India News (इंडिया न्यूज), Gurugram Matri Van Tree Plantation Drive : केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य तथा ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि दुनिया भर में गुरुग्राम का नाम प्रगति के लिए लिया जाता है लेकिन अब प्रगति के साथ प्रकृति से भी जुड़ाव होना चाहिए। आज इस दृढ़ संकल्प की भी आवश्यकता है कि हम न केवल पेड़ लगाएंगे बल्कि उनकी पांच-छ: वर्षों तक देखभाल भी करेंगे। उन्होंने यह बात शनिवार को गुरुग्राम के सेक्टर 54 में एक पेड़ मां के नाम अभियान की श्रृंखला में मातृ वन विकसित करने के उपलक्ष में आयोजित वन महोत्सव कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ पौधरोपण करते हुए मातृ वन की आधारशिला रखी। हरियाणा के वन, पर्यावरण एवं वन्य जीव मंत्री राव नरबीर सिंह की पहल पर सेक्टर 54 के समीप अरावली पर्वतमाला में 750 एकड़ क्षेत्र में मातृ वन विकसित किया जाएगा। मातृ वन में छोटी काबुली कीकर को हटाकर बरगद, पीपल, गुल्लर, बेस पत्र, ईमली, पिलखन, नीम, बांस, फूल, औषधीय पौधे आदि लगाए जाएंगे। साथ ही मातृ वन में नक्षत्र वाटिका, राशि वाटिका, कैक्टस गार्डन व बटरफ्लाई पार्क भी विकसित होंगे।
केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य तथा ऊर्जा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम लगाने की बात कही है। धरती को हरा भरा बनाने की इस पहल को हमें अपने संस्कारों में लाना चाहिए। उन्होंने कार्बन उत्सर्जन को लेकर अपने संबोधन में कहा कि एक व्यक्ति प्रतिदिन एक किलोग्राम कार्बन छोड़ता है जबकि एक पेड़ प्रतिदिन 60 से 90 ग्राम कार्बन ग्रहण करता है। ऐसे में जीवन के लिए प्रति व्यक्ति को 15 से 16 पेड़ों की आवश्यकता होती है। ऐसे में गुरुग्राम के मातृ वन जैसी योजनाओं की बड़ी आवश्यकता है। यह वन ने केवल गुरुग्राम बल्कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक के वातावरण को स्वच्छ करेगा।
उन्होंने बताया कि कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए ऊर्जा क्षेत्र में भी नवाचारों का बढ़ावा दिया जा रहा है। कोयले के स्थान पर हाइड्रो, सोलर, न्यूक्लियर एनर्जी आदि विकल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा। उन्होंने बताया कि भारत वर्ष 2047 तक अपने ऊर्जा उत्पादन में न्यूक्लियर एनर्जी में 100 गीगा बाइट के उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर लेगा। तीन महीने पहले की एक रिपोर्ट में भारत में कोयले से तैयार होनी वाली बिजली 50 फीसदी से कम हो गई है जबकि नॉन फॉसिल एनर्जी की सीमा 50 फीसद से अधिक हो गई है। उन्होंने हरियाली को प्रोत्साहन देने के लिए प्राणवायु देवता के साथ-साथ वन मित्र योजना को भी प्रभावी ढंग से आरंभ करने की बात कही।
केंद्रीय मंत्री ने गुरुग्राम की पहचान से जुड़े औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ पर्यटन को बढ़ावा देने को भी समय की आवश्यकता बताया। इसके लिए गुरुग्राम में जंगल सफारी, एचएसआईआईडीसी द्वारा 125 एकड़ में न्यूयार्क के सेंट्रल पार्क की तर्ज पर आनंद वन विकसित करने, 500 से 600 एकड़ में डिज्नीलैंड बनाने, सिंगापुर की तर्ज पर डिज्नीलैंड या सेक्टर 29 में बड़ा एक्वेरियम बनाने, एक बड़ा कंवेंशन सेंटर बनाने, डेस्टिनेशन वेंडिंग्स के लिए एक वैंडिंग जोन विकसित करने व बायोडायवॢसटी पार्क को ओर अधिक विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी से व्यापक चर्चा कर इन परियोजनाओं को धरातल पर साकार किया जाएगा।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि गुरुग्राम में 750 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जा रहा मातृ वन आने वाले समय में सम्पूर्ण दिल्ली-एनसीआर के लिए ‘ग्रीन हार्ट’ की भूमिका निभाएगा। