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Chandigarh News: ‘सिटी ब्यूटीफुल’ के नाम से मशहूर चंडीगढ़ फिर से सुर्खियों में है. पिछले दिनों रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि केंद्र सरकार यहां का प्रशासन सीधे अपने हाथों में ले सकती है. हालांकि सरकार ने इस खबर को खारिज कर दिया है. वास्तव में संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार संविधान के अनुच्छेद 240 को लेकर एक बिल लाने वाली है, जिसके दायरे में चंडीगढ़ भी शामिल है. आइये आजादी के बाद बने भारत के पहले मॉडर्न शहर के इतिहास और भूगोल के बारे में जानते है और यह कैसे बसा? शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसा चंडीगढ़ शानदार हेरिटेज इमारतों और रास्तों वाला एक हरा-भरा इलाका है, एक ऐसी जगह जहां हर कोई रहना चाहता है. चंडीगढ़ का इतिहास बहुत दिलचस्प है.
चंडीगढ़ का इतिहास 8 हजार साल पुरानी सिंधु घाटी सभ्यता और हड़प्पा सभ्यता से जुड़ा है. 1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ, तो लाहौर पाकिस्तान में चला गया. जिससे पंजाब राज्य के लिए एक नई राजधानी की जरूरत पड़ी. प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1950 में एक नई मॉडर्न राजधानी बनाने का फैसला किया. मशहूर आर्किटेक्ट ली कोर्बुसिए ने चंडीगढ़ का डिज़ाइन बनाया था.
मार्च 1948 में पंजाब और केंद्र सरकार ने शिवालिक माउंटेन रेंज की घाटी में इस दलदली इलाके को जो हिमाचल और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से ज़्यादा दूर नहीं है. पंजाब की नई राजधानी के तौर पर चुना. 1912-13 के ब्रिटिश गैजेट के मुताबिक यह इलाका कभी अंबाला जिले का हिस्सा था. चंडीगढ़ का फॉरेस्ट कवर 8.5 परसेंट है. जो गोवा और लक्षद्वीप के बाद देश में सबसे ज़्यादा है.
आज जहां चंडीगढ़ शहर है वहां कभी एक बड़ी दलदली झील थी. उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एक मॉडर्न राजधानी बनाने का सपना देखा था. शुरुआत में अमेरिकन आर्किटेक्ट अल्बर्ट मेयर और उनके साथी पोलिश आर्किटेक्ट मैथ्यू नोविकी को मास्टरप्लान का काम सौंपा गया था. हालांकि नोविकी की एक प्लेन क्रैश में मौत हो गई. जब मेयर ने ज़्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई, तो नेहरू के आदेश पर प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर पी.एल. वर्मा ने नए आर्किटेक्ट की तलाश शुरू की और स्विस मूल के फ्रेंच आर्किटेक्ट कॉर्बूसियर का नाम सामने आया.
कहा जाता है कि ली कॉर्बूसियर की टीम के सदस्य आर्किटेक्ट जेन ड्रू और एडविन मैक्सवेल ने 3,000 पाउंड की सैलरी पर प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए अपनी 40,000 पाउंड की नौकरी छोड़ दी थी. आर्किटेक्ट पियरे जेनेरेट भी इस कोर टीम का हिस्सा थे. कॉर्बूसियर की काबिलियत की वजह से सात देशों में उनके 17 प्रोजेक्ट UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल हुए. आज यह रकम करोड़ों की होगी.
चंडीगढ़ की नींव 1952 में रखी गई थी. जब पंजाब से हरियाणा राज्य बनाया गया. तो चंडीगढ़ को लेकर विवाद खड़ा हो गया. 1 नवंबर 1966 को इसे यूनियन टेरिटरी का दर्जा दिया गया और इसे दोनों राज्यों की राजधानी बनाया गया था.
पंजाब को 7 अक्टूबर 1953 को चंडीगढ़ अपनी नई राजधानी के तौर पर मिला लेकिन इसका नाम अभी तय नहीं हुआ था. भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, स्थापना दिवस समारोह में शामिल हुए. उन्होंने कालका हाईवे के पास प्रसिद्ध चंडी माता मंदिर के पुजारी की राय मांगी, और उन्होंने चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन का नाम चंडी माता के नाम पर रखने का सुझाव दिया था. जो ब्रिटिश काल से चल रहा था.
जब हरियाणा राज्य पंजाब से अलग होकर बना तो चंडीगढ़ को लेकर विवाद खड़ा हो गया. 1 नवंबर 1966 को इसे यूनियन टेरिटरी का दर्जा दिया गया और इसे दोनों राज्य की राजधानी बनाया गया. पंजाब का दावा है कि क्योंकि वहां के लोग पंजाबी बोलते है. इसलिए इसे पंजाब की राजधानी होना चाहिए. हालांकि हरियाणा सरकार हिंदी और हरियाणवी भाषा के आधार पर यही दावा करती है. चंडीगढ़ अभी पंजाब और हरियाणा दोनों की मिली-जुली राजधानी है.
संविधान का आर्टिकल 240 उन केंद्र शासित प्रदेश को कवर करता है जिनमें विधानसभा या चुनी हुई सरकार नहीं है. लक्षद्वीप, दादरा और नगर हवेली, और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह ऐसे केंद्र शासित प्रदेश है. जबकि पुडुचेरी विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश है.
अभी पंजाब के गवर्नर चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम करते है. अगर नया नियम लागू होता, तो चंडीगढ़ में लेफ्टिनेंट गवर्नर नियुक्त किया जा सकता था. हालांकि चंडीगढ़ की एडमिनिस्ट्रेटिव शक्तियां अभी पंजाब के गवर्नर के पास है. शुरुआत में चीफ सेक्रेटरी इस केंद्र शासित प्रदेश के इंडिपेंडेंट एडमिनिस्ट्रेटर के तौर पर काम करते थे. हालांकि 1 जून 1984 को लागू हुए बदलाव के बाद पंजाब के गवर्नर चंडीगढ़ के एडमिनिस्ट्रेटर बन गए और चीफ सेक्रेटरी ने केंद्र शासित प्रदेश के एडमिनिस्ट्रेटर के सलाहकार की भूमिका संभाली थी.
भारत की आज़ादी के बाद भी पंजाब बड़े राज्य में से एक रहा है. जब राज्य को भाषा के आधार पर फिर से बनाया गया तो पंजाब पुनर्गठन हुआ तो पंजाब रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट 1966 लाया गया. इसमें पंजाब से अलग राज्य की स्थापना हरियाणा के तौर पर हुई, जिसमें हिन्दी और हरियाणवी बोली बोलने वालों की अधिकता थी.
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