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SC Permit RSS March: सुप्रीम कोर्ट ने RSS मार्च को अनुमति दी, तर्क सुन कर कहा- एक लोकतंत्र की भाषा है और एक सत्ता की

SC Permit RSS March: सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु में रूट मार्च करने की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और पंकज मिथल की पीठ ने उच्च न्यायालय के 10 फरवरी के फैसले के खिलाफ […]

BY: Roshan Kumar • UPDATED :
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SC Permit RSS March: सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को तमिलनाडु में रूट मार्च करने की अनुमति देने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और पंकज मिथल की पीठ ने उच्च न्यायालय के 10 फरवरी के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए फैसला सुनाया।

  • तमलिनाडु सरकार ने खतरा बताया
  • कुछ शर्ताें के साथ मिली थी मंजूरी 
  • सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार ने अपील की

यह आदेश तमिलनाडु सरकार द्वारा मद्रास उच्च न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर पारित किया गया, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को बिना किसी प्रतिबंध के पुनर्निर्धारित तारीखों पर तमिलनाडु में अपना रूट मार्च करने की अनुमति दी गई थी।

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SC Permit RSS March

2022 में मांगी अनुमति

शीर्ष अदालत ने पहले तमिलनाडु राज्य द्वारा एक प्रस्तुतिकरण पर मामले को स्थगित कर दिया था कि पक्ष समाधान पर पहुंचने के लिए उपयुक्त मार्गों पर चर्चा करेंगे। अक्टूबर 2022 में, आरएसएस ने तमिलनाडु सरकार से ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ और गांधी जयंती को चिह्नित करने के लिए राज्य में अपना मार्च निकालने की अनुमति मांगी थी।

कुछ शर्तें के साथ मिली

हालांकि, राज्य सरकार ने इनकार कर दिया था।  जिसके कारण आरएसएस ने राहत के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की थी। उस वर्ष 4 नवंबर को, एक एकल-न्यायाधीश ने आरएसएस को मार्च को घर के अंदर या संलग्न स्थानों पर प्रतिबंधित करने जैसी कुछ शर्तों के अधीन मार्च निकालने की अनुमति दी थी।

शर्तो को हटाया

10 फरवरी को उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने इन प्रतिबंधों को हटा दिया था और एक स्वस्थ लोकतंत्र में विरोध के महत्व पर जोर दिया था। इसके कारण शीर्ष अदालत के समक्ष राज्य द्वारा वर्तमान अपील की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी, गुरु कृष्ण कुमार और मेनका गुरुस्वामी अधिवक्ता नचिकेता जोशी, अर्चना पाठक दवे, मुग्धा पांडे, संतोष कुमार और प्रणीत प्रणव अधिवक्ताओं के साथ आरएसएस के लिए उपस्थित हुए।

PFI से खतरा बताया

सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राज्य सरकार 6 जिलों में मार्च को इजाजत नहीं दे सकती क्योंकि इन इलाकों में PFI व बम ब्लास्ट आदि का खतरा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक लोकतंत्र की भाषा है और एक सत्ता की भाषा है। आप कौन सी भाषा बोलते हैं यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कहां हैं। तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए। केस को के फणींद्र रेड्डी बनाम अन्य जी सुब्रमण्यम नाम से जाना गया।

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