Live
Search
Home > राज्य > राजस्थान > कौन हैं लक्ष्यराज मेवाड़ और पद्मजा परमार? 1300 वर्ष पुराने मेवाड़ राजवंश में आखिर किस बात की ‘महाभारत’

कौन हैं लक्ष्यराज मेवाड़ और पद्मजा परमार? 1300 वर्ष पुराने मेवाड़ राजवंश में आखिर किस बात की ‘महाभारत’

Mewar Royal Family Property Dispute: राजस्थान के चर्चित मेवाड़ के राजघराने में 'कुरुक्षेत्र' जैसी स्थिति बन गयी है. फिलहाल संपत्ति को लेकर घराने में महाभारत जैसा युद्ध चल रहा है. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है.

Written By: JP YADAV
Last Updated: December 18, 2025 21:12:31 IST

Mewar Royal Family Property Dispute: बप्पा रावल ने मेवाड़ के गुहिल वंश की स्थापना की थी. इतिहासकारों के मुताबिक, मेवाड़ राजवंश का इतिहास करीब 1300 वर्ष पुराना है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि गुहिल वंश में महाराणा कुंभा, महाराणा संग्राम सिंह और महाराणा प्रताप जैसे वीर योद्धा इसी घराने (राजवंश) से हैं. अब महाराणा प्रताप जैसे महान शासकों को जन्म देने वाला राजस्थान का मेवाड़ राजघराना (Mewar Royal Family) अचानक चर्चा में आ गया है. दरअसल, अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत और संपत्ति को लेकर विवाद जगजाहिर हो गया है. अरविंद सिंह मेवाड़ के बेटे लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और बेटी पद्मजा कुमारी के बीच संपत्ति का विवाद कोर्ट में आने के बाद सार्वजनिक हो गया है.

आखिर क्यों हुई सुप्रीम कोर्ट की एंट्री?

अब इस संपत्ति विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट की एंट्री हुई है. SC ने पिछले कई दशकों से चल रहे अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत और उत्तराधिकार के विवाद को अब दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ट्रांसफर कर दिया है. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और बॉम्बे हाई कोर्ट में चल रहे मामलों को भी दिल्ली भेजने का आदेश दिया है. माना जा रहा है कि सभी मामलों के एक साथ आने से निष्पक्ष सुनवाई हो सकेगी. इस मामले की अगली सुनवाई जनवरी 2026 से शुरू होगी और इस पर राजस्थान, मेवाड़ घराने के अलावा देश-विदेश के लोगों की नजरें होंगीं.

क्या है पूरा विवाद

19 जनवरी, 1597 को चावंड (वर्तमान उदयपुर, राजस्थान) में महाराणा प्रताप का निधन हुआ था, . वह सिर्फ 59 वर्ष के थे. उनकी मृत्यु का कारण कथित तौर पर एक शिकार दुर्घटना में लगी चोटें थीं. इसके बाद उनके पुत्र अमर सिंह प्रथम ने मेवाड़ की गद्दी संभाली. इतिहासकारों के मुताबिक, महाराणा प्रताप के बाद 19 शासक हुए जिन्होंने मेवाड़ पर शासन किया या कहें गद्दी संभाली. महाराणा भूपाल सिंह ने आजादी की लड़ाई के दौरान वर्ष 1930 से 1955 के बीच अपनी रियासत की आहुति दी थी. इसके बाद उन्हें आजीवन राज प्रमुख पद भी दिया गया था. यह दुर्भाग्य है कि महाराणा भूपाल सिंह की कोई संतान नहीं थी. इसके चलते उन्होंने भगवत सिंह मेवाड़ को गोद लिया. इसके बाद महाराणा भगवत सिंह के 3 बच्चे (महेंद्र सिंह मेवाड़, अरविंद सिंह मेवाड़ और बेटी योगेश्वरी मेवाड़) हुए. विवाद यहां से शुरू होता है, क्योंकि राजघराने की संपत्ति लीज पर दी गई थी. ऐसे में पिता भगवत सिंह और महेंद्र मेवाड़ के बीच विवाद पैदा हो गया. विवाद के चलते रिश्ते बहुत खराब हो गए. इसके बाद भगवत सिंह ने अपनी संपत्ति से महेंद्र सिंह मेवाड़ को पूरी तरह से बेदखल कर दिया.

आखिर क्यों संपत्ति विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट?