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण का प्रतीक बनेगा, बल्कि हरियाली का नया अध्याय भी रचेगा। केंद्रीय मंत्री ने मातृ वन अभियान के शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुरुग्राम को आइडियल सिटी बनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के अंतर्गत पिछले दो वर्षों में अरावली क्षेत्र को नया स्वरूप देने की दिशा में सार्थक प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ग्रीन अरावली परियोजना के अंतर्गत पांच राज्यों के 29 जिलों में स्थानीय प्रजातियों की पौध तैयार की जा रही है और आइडियल नर्सरी मॉडल विकसित किया जा रहा है। इनमें से तीन जिलों में कार्य भी आरंभ हो चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने हरियाणा वन विभाग से कोयंबटूर की तर्ज पर तितली पार्क विकसित करने का सुझाव दिया तथा इसमें औषधीय पौधों को प्राथमिकता देने की बात कही। उन्होंने कहा कि यह स्थल भविष्य में एक पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित हो सकता है, जिसके लिए अभी से समुचित प्रबंधन किया जाए। अपने संबोधन में उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारंभ किए गए ‘मिशन लाइफ’ और ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसे अभियानों में जन-सक्रियता और व्यापक सहभागिता का आह्वान भी किया।
हरियाणा के वन, पर्यावरण एवं वन्य जीव मंत्री राव नरबीर सिंह ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हम सौभाग्यशाली है कि दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला हरियाणा से होकर गुजरती है। लेकिन इस पर्वत श्रृंखला में काबुली कीकर बहुतायत संख्या में होने के कारण पर्यावरण को उतना लाभ नही मिल पाता। ऐसे में वन विभाग हरियाणा द्वारा 750 एकड़ में बनने वाले इस मातृ वन में स्थानीय प्रजाति के पौधों जैसे बड़, पीपल, नीम, गुल्लर आदि के रोपण को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि यह हम सभी का सांझा प्रयास है। जिससे आने वाले 10 वर्षों में सार्थक परिणाम देखने को मिलेंगे।
राव नरबीर सिंह ने अपने संबोधन के दौरान आम नागरिकों से पर्यावरण संरक्षण का आह्वान करते हुए कहा कि गुरूग्राम एनसीआर का प्रमुख जिला है ऐसे में अगर हम कोई सार्थक पहल करेंगे तो अन्य जिले भी उसका अनुसरण करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर पॉलीथिन बिकना बैन है। आम नागरिकों को इस अभियान में सहभागी बनकर आने वाली पीढिय़ों के भविष्य को संरक्षित करना होगा।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पॉलीथीन को गलने में करीब चार सौ साल लगते हैं। जिसमें हमारी 16 पीढिय़ां प्रभावित होती हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण को संरक्षित कर हमारी आगामी पीढिय़ों को एक सुरक्षित व स्वच्छ वातावरण उपलब्ध कराने के लिए हम सभी को यह प्रण करना होगा कि हम अपनी दैनिक दिनचर्या में पर्यावरण को प्रभावित करने वाले सभी हानिकारक तत्वों का इस्तेमाल नही करेंगे। अपने परिवार और संपर्क में आने वालों को पॉलिथीन के विकल्पों और इसके उचित निराकरण के प्रति जागरूक भी करेंगे।
मातृ वन को विकसित करने के लिए वन, पर्यावरण एवं वन्य जीव मंत्री राव नरबीर की अपील पर बड़ी संख्या में कार्पोरेट व स्वयंसेवी संगठन व गुरुग्राम में हरियाली को प्रोत्साहन देने में जुटे स्वयंसेवक सेक्टर 54 में एकत्रित हुए। बड़ी संख्या में स्कूली विद्यार्थियों ने भी माता वन में पौधरोपण किया।
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