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आखिर डोप टेस्ट से क्यों भाग गये थे खिलाड़ी ? Doping मामलों में ज़्यादा सजगता की ज़रूरत

India News Desk • LAST UPDATED : May 12, 2022, 7:07 pm IST
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आखिर डोप टेस्ट से क्यों भाग गये थे खिलाड़ी ? Doping मामलों में ज़्यादा सजगता की ज़रूरत

Doping मामलों में ज़्यादा सजगता की ज़रूरत

मनोज जोशी:

बेशक सरकार ग्रास रूट लेवल पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेलो इंडिया कार्यक्रम पर करोड़ों रुपये बहा रही हो लेकिन एक सच यह भी है कि युवा खिलाड़ियों में आज भी वैसी जागरुकता नहीं है जो होनी चाहिए। यही वजह है कि बैंगलुरु में हाल में हुए खेलों इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में खिलाड़ियों ने डोपिंग (Doping) जैसे संवेदनशील मामले की अनदेखी की।

खबर तो यहां तक है कि बैंगलुरु में तीन दिन के कुश्ती मुक़ाबलों के बाद कई खिलाड़ी डोपिंग से भागते दिखाई दिये। सरकारी दिशानिर्देशों में साफ है कि सभी पदक विजेताओं के डोप टेस्ट होना अनिवार्य है। साथ ही अन्य खिलाड़ियों के रेंडम टेस्ट भी कराए जा सकते हैं। इसके लिए नैशनल एंटी डोपिंग एजेंसी बैंगलुरु में भी सक्रिय थी।

मगर कुछ पहलवानों ने डोप टेस्ट देने से मना कर दिया। यहां तक कि कुछ ने तो इसके बारे में जानकारी न देने का हवाला दिया। अब सवाल उठता है कि जो खिलाड़ी जिन विश्वविद्यालयों की ओर से भाग ले रहे थे, क्या वहां के कोचों ने या वहां के प्रबंधन ने उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी।

ऐसे में यह भी सवाल उठना लाज़मी है कि क्या इन खिलाड़ियों ने प्रतिबंधित दवाएं लेकर मेडल जीते थे। वैसे आयोजकों की ओर से इस आशय की खबरें भी आईं कि भागने वाले पहलवानों ने बाद में आकर अपने टेस्ट दिये। बेहतर होगा कि सरकार इन खेलों में विश्वविद्यालय स्तर पर सभी कोचों को इस बारे में जागरूक करने के लिए क्लीनिक आयोजित करे और

ऐसे क्लीनिक साल भर चलते रहने चाहिए क्योंकि डोपिंग की वजह से भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले वर्षों में छवि बुरी तरह से आहत हुई है। गौरतलब है कि भारत डोपिंग उल्लंघन के मामलों में दुनिया में आज तीसरे स्थान पर है। वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी की 2019 की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय खिलाड़ी 152 ऐसे मामलों में दोषी पाये गये।

Players won medals by taking banned drugs

यह संख्या दुनिया भर में डोपिंग के दोषी खिलाड़ियों में तीसरे नम्बर पर है। भारत से ऊपर रूस और इटली का नम्बर है। रूस में 167 और इटली में 157 ऐसे मामले सामने आये। ब्राज़ील (78) चौथे और ईरान (70) पांचवें स्थान पर है। सबसे ज़्यादा मामले बॉडी बिल्डिंग, वेटलिफ्टिंग, एथलेटिक्स, कुश्ती और बॉक्सिंग में आये हैं।

सूत्रों के अनुसार तीन साल पुरानी इस रिपोर्ट में और आज की स्थिति में ज़्यादा फर्क नहीं है। कभी क्रिकेटरों को वेयरअबाउट क्लॉज़ को लेकर आपत्ति थी लेकिन जब से वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) का आईसीसी से करार हुआ है तब से नाडा के पास क्रिकेटरों के सैम्पल लेने का भी अधिकार आ गया है।

ताज़ातरीन मामला क्योंकि यूनिवर्सिटी गेम्स का है तो यह सीधे तौर पर खेल संघों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। इन खेलों में भाग लेने वाली तकरीबन 200 के करीब यूनिवर्सिटी को डोपिंग के ओरिएंटन प्रोग्राम के साथ जोड़ना बेहद ज़रूरी है। तभी ग्रास रूट लेवल पर ऐसे मामलों को रोका जा सकेगा।

यह घटना अगले महीने होने वाले खेलो इंडिया स्कूल खेलों में भी हो सकती है। बेहतर होगा कि इस समस्या पर युद्ध स्तर पर ध्यान दिया जाये जिससे खिलाड़ी स्वस्थ प्रतियोगिता में पदक जीतकर भविष्य की उम्मीद बन सकें।

Doping

ये भी पढ़ें : IPL Media Rights हांसिल करने के लिए गूगल ने भी दिखाई रुचि, ड्रीम-11 भी है दौड़ में शामिल

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