वर्तमान में मेवाड़ के शाही परिवार की संपत्तियों के बंटवारे को लेकर चल रहा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. बहुत लोग जानते होंगे कि यह संपत्ति विवाद राजस्थान के उदयपुर स्थित सिटी पैलेस, एचआरएच होटल्स ग्रुप सहित अन्य संपत्तियों पर कंट्रोल को लेकर है. संपत्ति का यह पूरा विवाद लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और उनकी बहन पद्मजा कुमारी परमार के बीच है. इस बीच महाराजा अरविंद सिंह मेवाड़ की वसीयत की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के जरिये चुनौती दी गई है. कोर्ट को जानकारी दी गई है कि याचिकाकर्ता उदयपुर के पूर्व महाराजा अरविंद सिंह मेवाड़ के परिवार से जुड़े हैं. इसमें यह भी तर्क रखा गया है कि महाराणा भगवंत सिंह मेवाड़ के उत्तराधिकारी थे. वहीं, लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ की ओर से बॉम्बे हाईकोर्ट में लंबित मामलों को राजस्थान हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी. इसके अलावा दूसरी याचिकाकर्ता ने जोधपुर बेंच, राजस्थान हाईकोर्ट में लंबित मामलों को बॉम्बे हाईकोर्ट भेजने का अनुरोध किया है. ताजा अपडेट यह है कि सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर इन सभी मामलों को दिल्ली हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया है. 

महेंद्र सिंह मेवाड़ ने बड़े बेटे को किया था संपत्ति से बेदखल

यह भी जानकारी सामने आई है कि भूपाल सिंह ने अप्रैल 1955 में एकलिंगजी ट्रस्ट की स्थापना की. भगवत सिंह मेवाड़ की तीन संतानें हुईं- दो बेटे (महेंद्र सिंह और अरविंद सिंह), जबकि एक बेटी योगेश्वरी कुमारी हैं. मेवाड़ परिवार में संपत्ति विवाद का विवाद तब शुरू हुआ, जब भगवत सिंह मेवाड़ ने 1983 में पारिवारिक संपत्तियों को बेचने और लीज पर देने का फैसला किया. कहा जाता है कि बड़े बेटे महेंद्र सिंह को भगवत सिंह मेवाड़ का यह निर्णय नहीं भाया. उन्होंने एतराज किया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. इसके बाद वह कोर्ट चले गए. बेटे के कोर्ट जाने से भगवत सिंह मेवाड़ खफा हो गए. भगवत सिंह मेवाड़ ने इसके बाद अहम फैसला लिया और अपनी वसीयत और संपत्ति से जुड़े फैसलों की जिम्मेदारी छोटे बेटे अरविंद सिंह मेवाड़ के हवाले कर दी. यह बात महेंद्र सिंह मेवाड़ को बहुत नागवार गुजरी. नाराजगी इस कदर थी कि भगवत सिंह मेवाड़ ने अपने ब़ड़े बेटे महेंद्र सिंह मेवाड़ को ट्रस्ट और संपत्ति से बाहर का रास्ता दिखा गया. इस बीच यानी एक साल के आसपास यानी 3 नवंबर 1984 को भगवत सिंह मेवाड़ ने दुनिया को अलविदा कह दिया. इसके बाद मेवाड़ परिवार का संपत्ति विवाद और गहरा गय

जिला अदालत ने दिया था संपत्ति 4 हिस्सों में बांटने का आदेश

इस बीच यह मामला लंबे समय तक कोर्ट में चला. करीब 4 दशक तक कानूनी लड़ाई अदालत में चली. वर्ष 2020 में उदयपुर की जिला अदालत ने अपने फैसले में विवादित संपत्ति को चार हिस्सों में बांटने का आदेश दिया. इस आदेश में साफ कहा गया कि एक हिस्सा भगवत सिंह मेवाड़ के नाम है, जबकि बाकी तीन हिस्से उनकी तीनों संतानों के बीच बांटे जाएंगे. इसके बाद जाहिर तौर पर कोर्ट के फैसले के तहत ज्यादातर संपत्ति अरविंद सिंह मेवाड़ के पास रही. उधर, महेंद्र सिंह और उनकी बहन योगेश्वरी कुमारी के हाथ बहुत कम संपत्ति आई. यह अलग बात है कि कोर्ट ने अपने फैसले में वर्ष 2020 में शंभू निवास पैलेस, बड़ी पाल और घास घर जैसी संपत्तियों से जुड़ी आर्थिक गतिविधियों पर तत्काल रोक भी लगाई थी.

किनके बीच है असल संपत्ति विवाद

16 मार्च, 2025 को अनहोनी हुई और अरविंद सिंह मेवाड़ का निधन हो गया. इनकी तीन संतानें बेटा लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और दो बेटियां भार्गवी कुमारी मेवाड़ और पद्मजा कुमारी मेवाड़ हैं. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ परिवार के उत्तराधिकारी और HRH ग्रुप ऑफ होटल्स के मालिक हैं और बहन पद्मजा से उनका संपत्ति विवाद कोर्ट में चल रहा है.

MORE NEWS