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Yuvraj Singh Talk To Father Yograj Singh Say You Spoiled My Childhood
'ऐसा बाप किसी को न मिले', इस क्रिकेटर से उसके पिता ने ही छीन लिया बचपन, फिर जो हुआ, आज भी याद करती है दुनिया
Yuvraj Singh on Yograj Singh: एक समय था जब युवराज सिंह को रोलर स्केटिंग बहुत पसंद थी। युवी ने अंडर-14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप भी जीती, लेकिन उनके पिता की जिद ने उन्हें क्रिकेटर बना दिया।
India News (इंडिया न्यूज), Yuvraj Singh on Yograj Singh: क्रिकेट में युवराज सिंह ने अपने पिता से ज़्यादा नाम कमाया है। युवी दुनिया के उन चंद बल्लेबाज़ों में से एक हैं जिन्होंने एक ओवर की सभी 6 गेंदों पर छक्के लगाए हैं। असल में एक युवराज सिंह एक फाइटर हैं। हर कोई जानता है कि कैसे युवी ने कैंसर से लड़ते हुए भारत के लिए वनडे वर्ल्ड कप जीता। युवी ने न सिर्फ़ वनडे बल्कि टी20 वर्ल्ड कप खिताब जीतने में भी अहम भूमिका निभाई है। एक समय था जब युवराज सिंह को रोलर स्केटिंग बहुत पसंद थी। युवी ने अंडर-14 रोलर स्केटिंग चैंपियनशिप भी जीती, लेकिन उनके पिता की जिद ने उन्हें क्रिकेटर बना दिया।
युवराज सिंह की अपने पिता से भावुक बातचीत
युवराज सिंह ने एक मीडिया चैनल पर अपने पिता से इस बारे में बात की है। उन्होंने कहा, ‘मैं सोच रहा था कि मेरे पिता मेरी तारीफ करेंगे… मैं स्वर्ण जीतकर आया था, क्योंकि आपकी किताब में न तो रजत है, न ही कांस्य… स्वर्ण जीतना सबसे बड़ी बात थी और जब आपने मेरे स्केट्स और पदक फेंक दिए, तो मुझे बहुत दुख हुआ। मैं बहुत दुखी था। मुझे लगा कि आपने मेरी जीत की तारीफ नहीं की।’
इस पर पिता योगराज सिंह ने जवाब दिया, ‘मैं आपकी भावनाओं को समझता हूं, लेकिन एक पिता होने के नाते मैं इस बारे में अधिक जानता हूं कि मैं अपने बच्चे को क्या करना चाहता हूं, क्योंकि मैं उस दौर से गुजर चुका हूं। मैं चाहता था कि तुम क्रिकेट खेलो, क्योंकि मैंने भारत के लिए खेलकर उस क्रिकेट का ग्लैमर और विजन देखा था।’
‘क्या गारंटी थी कि मैं आपका सपना पूरा करूंगा’
युवराज ने पूछा, ‘आपको कैसे पता था कि मैं भारत के लिए खेलूंगा, या क्या कोई गारंटी थी कि मैं आपका सपना पूरा करूंगा?’ इसके जवाब में योगराज सिंह ने दो टूक पूछा – ‘तो आपको क्या गारंटी थी कि आप स्केटिंग खेलकर विश्व चैंपियन बन जाएंगे?’
युवराज सिंह ने बताया कि कम से कम वह स्केटिंग में खुश तो थे। योगराज सिंह ने कहा, ‘तो ये छोटी-छोटी खुशियां हैं, है न? मैं बड़ी खुशियों की बात कर रहा हूं। देखो आज कितनी बड़ी खुशी है। आज तुम दुनिया में मशहूर हो। हाँ, मैं समझता हूँ कि माता-पिता को ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, लेकिन मैं एक अलग तरह का पिता हूं, जो अपने परिवार और बच्चों को अपनी मर्जी से चलाना चाहता है। मानो या न मानो, मैंने एक पौधा लगाया है जो एक बड़ा पेड़ बन गया है। अब हां, अगर-मगर तो होते रहेंगे।’