India News ( इंडिया न्यूज), Anantnag Encounter: बुधवार को हरियाणा के पानीपत जिले के बिंझौल गांव में तब चीख पुकार मच गई। जब खबर आई कि गांव का लाल मेजर आशीष धौंचक जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में शहीद हो गएं। इस खबर के घर तक पहुंचे ही हर किसी की आंखे नम हो गई। हर तरफ गम के बादल छाए हुए हैं। शहीद आशीष दुनिया को अलविदा कह चुके हैं लेकिन अपने पीछे अपने बहादुरी के किस्से छोड़ गए हैं। बता दें कि शहीद मेजर आशीष बचपन से ही बहादुर रहें थे। जानते हैं कैसा रहा था शहीद मेजर का बचपन और उनके परिवार के बारे में।
छह महीने पहले आए थे घर
शहीद मेजर आशीष पानीपत जिले के बिंझौल गांव के निवासी थे। वह तीन बहनों के इकलौते भाई थे। पिता और मां पानीपत के सेक्टर-7 में किराए के मकान में रहते हैं। जानकारी के अनुसार आशीष छह महीने पहले अपने घर आए थे। उनके साले की शादी होने वाली थी इसलिए। लेकिन घर वालों को क्या पता था कि उनका लाल अब छह महीने का ही मेहमान है। बता दें कि उनकी बहादुरी के लिए ही मेजर आशीष सेना मेडल के लिए नामित किए गएं थे। शहीद मेजर की एक बेटी भी है जिसकी उम्र चार-पांच साल है। मेजर टीडीआई सिटी में अपना नया घर बनवा रहे थें। लेकिन उन्हें क्या पता था कि मकान की ईंट रखने से पहले ही वो पंचतत्व में विलीन हो जाएंगे।
काबिलियत के लोग कायल
मिली जानकारी के अनुसार मेजर आशीष सेना में लेफ्टिनेंट पद पर भर्ती किए गएं थे। उनके साथ उनके परिवार के चाचा के बेटे भी सेना में शामिल हुए थे। परिवारवालों की माने तो आशीष पढ़ाई लिखाई में हमेशा अव्वल थे। उन्होंने अपनी काबिलियत के बदौलत सेना में प्रमोशन भी प्राप्त किया।
देश की सेवा में लगा है परिवार
मीडिया में चल रही खबरों के अनुसार, शहीद मेजर के पिता लालचंद सिंह अपने चार भाइयों में सबसे बड़े हैं। मेजर के पिता एनएफएल से रिटायर हुए हैं। इसके साथ ही उनके दूसरे भाई यानी मेजर आशीष के चाचा दिलावर एयरफोर्स में थे जो रिटायर हो चुके हैं। इनका का एक बेटा सेना में मेजर पद पर आसीन है। आशीष के तीसरे नंबर के चाचा बलवान गांव में और चौथे दिलबाग गुरुग्राम में रह रहे हैं।
ये भी पढ़े
- INDIA Meeting: देश में जातीय जनगणना का मुद्दा उठाएगी विपक्षी गठबंधन, कॉर्डिनेशन की मीटिंग में हुआ फैसला
- Farrukhabad News: आयुष्मान भव: के उद्घाटन कार्यक्रम में अव्यवस्थाओ का बोलबाला, सांसद ने सीएमएस को लगाई फटकार