Marshal law in Pakistan: आर्थिक तंगी का सामने कर रहे पाकिस्तान में नया बवाल हो सकता है। खुद पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने देश में आपातकाल या मार्शल लॉ के बारे में अपनी आशंका व्यक्त की है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में प्रांतीय चुनावों को स्थगित करने के मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की एक बड़ी बेंच का गठन नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट पंजाब विधानसभा चुनाव स्थगित करने के पाकिस्तान के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। बिलावल, जो पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के प्रमुख भी हैं। सिंध प्रांत में अपनी सीट लरकाना में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि खैबर-पख्तूनख्वा में चुनावों पर तीन न्यायाधीशों के किसी भी फैसले को उनकी पार्टी स्वीकार नहीं करेगी।
मार्शल लॉ नागरिक अधिकारों की सामान्य कानूनी सुरक्षा को निलंबित करने के लिए असीमित शक्तियों के साथ सैन्य अधिकारियों द्वारा एक नागरिक सरकार को हटना होता है। किसी संकट या तख्तापलट के दौरान ही मार्शल लॉ लगाया जा सकता है।
पाकिस्तान में साल 1958 में हुए युद्ध के दौरान पहली बार मार्शल लॉ लगाया गया था। 7 अक्टूबर 1958 राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा ने मार्शल लॉ लगाने की घोषणा की थी। लगाया गया था। इसके बाद साल 1962 में संविधान को रद्द कर दिया और वहां फिर से मार्शल लॉ घोषित कर दिया।
पाकिस्तान में तीसरी बार मार्शल लॉ जुल्फिकार अली भुट्टो ने लगाया। यह बांग्लादेश की लड़ाई के बाद लगाया गया था। फिर 5 जुलाई साल 1977 को जनरल मुहम्मद जिया – उल – हक ने देश में मार्शल लॉ लगाया। इसके बाद 12 अक्टूबर, 1999 को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार भंग कर दी गई थी, तब भी सेना ने एक बार फिर नियंत्रण संभाला। लेकिन मार्शल लॉ नहीं लगाया तब के सेना अध्यक्ष परवेज मुर्शरफ खुद राष्ट्रपति बन गए थे।
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