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कोविड से पीड़ित हो चुके लोग इस खतरनाक प्रदूषण से हो जाएं सावधान, स्टडी में हुए कई नए खुलासे

Nishika Shrivastava • LAST UPDATED : November 5, 2022, 4:23 pm IST

Delhi-NCR Air Pollution Latest Update: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर अब एक बार फिर खतरनाक रूप ले चुका है। इस समय हालात पर काबू पाने के लिए कईं तरह की पाबंदियां लागू कर दी गई हैं। इस मामले में डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को पहले कोरोना हो चुका है, उनके लिए वायु प्रदूषण जानलेवा हो सकता है। इसलिए वो बेहद सावधानी रखें और अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से भी बचें। साथ ही ये भी कहा गया है कि जरुरत के समय ही बाहर निकलना ही लाभदायक होगा। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें अस्पताल में भर्ती तक होना पड़ सकता है।

स्टडी में हुए कई नए खुलासे

आपको बता दें कि अमेरिका के SUNY College of Environmental Science and Forestry के रिसर्चरों ने कोरोना महामारी के दौरान एक स्टडी की। उन्होंने प्रदूषण फैलाने वाले कणों और कोरोना का लिंक समझने के लिए यह रिसर्च किया है। बता दें कि दिसंबर 2020 में इस स्टडी का विषय था कि हवा में धूल के कणों के बढ़ने से क्या असर हो सकता है। वहीं, आंकलन के मुताबिक कोरोना वायरस के शिकार 15 फीसदी लोगों की मौत की वजह प्रदूषित हवा में लंबे समय तक सांस लेना था।

कोरोना वायरस के मरीजों को ज्यादा खतरा

रिसर्च के मुताबिक बताया गया कि अगर किसी इलाके में वायु प्रदूषण का लेवल खतरनाक लेवल्स पर पहुंच जाए तो कोरोना के शिकार मरीजों की जान जाने का खतरा 9 फीसदी तक बढ़ जाता है। रिसर्च में ये भी पाया गया कि अगर फाइन पार्टिकुलेट मैटर यानी PM 2.5 में एक माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर का भी इजाफा हो जाए तो कोरोना वायरस के शिकार लोगों के लिए मौत का खतरा 11% तक बढ़ जाता है।

नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर बढ़ने से इतना खतरा

अगर उस इलाके में हवा के फैलने की जगह कम हो और आबादी का घनत्व यानी कम जगह में ज्यादा लोग रहते हों तो ये खतरा और बढ़ जाता है। इसी तरह नाइट्रोजन डाईऑक्साइड का स्तर बढ़ने से क्या खतरे बढ़ते हैं, इसकी भी स्टडी की गई है। ये वो प्रदूषित कण हैं, जो वाहनों और पावर प्लांट के धुएं से आते हैं। अगर इसके स्तर में 4.6 ppb यानी parts per billion की बढ़ोतरी हो जाए तो कोरोना वायरस के मरीजों की जान को खतरा 11.3% तक बढ़ जाता है।

प्रदूषण से बचने के लिए इन बातों को करें फॉलों

एम्स के पल्मनरी मेडिसिन विशेषज्ञ और संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ रंदीप गुलेरिया कहते हैं कि दिवाली के बाद AQI अक्सर 500 के ऊपर चला जाता है। कई बार तो ये 900 के ऊपर भी चला जाता है।

  • डॉ गुलेरिया ने बताया कि प्रदूषण से बचने के लिए N95 मा​स्क का प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि वो भी पूरी तरह सुरक्षा नहीं दे पाएगा, फिर भी प्रदूषण को सीधे शरीर में जाने से जरूर रोकेगा।
  • इसके आगे उन्होने ये कहा कि बच्चे, बुजुर्ग और वो लोग, जिन्हें सांस से जुड़ी दिक्कतें हैं, वो बाहर निकलने से बचें। अगर घर से बाहर जाना भी हो तो धूप निकलने के बाद ही बाहर जाएं।
  • गर्भवती महिलाएं भी प्रदूषण के दौरान बाहर निकलने से परहेज करें।
  • बच्चे सुबह- शाम बाहर खेलने से बचें।
  • डॉ गुलेरिया बताते हैं कि जहां पर प्रदूषण ज्यादा था, वहां पर कोविड का असर भी ज्यादा रहा है। दोनों मामलों में सांस लेने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
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