केंद्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे ने आज भारत में खेल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए रिपोर्ट ‘बियॉन्ड द फील्ड: इंडियाज स्पोर्ट्सटेक इवोल्यूशन’ का विमोचन किया। यह रिपोर्ट फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (एफआईएफएस) और डेलॉइट के साझे प्रयास से तैयार की गई है, जो भारतीय खेल क्षेत्र में प्रौद्योगिकी की भूमिका और भविष्य को उजागर करती है।
रिपोर्ट के विमोचन के दौरान रक्षा खडसे ने कहा, “भारत सरकार देश में खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं कि देश में खेल की जड़ें मजबूत हों, जिससे हमारे एथलीट वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें।” उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट दिखाती है कि कैसे प्रौद्योगिकी ने भारतीय खेल क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए हैं, और ये बदलाव भारत के खेल इकोसिस्टम को और सशक्त बनाएंगे।
भारत में खेल संस्कृति को मजबूत बनाने में प्रौद्योगिकी की अहम भूमिका: केंद्रीय खेल राज्य मंत्री रक्षा खडसे
खडसे ने कहा, “आजकल खेलों का सिर्फ मैदान तक ही सीमित नहीं रहना है। डिजिटल प्लेटफॉर्म, ओटीटी स्ट्रीमिंग, और सोशल मीडिया ने खेलों की खपत को बढ़ाया है। इससे ना केवल दर्शकों की संख्या में वृद्धि हुई है, बल्कि प्रशंसकों के साथ जुड़ने के नए तरीके भी विकसित हुए हैं। यह खेलों को जन आंदोलन में बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
उन्होंने स्मार्ट स्टेडियम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), और वर्चुअल रियलिटी (वीआर) जैसी तकनीकों का उल्लेख किया जो न केवल एथलीटों के प्रशिक्षण को बेहतर बना रही हैं, बल्कि प्रशंसकों के अनुभव को भी पहले से कहीं ज्यादा आकर्षक और इंटरैक्टिव बना रही हैं।
खडसे ने भारत में खेलों के विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका की सराहना की और कहा, “सीएसआर और अन्य रणनीतिक साझेदारियों के माध्यम से बड़ी कंपनियां खेल क्षेत्र में निवेश कर रही हैं, जिससे नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं।” उन्होंने एनटीपीसी, रिलायंस फाउंडेशन, ओएनजीसी जैसे संगठनों के योगदान का उल्लेख किया, जो खेलों के विकास के लिए जरूरी सुविधाएं और प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।
मंत्री ने सरकार की प्रमुख पहल ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘मेक इन इंडिया’ को भी प्रमुख बताया, जिनका उद्देश्य भारतीय उद्यमियों को खेल प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवाचार करने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि यह सरकारी प्रयास भारतीय खेल-प्रौद्योगिकी को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेंगे।
खडसे ने अंत में सभी हितधारकों, निवेशकों और उद्यमियों से आग्रह किया कि वे भारतीय खेल प्रौद्योगिकी के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएं। “हम सरकार के रूप में खेल संस्कृति को जमीनी स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भारतीय खेल क्षेत्र को आवश्यक निवेश और समर्थन मिले, ताकि हम वैश्विक मंच पर उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें,” उन्होंने कहा।
खडसे ने भारत सरकार की प्रमुख पहलों का जिक्र किया, जैसे “खेलो इंडिया”, “टॉप्स”, और “साई राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र (एनसीओई)”, जो भारतीय खिलाड़ियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनने में मदद कर रही हैं। ये पहलें न सिर्फ भारतीय खिलाड़ियों के विकास में सहायक हैं, बल्कि भारतीय खेलों को भी एक नए मुकाम पर पहुंचा रही हैं।
आज जारी की गई रिपोर्ट, “बियॉन्ड द फील्ड”, भारतीय खेल क्षेत्र में प्रौद्योगिकी और नवाचार की भूमिका पर एक महत्वपूर्ण दस्तावेज साबित होगी, जो आने वाले वर्षों में खेल प्रौद्योगिकी के उभरते हुए आयामों को उजागर करेगी।