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इंडिया न्यूज़, दिल्ली : हाल में ही कोरोना से घुटने पर आ चुका चाइना फिर से अपनी विस्तारवादी सोच के जरिये दुनिया के अन्य देशों में जासूसी का गुब्बारा भेज रहा है। चीन के जासूसी गुब्बारे के टारगेट पर अमेरिका सहित अन्य भी देश है। जहां ड्रैगन जासूसी का गुब्बारा भेजकर वहां के रक्षा और सैन्य जानकारियों का पता लगाने का प्रयास कर रहा है। शी -जिनपिंग के नेतृत्व वाले ड्रैगन की बात करे तो वह कभी समुद्र के अंदर घुसपैठ करता है तो कभी आसमान में घुसपैठ करता है। जब चाइना के नापाक इरादों का पता चलता है तो वो चोरी और ऊपर से सीनाजोरी वाली बात करता है।
चीन की दादागिरी की बात करे तो अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कुछ दिन पहले चीन के जासूसी गुब्बारे अमेरिका के संवेदनशील प्रतिष्ठानों के ऊपर उड़ रहे थे। शनिवार (4 फरवरी 2023) को अमरीकी सेना ने अटलांटिक महासागर के ऊपर दक्षिण कैरोलिना के तट के ऊपर उड़ रहे इन गुब्बारों को मिसाइल के जरिए मार गिराया था। अब एक बार फिर रिपोर्ट आ रही है कि चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराने के बाद अमेरिका के आसमान में एक और फ्लाइंग ऑब्जेक्ट देखा गया, जिसे भी अमेरिका के फाइटर जेट ने मार गिराया।
अमेरिकी मीडिया आउटलेट न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इस ऑब्जेक्ट को अलास्का के तट के निकट मार गिराया गया है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किर्बी के मुताबिक अमेरिका के अलास्का में 40 हजार फीट की ऊंचाई पर एक फ्लाइंग ऑब्जेक्ट देखा गया। इसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस ऑब्जेक्ट को गिराने का आदेश दिया। उनका आदेश मिलने के बाद पेंटागन ने फाइटर जेट की मदद से उसे मार गिराया। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह फ्लाइंग ऑब्जेक्ट एक गुब्बारा था या कुछ और। इस बारे में पता लगाने की कोशिश की जा रही है। फ्लाइंग ऑब्जेक्ट को शूट भारतीय समय मुताबिक शुक्रवार देर रात करीब 1 बजे (1930 GMT) पर किया गया. अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक यह फ्लाइंग ऑब्जेक्ट एक छोटी कार के आकार का था. जॉन किर्बी ने बताया कि मलबे को निकालने की कोशिश शुरू की जा रही है. उन्होंने कहा कि यह फ्लाइंग ऑब्जेक्ट ‘जासूसी गुब्बारे’ की तुलना में बहुत छोटा था।
बता दें, हाल ही में अमेरिका ने चीन के उस ‘जासूसी गुब्बारे’ को मार गिराया था, जो करीब एक हफ्ते तक अमेरिका के कई राज्यों के आसमान में देखा गया था। चीन के विस्तारवादी नीति के तौर पर देखा जाए तो अमेरिका के अलावा उसे कनाडा और लैटिन अमेरिका के एयरस्पेस में भी देखा गया था, जिसके बाद वहां हड़कंप मच गया था। बताया जा रहा अमेरिकी राज्य मोंटाना के ऊपर देखे गए बैलून का आकार तीन बसों के बराबर था। हालांकि, चीन के भेजे गए गुब्बारों पर अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि इस स्पाई बैलून से लोगों को किसी तरह का खतरा नहीं है। लेकिन फिर भी बीते कुछ दिनों से अमेरिकी वायुक्षेत्र में देखे जा रहे इस बैलून को ट्रैक किया जा रहा था। अमेरिकी सैन्य विमानों के जरिए भी इस पर नजर रखी जा रही थी, और बाद में उसे राष्ट्रपति जो बाइडेन का आदेश मिलने के बाद शूट कर दिया गया था। जानकारी के मुताबिक, अमेरिका के जिस मोटांना क्षेत्र में चीन का जासूसी गुब्बारा उड़ रहा था, वहां पर अमेरिका का एक न्यूक्लियर मिसाइल क्षेत्र है। अमेरिकी सेना को शक था कि वो जासूसी गुब्बारा उन संवेदनशील इलाकों की ओर से गुजरेगा और कई जरूरी जानकारी चीन तक पहुंचाएगा। लेकिन क्योंकि उस गुब्बारे का आकार काफी बड़ा था, मलबा नीचे गिरने का भी डर था, इसलिए इसे गिराने का फैसला काफी लेट किया गया।
अब यहां सवाल उठता है कभी किसी देश के समुद्री सीमा में घुसपैठ, कभी पड़ोसी देशों की सीमा में घुसपैठ तो कभी सुपर पावर अमेरिका जैसे देशों में संदिग्ध गुब्बारे भेजकर चाइना युद्ध चाहता है? या चाइना अमरीका में गुब्बारे भेजकर खुद को सुपर पावर साबित करना चाहता है? या कोरोना से तबाह हो चुके चीन की आर्थिक स्थिति पर वहां के आम जनता का ध्यान भटकाने के लिए ड्रैगन युद्ध चाहता है?
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