनके लिए टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। यहीं से टीम के माइंडसेट में बदलाव हुआ। नॉटिंघम में दोनों पारियों में शानदार प्रदर्शन करके मैच जिताना इसका बड़ा उदाहरण है। कोच रवि शास्त्री के साथ उनकी जुगलबंदी ने भारत को कई बाइलेटरल सीरीज़ जिताने में अहम योगदान दिया।
2015 और 2019 के वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच हो या फिर मेलबर्न में टी-20 वर्ल्ड कप का इसी टीम के खिलाफ मैच। इन तीनों मैचों में विराट का बल्ला जमकर गरजा। मेलबर्न में हैरिस राउफ पर अंतिम पूर्व ओवर में दो छक्के और अंतिम ओवर में मोहम्मद नवाज़ पर छक्का लगाकर वह इस मैच की वन-मैन आर्मी साबित हुए। उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि वह सिर्फ स्ट्राइक रोटेट करना ही नहीं जानते बल्कि ज़रूरत पड़ने पर अहम मुक़ाबले को पॉवरहिटिंग करके जिताने का माद्दा रखते हैं। उनकी इन पारियों के बाद विराट पाकिस्तान में टीम के सबसे पॉपुलर खिलाड़ी बन गए और वेस्टइंडीज़ के पुराने दिग्गजों ने तो नई पीढ़ी से उनके जैसे खेल को अपनाने की ही मुहिम छेड़ दी।
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