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One Nation one Election: 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर केंद्र सरकार ने बनाई कमेटी, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद होंगे अध्यक्ष

BY: Itvnetwork Team • LAST UPDATED : September 1, 2023, 12:29 pm IST
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One Nation one Election: 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' को लेकर केंद्र सरकार ने बनाई कमेटी, पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद होंगे अध्यक्ष

One Nation one Election: ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लेकर केंद्र सरकार ने बनाई कमिटी

India News (इंडिया न्यूज़), Ashish Sinha, One Nation one Election: सरकार ने “एक राष्ट्र, एक चुनाव” की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। यह समिति इस मुद्दे पर विचार करने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। उसके बाद यह कमिटी सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद ही यह तय होगा कि आने वाले समय में क्या सरकार लोकसभा चुनाव के साथ ही सभी राज्यों में विधानसभा के चुनाव कराने की तैयारी करेगी या नहीं।

17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा

यह कदम सरकार द्वारा 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने के एक दिन बाद आया है, जिसका एजेंडा गुप्त रखा गया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने गुरुवार को सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 18 से 22 सितंबर तक दोनों सदनों का विशेष सत्र रहेगा। यह 17वीं लोकसभा का 13वां और राज्यसभा का 261वां सत्र होगा। इसमें 5 बैठकें होंगी।

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद होंगे अध्यक्ष

पिछले कुछ सालों में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों के विचार को मजबूती से आगे बढ़ाया है, और इस पर विचार करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति कोविंद को जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय, चुनाव दृष्टिकोण के मेजबान के रूप में सरकार की गंभीरता को रेखांकित करता है।

पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं

नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके बाद अगले साल मई-जून में लोकसभा चुनाव होंगे। हालांकि, सरकार के हालिया कदमों ने आम चुनाव और कुछ राज्य चुनावों को आगे बढ़ाने की संभावना को खोल दिया है, जो लोकसभा चुनाव के बाद और उसके साथ निर्धारित हैं।

जानिए क्या होता है एक देश एक चुनाव

दरअसल एक देश-एक चुनाव का मतलब हुआ कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हों। आजादी के कुछ समय बाद तक 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई। उसके बाद से देश में अलग अलग समय पर चुनाव होने लगे और पूरा देश हर साल चुनावी मूड में रहने लगा।

दिसंबर 2022 में विधि आयोग ने देश में एक साथ चुनाव कराने के प्रस्ताव पर राजनीतिक दलों, भारत के चुनाव आयोग, नौकरशाहों और अन्य विशेषज्ञों की राय मांगी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार एक राष्ट्र, एक चुनाव का विचार रख चुके हैं। नवंबर 2020 में पीठासीन अधिकारियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, “एक राष्ट्र, एक चुनाव न केवल बहस का विषय है बल्कि भारत के लिए एक आवश्यकता है। भारत में हर महीने चुनाव होता है, जिससे विकास बाधित होता है. देश को इतना पैसा क्यों बर्बाद करना चाहिए?”

संजय राउत ने क्या कुछ कहा

लोकसभा चुनाव में भाजपा का विरोध करने के लिए एक संयुक्त गठबंधन पर काम कर रहे विपक्षी भारत गठबंधन ने हालांकि इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। शिवसेना यूबीटी गुट के नेता संजय राउत ने कहा, ”देश पहले से ही एक है, क्या कोई इस पर सवाल उठा रहा है? हम निष्पक्ष चुनाव की मांग करते हैं, ‘एक देश एक चुनाव’ की नहीं। ‘एक देश एक चुनाव’ की यह अवधारणा ध्यान भटकाने के लिए लाई जा रही है।

रामगोपाल यादव ने उठाए सवाल

समाजवादी पार्टी के नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, ”एक राष्ट्र, एक चुनाव की बात पहले भी हुई थी, इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए। अगर सरकार सिर्फ विशेष सत्र बुलाकर फैसले पर मुहर लगाना चाहती है तो” गलत बात है।” अब राष्ट्रपति कोविन्द के नेतृत्व में नवगठित समिति के साथ यह उम्मीद है कि सरकार इस प्रस्ताव पर तेजी से काम करेगी।

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