संबंधित खबरें
Jammu and Kashmir: बडगाम में खाई में गिरी BSF जवानों की बस, 4 जवान शहीद, 32 घायल
मेरठ में बड़ा हादसा, तीन मंजिला मकान गिरने से कई घायल, मलबे में दबे पशु
किस दिन होगा केजरीवाल की किस्मत का फैसला? इस घोटाले में काट रहे हैं सजा
No Horn Please: हिमचाल सरकार का बड़ा फैसला, प्रेशर हॉर्न बजाने पर वाहन उठा लेगी पुलिस
Himachal News: बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छे दिन! जानें पूरी खबर
Rajasthan: चेतन शर्मा का इंडिया की अंडर-19 टीम में चयन, किराए के मकान में रहने के लिए नहीं थे पैसे
इंडिया न्यूज़ (चंडीगढ़, paddy farmers face problem in heavy rain): सितम्बर की बेमौसम भारी बारिश ने हरियाणा के कई जिलों में जहां बासमती का उत्पादक मुख्य रूप से होता है। वहाँ खड़े धान को नुकसान पहुंचाया है। किसानों ने मांग की है कि उन्हें सरकारी एपीएमसी (कृषि उपज बाजार समिति) मंडियों के अलावा अपनी फसल सीधे चावल मिलों को बेचने की इजाजत दी जाएं.
इस साल करनाल और इसके आस-पास के जिलों के किसानों ने धान की कटाई कुछ दिनों पहले ही की थी क्योंकि वह दाम को लेकर काफी उत्साहित थे, धान की यह किस्म 3,500-3,600 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही थी जबकि पिछले साल इस समय यह 2,800-2,900 रुपये थी.
लेकिन पिछले 3-4 दिनों से हरियाणा में आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) द्वारा बुलाई गई हड़ताल के कारण किसान फसल को नहीं बेच सके, फिर कई किसानों ने फसल को अपने मवेशी शेड में रखने का फैसला किया। हालाँकि, अब उनकी समस्याएँ पिछले दो दिनों के दौरान लगातार हो रही बारिश से और बढ़ गई हैं और बरसात में फसल सड़ने का खतरा है.
किसानों को डर है कि बारिश के बाद उच्च नमी के कारण बासमती का रंग फीका पड़ जाएगा या अंकुरण भी हो जाएगा, जिससे उसकी कीमत कम हो जाएगी। ज्यादातार किसानों के पास नमी को कम करने और अनाज को खराब होने से बचाने की सुविधा नहीं है.
शुक्रवार 23 सितम्बर कि बात करे तो को हरियाणा और दिल्ली में क्रमश: 739 फीसदी और 1,027 फीसदी अधिक बारिश दर्ज की गई। सोनीपत और पानीपत से लेकर करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला तक पूरे बासमती बेल्ट में भारी बारिश हुई। वही मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक अगले दो दिनों तक बारिश होने कि संभावना जताई गई है.
किसानों को नुकसान मुख्य रूप से कम अवधि की बासमती किस्मों जैसे पूसा-1509 और पूसा-1692, और PR-126 (एक गैर-बासमती किस्म) का नुकसान होगा, जो 115-125 दिनों में परिपक्व होती है। यदि इन्हें 1 जुलाई से पहले रोपा गया और लगभग 25 दिन पहले नर्सरी में बोया गया, तो वे कटाई के लिए तैयार हो जाएंगे.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार बारिश के कारण खड़ी फसल को रखने से नुकसान होता है और परिपक्व अनाज पौधे में ही अंकुरित हो जाता है। हालांकि, पूसा-1121 बासमती और अन्य लंबी अवधि की धान की किस्मों को ज्यादा नुकसान नहीं होता.
कई किसानों के फसल करनाल एपीएमसी मंडियों में पड़े हैं। आढ़तियों की हड़ताल के कारण इन्हें बेचा नहीं जा सका। कई किसानों के खेत में पानी भर गया है। जब तक खेत से पानी नही निकाला जाता तब तक कटाई नही होगी यदि यह ज्यादा दिन रहा तो कवक के संक्रमण के कारण अनाज काला हो जाता है या अंकुरित हो जाता है, इससे बहुत बड़ा नुकसान होता है.
जानकारों के अनुसार इस वक़्त सरकार को दो काम करने चाहिए, पहला यह कि “किसानों को अपनी फसल सीधे चावल मिलों में लाने की अनुमति दी जानी चाहिए। हरियाणा में लगभग 1,200 चावल मील है जिनमें धान सुखाने की सुविधा है।”
दूसरा, अगले तीन हफ्तों में बिकने वाले धान को 6.5 प्रतिशत तक लेवी से छूट देना चाहिए जिनमे 2 प्रतिशत एपीएमसी बाजार शुल्क, 2 प्रतिशत ग्रामीण विकास उपकर और 2.5 प्रतिशत आढ़ती कमीशन होता है.
एपीएमसी मंडियां 30 प्रतिशत तक नमी वाले धान को संभाल नहीं सकती हैं। जानकारों के अनुसार सरकार को तीन सप्ताह के लिए एपीएमसी में बाजार शुल्क लगाने के साथ-साथ अनिवार्य बिक्री को निलंबित करना चाहिए ताकि किसानों को बारिश से क्षतिग्रस्त धान पर कम कीमत की वसूली का नुकसान न हो.
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.