World first Dynamic Wireless Charging System : आज के समय में इलेक्ट्रिक गाड़ियां (EV) काफी तेजी से फेमस हो रही हैं. पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण लोग अब बिजली से चलने वाले वाहनों की ओर रुख कर रहे हैं. ये गाड़ियां न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर हैं, बल्कि खर्च के मामले में भी किफायती हैं. हालांकि, इनके सामने सबसे बड़ी समस्या चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की है.
भारत जैसे देशों में चार्जिंग स्टेशन मेन रूप से बड़े शहरों तक सीमित हैं. लोगों को गाड़ियों को चार्ज करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है, कई बार स्टेशन पर लाइनें लग जाती हैं. लेकिन अब इस परेशानी का एक नया समाधान सामने आया है. चलते-चलते चार्ज होने वाली सड़क.
फ्रांस ने सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. देश ने दुनिया का पहला ऐसा मोटरवे शुरू किया है, जिसमें डायनामिक वायरलेस चार्जिंग सिस्टम लगा है. इसका मतलब है कि इलेक्ट्रिक वाहन अब चलते-चलते ही चार्ज हो जाएंगे. ड्राइवर को गाड़ी रोकने या चार्जिंग स्टेशन ढूंढने की जरूरत नहीं होगी.
इस पहल का नाम ‘चार्ज एज यू ड्राइव’ (Charge as You Drive) रखा गया है. ये प्रोजेक्ट पेरिस से करीब 40 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में A10 मोटरवे पर शुरू किया गया है. इसे एक कंसोर्टियम ग्रुप ने मिलकर विकसित किया है, जिसमें Vinci Autoroutes, Electreon, Vinci Construction, Gustave Eiffel University और Hutchinson जैसी कंपनियां शामिल हैं.
शुरुआत में इसे लैब में टेस्ट किया गया था और अब इसे असली ट्रैफिक के बीच परखा जा रहा है. इस प्रयोग से उम्मीद की जा रही है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की सबसे बड़ी समस्या चार्जिंग की कमी को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा.
इस मोटरवे के करीब 1.5 किलोमीटर लंबे हिस्से में सड़क के अंदर कॉइल्स लगाई गई हैं. जब कोई इलेक्ट्रिक वाहन, जिसमें रिसीवर कॉइल लगी होती है, इस सड़क पर चलता है, तो सड़क के नीचे मौजूद कॉइल्स से मैग्नेटिक फील्ड बनती है. ये फील्ड वाहन की रिसीवर कॉइल से जुड़कर बैटरी को चार्ज करती रहती है.
इस सिस्टम को डायनामिक इंडक्शन चार्जिंग कहा जाता है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि गाड़ी को रुकने की जरूरत नहीं पड़ती चार्जिंग चलते-चलते होती रहती है.
टेस्टिंग के दौरान इस तकनीक को कई तरह के वाहनों जैसे ट्रक, बस, यूटिलिटी व्हीकल और पैसेंजर कार पर आजमाया गया है. शुरुआती नतीजे काफी अच्छे रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, इस सिस्टम ने 200 किलोवाट से ज्यादा की औसत पावर और 300 किलोवाट तक की पीक पावर दी है.
फ्रांस की ये पहल भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक नया रास्ता खोल सकती है. अगर ये प्रयोग सफल रहता है, तो आने वाले समय में दुनिया के कई देश इस तकनीक को अपनाकर चार्जिंग की समस्या को खत्म कर सकते हैं.
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