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शादी के बाद बेटी का संपत्ति पर अधिकार नहीं, गुजरात हाई कोर्ट ने कहा 'यह मानसिकता गलत'

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : शादी के बाद बेटी का बाप की संपत्ति पर अधिकार नहीं है, यह सोच सरासर गलत है। गुजरात हाईकोर्ट ने सम्पति विवाद में बड़ी टिप्पणी की है। जानकारी दें, हाईकोर्ट ने शुक्रवार (13 जनवरी) को मामले की सुनवाई करते हुए लोगों की इस मानसिकता को गलत बताया कि शादी की बाद […]

BY: Ashish kumar Rai • UPDATED :
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इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : शादी के बाद बेटी का बाप की संपत्ति पर अधिकार नहीं है, यह सोच सरासर गलत है। गुजरात हाईकोर्ट ने सम्पति विवाद में बड़ी टिप्पणी की है। जानकारी दें, हाईकोर्ट ने शुक्रवार (13 जनवरी) को मामले की सुनवाई करते हुए लोगों की इस मानसिकता को गलत बताया कि शादी की बाद बेटी पराया धन हो जाती है। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि बेटी और बहन को लेकर समााज की धारणा बदलनी बेहद जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बेटी और बहन को इस आधार पर संपत्ति के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता कि उसकी शादी हो गई है।

एक मामले की सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने याचिकाकर्ताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘बहन की शादी हो गई, इसलिए उसका संपत्ति पर अधिकार खत्म हो गया, ऐसा नहीं हो सकता। वह आपकी बहन हैं। आपके साथ ही एक ही परिवार में उनका जन्म हुआ है। इसलिए बेटी की शादी के बाद उसकी माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार खत्म हो जाता, यह मानसिकता अब बदलने की जरूरत है।’

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शादी होने के बाद परिवार में बेटी का कद नहीं बदल जाता

लोअर कोर्ट के इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आगे कहा, ‘बेटी की शादी होने से उसका परिवार में स्टेटस नहीं बदल जाता। जिस परिवार में उसका जन्म हुआ, वहां उसकी वो जगह कायम रहती है.।इसलिए शादी के बाद बेटी का माता-पिता की संपत्ति में कोई अधिकार नहीं, यह मानसिकता गलत है और इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है।’ गुजरात हाईकोर्ट ने संबंधित केस की सुनवाई में यह साफ तौर से कहा।

बेटे के बराबर सम्पति पर बेटी का अधिकार

जानकारी दें, कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि किसी परिवार बेटे के शादीशुदा होने या अविवाहित होने से उसके परिवार में उसकी स्थिति नहीं बदलती है। फिर बेटी के शादीशुदा होने पर उसके परिवार में स्थिति क्यों बदले? इसलिए बेटी शादीशुदा हो या अविवाहित उसका अपने माता-पिता की संपत्ति पर अधिकार कायम रहेगा।

फैसले को हाई कोर्ट में दी गई थी चुनौती

आपको बता दें, मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति ए. शास्त्री की बेंच में पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई शुरू थी। लोअर कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसकी बहन ने संपत्ति पर अपना दावा छोड़ा है कि नहीं, यह स्पष्ट नहीं हुआ है।

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