Khelo India Para Games 2025: जब शीतल देवी ने बिना हाथों के भारत के लिए पैरालंपिक तीरंदाजी में पहला पदक जीता, तो पूरी दुनिया हैरान रह गई। अब, एक और असाधारण तीरंदाज सुर्खियों में है—पायल नाग, जो बिना हाथ और पैरों के हैं, लेकिन उन्होंने पहले ही राष्ट्रीय पैरा आर्चरी चैंपियनशिप में शीतल देवी को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया है।
पायल की ओडिशा के बलांगीर के एक अनाथालय से लेकर राष्ट्रीय चैंपियन बनने तक की यात्रा बेहद प्रेरणादायक है। वह माता वैष्णो देवी श्राइन आर्चरी अकादमी में प्रशिक्षण ले रही हैं, जहां से शीतल देवी भी निकली हैं। अब, पायल ने साबित कर दिया है कि वह भी पैरा-आर्चरी की दुनिया में एक नई ताकत बनकर उभर रही हैं।
पायल नाग
पायल जब सिर्फ पांच साल की थीं, तब 11,000 वोल्ट की हाई-टेंशन लाइन के संपर्क में आने से उनके हाथ और पैर खत्म हो गए। परिवार के लिए देखभाल करना मुश्किल हो गया, जिसके बाद 2019 में उन्हें बलांगीर के ‘परवतीगिरि बालनिकेतन’ अनाथालय में रखा गया।
यहीं से उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। जम्मू स्थित माता वैष्णो देवी श्राइन आर्चरी अकादमी के कोच कुलदीप वेदवान ने सोशल मीडिया पर पायल की मुंह से बनाई गई पेंटिंग देखी। उनकी प्रतिभा को पहचानते हुए, उन्होंने पायल से संपर्क किया और 2022 में उन्हें जम्मू लाकर तीरंदाजी से परिचित कराया।
पायल ने बताया – “जब मैं पहली बार अकादमी गई, तो मैंने देखा कि बाकी बच्चे अपने हाथों से धनुष पकड़ रहे थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कैसे करूंगी” लेकिन उनके कोच ने एक विशेष धनुष और डिवाइस बनाकर उनकी मदद की, जिससे वह अपने कंधे और पैर से तीर चला सकें।
शुरुआत में उनके इस तकनीक पर विवाद भी हुआ, लेकिन कोच कुलदीप ने एक और संशोधित डिवाइस बनाई, जिससे पायल सिर्फ अपने दाहिने पैर और कंधे का इस्तेमाल कर तीर चला सकें। इस नवाचार ने उन्हें प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने और जीतने में मदद की।
2025 में जयपुर में हुई 6वीं राष्ट्रीय पैरा आर्चरी चैंपियनशिप पायल की पहली प्रतियोगिता थी। लेकिन उन्होंने यहां भी इतिहास रच दिया। इस प्रतियोगिता में उन्होंने शीतल देवी और पैरालंपियन ज्योति बलियान जैसी दिग्गजों को हराकर स्वर्ण पदक जीत लिया।
शीतल देवी, जो अब पायल को अपनी छोटी बहन मानती हैं, ने कहा, “जब मैंने पायल को पहली बार तीर चलाते देखा, तो लगा यह संभव नहीं होगा। लेकिन उसने कमाल कर दिया। वह बहुत मेहनती और प्रतिभाशाली है, और निश्चित रूप से देश के लिए गौरव ला सकती है।”
पायल खेलो इंडिया पैरा गेम्स 2025 में हिस्सा ले रही हैं और यह उनके लिए थाईलैंड में होने वाले वर्ल्ड रैंकिंग टूर्नामेंट की तैयारी का हिस्सा है। लेकिन उनका असली लक्ष्य 2026 टोक्यो पैरा एशियन गेम्स और 2028 पैरालंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतना है।
“कहा जाता है कि जब आपके अंदर आत्मविश्वास होता है, तो कुछ भी असंभव नहीं होता। मुझे खुद पर और अपने कोच पर भरोसा था, और उसी भरोसे ने मुझे यहां तक पहुंचाया,” पायल ने कहा।
उनकी कहानी इटली की पैरालंपिक फेंसर बेयट्रिस मारिया वियो जैसी है, जिन्होंने अपने हाथ-पैर गंवाने के बावजूद दो पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीते। पायल भी उसी राह पर चलते हुए दुनिया को दिखा रही हैं कि कोई भी बाधा संघर्ष और मेहनत के आगे छोटी पड़ जाती है। अब, पायल का अगला कदम पैरालंपिक स्वर्ण जीतकर भारत का नाम रोशन करना है।