India News (इंडिया न्यूज़), Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में अजित पवार की बगावत के बाद दोनों खेमों ने बुधवार (5 जुलाई) को अलग-अलग बैठक बुलाई। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार ने मुंबई के एमईटी बांद्रा में अपने गुट के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करने के बाद उन्हें संबोधित भी किया। अजित पवार ने कहा कि 2004 के विधानसभा चुनाव में अगर हमने उस समय कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया होता, तो अभी तक महाराष्ट्र में केवल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का ही मुख्यमंत्री होता।
अजित पवार ने आगे कहा कि हमेशा मुझे ही विलन बनाया जाता है 2019 के चुनाव के बाद एक बड़े उद्योगपति के घर पर पवार साहब, मैं (अजित पवार) और प्रफुल्ल पटेल देवेंद्र फडणवीस से मिले और सरकार बनाने की सब बात तय की थी और बाद में क्या हुआ आप सब जानते है। अजित पवार ने दावा करते हुए कहा कि 2017 में भी शरद पवार बीजेपी के साथ सरकार बनाना चाहते थे।
शरद पवार ने मुझे सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल को वर्षा बंगले पर देवेंद्र फडणवीस के पास सरकार बनाने के लिए बातचीत करने भेजा था। बीजेपी के दिल्ली के नेताओं से बातचीत के बाद उन्होंने कहा कि शिवसेना को हम नहीं छोड़ेंगे। हमारे बीच कैबिनेट पोर्टफोलियो आवंटन और संरक्षक मंत्रियों के पदों पर चर्चा हुई, लेकिन बाद में हमारी पार्टी ने कदम पीछे खींच लिए।
ये इस वजह से भी चौंकाने वाली बात है, क्योंकि दोनों ही गुटों की ओर से एनसीपी के विधायकों की बैठक को लेकर व्हिप (whip) जारी किया गया था। व्हिप की स्थिति में अगर किसी भी खेमे की बैठक में कम विधायक होते हैं तो एनसीपी पर उसका दावा अपने आप ही कमजोर पड़ जाएगा। महाराष्ट्र विधानसभा में एनसीपी के कुल 53 विधायक हैं जिनमें से फिलहाल ज्यादातर अजित पवार के गुट के समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं।
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