इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : 26 नवंबर को हर साल देश में संविधान दिवस के तौर मनाया जाता है। साल 1949 में संविधान सभा द्वारा भारतीय संविधान को 26 नवंबर को ही अपनाया गया था। संविधान दिवस के मौके पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना के पहले तीन शब्द- ‘We The People’ केवल शब्द नहीं हैं, ये एक आह्वान, एक प्रतिज्ञा और एक विश्वास है।
पीएम मोदी ने आगे कहा, “दुनिया भारत को बहुत उम्मीदों से देख रही है, एक ऐसा देश जिसके बारे में आशंका जताई जाती थी कि वो अपनी आज़ादी बरकरार नहीं रख पाएगा। आज वही देश पूरी सामर्थ्य से अपनी सभी विविधताओं पर गर्व करते हुए यह देश आगे बढ़ रहा है और इसके पीछे हमारी सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है।” पीएम ने ये भी कहा, “हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा संविधान दिया है, जो ओपेन व फ्यूचरिस्टिक है और अपने आधुनिक विजन के लिए जाना जाता है। इसलिए स्वाभाविक तौर पर हमारे संविधान की स्पिरिट यूथ सेंट्रिक है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत की Mother of Democracy के रूप में जो पहचान है, हमें उसको और भी अधिक सशक्त करना है। हमारे संविधान की स्पिरिट ‘Youth Centric’ है। आज संविधान दिवस पर मैं देश की न्यायपालिका से एक आग्रह भी करूंगा कि युवाओं में संविधान को लेकर समझ बढ़े इसके लिए डिबेट और डिस्कशन को बढ़ाना चाहिए।” पीएम मोदी ने आगे कहा, “Pro People की ताकत से आज देश का सशक्तिकरण हो रहा। सामान्य मानवी के लिए कानूनों को सरल बनाया जा रहा है। आजादी का ये अमृत काल देश के लिए ‘कर्तव्य काल’ है। व्यक्ति हों या संस्थाएं हमारे दायित्व ही हमारी पहली प्रतिज्ञा हैं।
कार्यक्रम में मौजूद केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “विधायी विभाग ने 65,000 कानून के शब्दों वाली एक शब्दावली तैयार की है। हमारी योजना इसे डिजिटाइज़ करने की है जिसे जनता आसानी से इस्तेमाल कर सके। क्षेत्रीय भाषाओं में प्रकाशित कानूनी शब्दावलियों को एकत्र, डिजिटाइज़ करने और जनता के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।” रिजिजू ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने पूर्व CJI एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता में भारतीय सामाजिक समिति का गठन किया है। यह समिति क्षेत्रीय भाषाओं में कानूनी सामग्री का अनुवाद करेगी और सभी भारतीय भाषाओं के लिए एक सामान्य शब्दावली बनाएगी।