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अतुल वासन:
Williamson Came Under Question: भारत और न्यूजीलैंड के बीच कानपुर में खेले जा रहे पहले क्रिकेट टेस्ट के पहले दिन एजाज पटेल की गेंदबाजी खासी चर्चा में रही। उनकी लेग स्टम्प के बाहर की गेंदे विवाद का विषय बनीं। ऐसा माना जाता है कि यह क्रिकेट के लिए सही नहीं है। वैसे भी केन विलियम्सन की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में जैसी साफ सुथरी छवि है, उसे देखते हुए उनसे कम से कम यह उम्मीद नहीं की जाती कि उनके गेंदबाज पूरी तरह से लेग स्टम्प के बाहर गेंदबाजी करेंगे।
विलियम्सन की इमेज अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में बिल्कुल अलग है। अगर एजाज लगातार ऐसी गेंदें कर रहे थे तो उन्हें जाकर उन्हें समझाना चाहिए था कि यह सब खेल भावना के विपरीत है। मांकंडिंग से लेकर तमाम चीजें खेल भावना के विपरीत हैं लेकिन फिर भी होती हैं। मेरे ख्याल से बल्लेबाज को हतोत्साहित करने के लिए ऐसा किया जाता है। वैसे अम्पायर के पास ऐसे अधिकार हैं कि लगातार लेग साइड के बाहर गेंदें करने पर वह उन्हें वाइड करार दे सकता है।
कभी बाउंसर की सीमा नहीं थी। कभी बॉडीलाइन सीरीज में शरीर को लक्ष्य साधकर गेंदबाजी की जाने लगी थी। उन्हीं दिनों यह भी नियम बना कि स्क्वेयर लेग के पीछे खिलाड़ी नहीं रखा जा सकता था। यानी समय समय पर नियमों में बदलाव होता गया। मेरा मानना है कि अगर कोई लेग स्टम्प पर अटैक करके रनों पर कंट्रोल करता है तो यह उसकी रणनीति का हिस्सा है।
ऐसी स्थिति में अम्पायर की भूमिका बढ़ जाती है। वैसे एक-दो ऐसी गेंदों पर उन्हें वाइड नहीं दिया जाना चाहिए लेकिन अगर कोई जानबूझकर लेग साइड के काफी बाहर गेंदबाजी करता है तो उसे वाइड दिया ही जाना चाहिए। पहले टेस्ट के पहले दिन अम्पायर को विलियम्सन को बुलाकर इस बारे में चेतावनी देनी पड़ी।
इस टेस्ट में भारत ने इशांत शर्मा और उमेश यादव के रूप में दो तेज गेंदबाजों को खिलाया है। उमेश के पास स्पीड है और साथ ही वह इंडियन कंडीशंस में रिवर्स स्विंग भी खूब कराते हैं जबकि ईशांत शर्मा के पास टेस्ट क्रिकेट का लम्बा अनुभव है। यह मौजूद विकल्पों को देखते हुए सही है लेकिन लॉन्ग टर्म प्लानिंग को देखते हुए सही कदम नहीं लगता। हमें और ज्यादा गेंदबाजों का पूल तैयार करना चाहिए जिससे हमारे पास और ज्यादा विकल्प होते।
(लेखक टीम इंडिया के पूर्व तेज गेंदबाज होने के अलावा क्रिकेट समीक्षक हैं)
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