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Paris Olympics में आ गया भारत का पहला सिल्वर, Vinesh Phogat ने मेडल के साथ रचा बड़ा इतिहास

BY: Ankita Pandey • LAST UPDATED : August 7, 2024, 12:21 am IST
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Paris Olympics में आ गया भारत का पहला सिल्वर, Vinesh Phogat ने मेडल के साथ रचा बड़ा इतिहास

VINESH PHOGAT Reached final (1)

India News (इंडिया न्यूज), Vinesh Phogat Life Story: पेरिस ओलंपिक के 11वें दिन भारतीय पहलवान विनेश फोगाट ने शानदार प्रदर्शन करते हुए इतिहास बना दिया है। भारतीय स्टार पहलवान व‍िनेश फोगाट का सेमीफाइनल मुकाबला जीत कर फाइनल में जगह बना ली है। इसी के साथ विनेश ने पेरिस ओलंपिक में सिल्वर मेडल भी पक्का कर लिया है। महिला 50 किग्रा फ्रीस्टाइल इवेंट के सेमीफाइनल में विनेश ने क्यूबा की रेसलर युसनेइलिस गुजमैन को मात दी। विनेश ओलंपिक के 128 साल के इतिहास में ओलंपिक फाइनल खेलने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान होंगी। लेकिन फोगाट का पेरिस ओलपिंक के फाइनल में पहुंचने तक का सफर आसान नहीं रहा। विनेश का नाम पिछले डेढ़ साल में खूब चर्चा में रहा है। सिर्फ मेडल जीतने के मामले में ही नहीं, बल्कि विवादों से भी उनका नाम जुड़ा रहा है। आइए जानते हैं उनके करियर के बारे में।

विनेश का जन्म 1994 में हुआ था।

विनेश फोगाट का जन्म 25 अगस्त 1994 को हरियाणा के बलाली गांव में हुआ था। विनेश का जन्म भारत के सबसे मशहूर कुश्ती परिवार में हुआ था। विनेश के चाचा महावीर सिंह ने फोगाट बहनों को बेहद छोटी उम्र से ही इस खेल से परिचित कराया था। विनेश भी अपनी चचेरी बहन गीता फोगाट और बबीता कुमारी के नक्शेकदम पर चलीं। विनेश जब महज नौ साल की थीं, तभी उनके पिता का अचानक निधन हो गया था। विनेश के चाचा ने अपनी बेटियों विनेश को भी कुश्ती सिखाना शुरू किया। लड़कियों को कुश्ती सिखाने पर फोगाट परिवार पर समाज में ताने कसे गए, लेकिन किसी ने पलटकर नहीं देखा।

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विनेश फोगट का करियर

विनेश फोगट ने 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय खिताब जीता था। जब उन्होंने गोल्ड जीता तो उनमें ओलंपिक खेलों में उतरने का आत्मविश्वास जगा। फिर उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई। हालांकि उस दौरान वह पदक जीतने से चूक गईं थी, लेकिन इसके बाद उन्होंने 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई खेलों में गोल्ड जीता।

नूर सुल्तान में अपना पहला विश्व चैंपियनशिप पदक जीता और उससे पहले एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर सबको चौंका दिया। 2021 एशियाई चैंपियनशिप में अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक का हिस्सा बनीं। साथ ही, उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में लगातार तीसरी बार स्वर्ण पदक जीता है। विनेश फोगट तीन कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान हैं।

पिछले साल खेल व्यवस्था के खिलाफ हुआ था आंदोलन

पिछले साल यानी 18 जनवरी 2023 को जब विनेश समेत भारत के कुछ दिग्गज पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे तो पूरा देश हिल गया था। महिला खिलाड़ियों ने कुश्ती संघ के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। मामला बढ़ा तो बृजभूषण को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी।

पिछले साल धरने पर बैठी थी

भारतीय कुश्ती संघ में चुनाव की घोषणा हुई और 21 दिसंबर को बृजभूषण के करीबी संजय सिंह को अध्यक्ष चुन लिया गया। संजय सिंह के अध्यक्ष बनते ही विनेश की साथी पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का ऐलान कर दिया। उनके बाद बजरंग पुनिया ने पद्मश्री लौटा दिया और पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह (गूंगा पहलवान) ने भी पद्मश्री लौटाने की बात कही। इसके बाद खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया। तदर्थ समिति गठित होने पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया। हालांकि पहलवानों ने संजय सिंह को अध्यक्ष मानने पर सहमति जताई और आईओसी ने निलंबन हटा दिया। हालांकि, बृजभूषण पर आरोप तय होने के बाद भी उन्हें सजा नहीं मिलने पर विनेश ने खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाने की भी घोषणा की थी।

चयन ट्रायल को लेकर भी हुआ बवाल

इसके बाद ओलंपिक चयन ट्रायल को लेकर भी काफी बवाल हुआ। पदक किसे दिया जाएगा? अंतिम पंघाल भारत के उभरते सितारे साबित हुए। ऐसे में विनेश को अपना मूल भार वर्ग 53 किलोग्राम छोड़ना पड़ा और उन्होंने अपना वजन घटाकर 50 किलोग्राम वर्ग में कर लिया। हालांकि यह बवाल यहीं नहीं थमा। कुश्ती महासंघ को तय करना था कि कौन एथलीट जाएगा और कौन नहीं और उन्होंने ओलंपिक कोटा हासिल करने वाले एथलीटों के लिए दो चयन ट्रायल रखे। हालांकि बाद में कुश्ती महासंघ ने चयन ट्रायल रद्द कर दिए और इस तरह से सिर्फ विनेश ही ओलंपिक में उतर पाईं। हालांकि आंदोलन में शामिल होने के कारण कहा गया कि उनकी तैयारी अच्छी नहीं थी। विनेश हमेशा कहती रहीं कि उनका सपना भारत के लिए ओलंपिक पदक हासिल करना रहा है। अब उन्होंने यह कर दिखाया है और हर भारतीय को गौरवान्वित किया है। 7 अगस्त को वह स्वर्ण पदक जीतने उतरेंगी।

विनेश कड़ी ट्रेनिंग करती थी

विनेश को ट्रेनिंग के लिए सुबह साढ़े तीन बजे उठना पड़ता था। बचपन से ही वह ट्रेनिंग के घंटों की गिनती किए बिना लगातार प्रैक्टिस करती थी। अगर वह गलती करती तो उसे मार भी पड़ती थी। ट्रेनिंग के बाद वह स्कूल जाती, जहां थकान के कारण वह क्लासरूम में ही सो जाती। उसे लंबे बाल रखने की इजाजत नहीं थी, क्योंकि विनेश के चाचा को लगता था कि लंबे बाल ध्यान भटका सकते हैं।

Vinesh Phogat ने इंडिया को दी बड़ी खुशखबरी, फाइनल में पहुंचते ही रच दिया इतिहास

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