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India News (इंडिया न्यूज़), Center On Women’s reservation: केंद्र सरकार ने महिला आरक्षण कानून को सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा डाला है। जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि तत्काल रूप से महिला आरक्षण कानून को लागू नहीं किया जा सकता है। सरकार के मुताबिक, जनगणना और परीसीमन की प्रक्रिया को तय कानून और नियमों के तहत निभाया जाना अनिवार्य है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने कहा कि याचिकाकर्ता जया ठाकुर की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है़। उनके द्वारा याचिका में उठाए गए मुद्दों की योग्यता नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय उनके इस याचिका को खारिज करे और उचित आदेश जारी करे। बता दें कि केंद्र सरकार संसद, विस के साथ नगर स्थानीय निकायों में महिलाओं की भागीदारी समेत जीवन के हरेक क्षेत्र में महिला सशक्तीकरण और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास के लिए हर संभव कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार ने कहा कि महिला आरक्षण कानून बनाने में संविधान के मूलभूत ढांचे का उल्लंघन नहीं हुआ है। याचिका में निराधार आरोप लगाए गए हैं। सरकार ने कहा कि याचिका में स्थापित नहीं किया जा सका कि 106वें संविधान संशोधन का कोई हिस्सा असंवैधानिक है या वह संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है। सरकार ने कहा कि याचिका में महिलाओं के लिए राजनीतिक आरक्षण को तत्काल लागू करने की मांग की है। जबकि अन्य आरक्षण लागू करने पर कोई समय-सीमा प्रदान नहीं की गई थी। बगैर उचित प्रक्रिया के महिलाओं के लिए राजनीतिक आरक्षण लागू करने के लिए समय-सीमा नहीं तय की जा सकती।
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केंद्र सरकार ने कहा है कि महिलाएं पंचायत राज संस्थाओं और नगर निकायों में पर्याप्त रूप से भाग लेती हैं। लेकिन राज्य विस के साथ संसद में उनका प्रतिनिधित्व अभी भी सीमित है। राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को उच्च प्रतिनिधित्व प्रदान करना भी लंबे समय से लंबित मांग रही है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिला आरक्षण लागू करने के लिए कई प्रयास किए गए हैं। आखिरी बार ऐसा प्रयास 2010 में किया गया था, जब राज्यसभा ने महिला आरक्षण के लिए एक विधेयक पारित किया था। लेकिन वह लोकसभा में पारित नहीं हो सका। मौजूदा सरकार ने संवैधानिक संशोधन कर एक नया कानून पारित किया, जिसमें कुल सीटों में से लगभग एक-तिहाई सीटों का प्रावधान किया जाएगा। लोक सभा, प्रत्येक राज्य की विधान सभा और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की विधान सभा को महिलाओं के लिए आरक्षित किया जाएगा।
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केंद्र सरकार ने बताया कि परिसीमन और जनगणना की प्रक्रिया हर वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षण के लिए सीटों की पहचान आंतरिक रूप से जुड़ी हुई है। यह अधिकारियों द्वारा वैज्ञानिक रूप से संचालित प्रक्रियाएं हैं और इनसे एक अलग पवित्रता जुड़ी हुई है। यह प्रक्रियाएं देश में राजनीतिक प्रक्रिया की जड़ तक जाती हैं और इन्हें कानून द्वारा प्रदान किए गए हैं, जिन्हें सावधानीपूर्वक, उचित और गंभीर तरीके से किया जाना आवश्यक है।
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