संबंधित खबरें
Jammu and Kashmir: बडगाम में खाई में गिरी BSF जवानों की बस, 4 जवान शहीद, 32 घायल
मेरठ में बड़ा हादसा, तीन मंजिला मकान गिरने से कई घायल, मलबे में दबे पशु
किस दिन होगा केजरीवाल की किस्मत का फैसला? इस घोटाले में काट रहे हैं सजा
No Horn Please: हिमचाल सरकार का बड़ा फैसला, प्रेशर हॉर्न बजाने पर वाहन उठा लेगी पुलिस
Himachal News: बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छे दिन! जानें पूरी खबर
Rajasthan: चेतन शर्मा का इंडिया की अंडर-19 टीम में चयन, किराए के मकान में रहने के लिए नहीं थे पैसे
India News (इंडिया न्यूज़), India China Iran BRI: चीन द्वारा 2013 में बड़े जोर-शोर के साथ ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) की शुरुआत की गई है। जिसमे कहा गया कि, चीन BRI के जरिए यूरोप, अफ्रीका और एशिया को जोड़ देगा। जिससे तीनों महाद्वीपों के देशों में ज्यादा जल्दी विकास हो सकेगा और इसके साथ ही लोगों को रोजगार भी मिलेगा। चीन के इस झांसे में फंसे सारे यूरोपीय मुल्कों ने इसमें निवेश भी किया है। लेकिन अब वह चीन के चाल को भली भांति समझ चुके हैं।
बता दें कि, चीन भी इससे काफी परेशान हो चुका है। जिसकी वजह से अब वह भागे-भागे खाड़ी देशों के पास पहुंचकर निवेश की गुजारिश कर रहा है। खाड़ी देशों को वह BRI के फायदे बताए हैं। भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदारी मे साथ देने वाला देश संयुक्त अरब अमीरात (UAE) तो बीआरआई में निवेश के लिए पूरी तरह तैयार भी हो चुका है। जिसको लेकर दुबई में मौजूद चैंबर ऑफ कॉमर्स ने व्यापारिक भागीदारी के लिए हामी भी भर दी है।.
वहीं साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के खबर के अनुसार, दुबई चैंबर्स के अध्यक्ष और सीईओ मोहम्मद अली राशेद लूताह ने कहा कि, हम चीन के साथ व्यापार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। चीन के साथ जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और वित्तीय क्षेत्र में सहयोगी बढ़ाया जाएगा। चीन के वित्तीय मंत्री वांग वेनताओ ने हाल ही में दुबई में यूएई के अधिकारियों के साथ बात भी किया था। जो कि ये निवेश उसी का ही नतीजा है।
यूएई के वित्त मंत्रालय के मुताबिक, चीन उनका सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. दोनों देशों के बीच 2022 में 72 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। यूएई और चीन के बीच बढ़ती दोस्ती की मुख्य वजह चीन का बड़ा बाजार है, जिस पर आबू धाबी की नजर है। हालांकि, यूएई भारत का भी दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इस वजह से भारत यूएई के साथ बढ़ती नजदीकियों पर नजर रखे हुए है।
चीन एनर्जी, इंफ्रास्ट्रक्चर समेत अन्य सेक्टर्स खाड़ी देशों से निवेश करना चाहता है। जिस तरह से पश्चिमी मुल्कों ने चीन में निवेश बंद किया है। उससे चीन की परेशानी काफी बढ़ गई है। बीआरआई में पहले से ही निवेश कम होता जा रहा है। ऊपर से देश में होने वाला विदेशी निवेश भी कम होता जा रहा है। इस वजह से वह उन खाड़ी देशों के पास जा रहा है, जो तेल के जरिए कमाए गए अरबों डॉलर को निवेश करना चाहते हैं।
चीनी वित्त मंत्रालय के मुताबिक, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई में साल दर साल 9.8 फीसदी की गिरावट हो रही है. 2023 के शुरुआती सात महीनों में 111.8 अरब डॉलर का ही एफडीआई आई है।
यह भी पढ़े-
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.